Sunday, March 13, 2011

करीब 14 गुना अधिक किराए पर लिया था।ं

 नई दिल्ली, एजेंसी : राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले को लेकर कठघरे में खड़े कांग्रेस नेता सुरेश कलमाड़ी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब उनकी अध्यक्षता वाली राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति पर विभिन्न प्रकार की सुविधाओं और साजसज्जा (ओवरले) के उपकरणों को किराए पर लेने में धांधली करने का आरोप लगा है। यह धांधली केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की जांच टीम ने पकड़ी है। आरोप है कि खेलों के लिए आयोजन समिति ने सुविधा और साजसज्जा उपकरण सामान्य से करीब 14 गुना अधिक किराए पर लिया था।ं यानी इन उपकरणों के किराए के मद में जहां 2.80 लाख भुगतान किया जाना चाहिए था, वहीं 42.34 करोड़ खर्च कर दिया गया। सीवीसी ने इस घोटाले पर अपनी रिपोर्ट सीबीआइ को सौंप दी है। जिसमें कहा गया है कि आयोजन समिति ने इन उपकरणों को 42.34 करोड़ रुपये में किराए पर लिया था जबकि बाजार दर के हिसाब से इनकी वास्तविक लागत 2.80 करोड़ रुपये ही थी। इस तरह से आयोजन समिति ने उपकरणों की आपूतिकर्ता कंपनियों को जबरदस्त लाभ पहुंचाया। इसके साथ ही जांच में यह बात भी उभर कर सामने आई कि इन उपकरणों को किराए पर लेने के लिए गड़बड़ तरीके से बोली लगाई गई। जांच टीम का निष्कर्ष है कि इन उपकरणों को किराए पर लेना इनकी खरीद से भी महंगा था। यानी जितना पैसा किराए के लिए भुगतान किया गया, उससे भी काफी कम दाम में इन उपकरणों की खरीद की जा सकती थी। आयोजन समिति ने ओवरले उपकरण आपूर्ति का ठेका चार कंपनियों को दिया था। इनमें दिल्ली की मेसर्स पिको दीपाली ओवरलेज कंसोर्टियम, नुस्ली लिमिटेड स्विट्जरलैंड, ईएसए जेवी डी आर्ट इंडो कंसोर्टियम दिल्ली और जीएल-मेरोफार्म फ्रांस शामिल थीं। इनको दिए काम में टेंट जैसे अस्थायी ढांचे का रखरखाव, वीडियो बोर्ड, फर्नीचर व फिक्चर्स और जेनरेटर आदि शामिल थे।

तुगलक


 साभार जागरण

लाचार गरीब मरीजों की संख्या एम्स में दर्जनों में है।

नई दिल्ली गजल गायक सनोवर खान, देश-विदेश में कई शो प्रस्तुत कर चुके हैं। आगरा का रहने वाला यह गायक एम्स में तिल-तिल कर मरने को मजबूर है। तीन महीने से स्ट्रेचर से उठ नहीं पाया है। एम्स में इलाज चल रहा है, लेकिन उसे भर्ती नहीं किया जा सका है। अस्पताल परिसर में कभी इस कोने तो कभी उस कोने सनोवर खान एवं उसके परिजनों की रात गुजर रही है। इसी तरह हिसार की रहने वाली सुनीता की किडनी खराब है। गरीब सुनीता तीन महीने से एम्स परिसर में खुले आकाश के नीचे रह रही है। अस्पताल में भर्ती नहीं होने एवं रहने के लिए कोई जगह नहीं होने की स्थिति में उसे खुले आकाश के नीचे रात गुजारनी पड़ रही है। ये तो उदाहरण हैं। इस तरह के लाचार गरीब मरीजों की संख्या एम्स में दर्जनों में है। विभिन्न राज्यों से इलाज के लिए एम्स पहुंचे गरीब मरीजों के सामने सबसे बड़ी समस्या डाक्टर से टाइम मिलने के दौरान रहने की है। मरीज को यदि दो दिन भी इंतजार करना पड़े तो वह कहां रहे। बाहर रह कर खाना एवं रहना उनके लिए एक अलग मर्ज बन जाता है। अस्पताल परिसर के बाहर सड़क किनारे फूटपाथ पर दर्जनों मरीज रात गुजारते हैं। फरुर्खाबाद के रामप्रकाश के बच्चे को कैंसर है। उन्होंने बताया कि शनिवार को उनके लिए उस समय मुसीबत खड़ी हो गई जब इंतजार कर रहे मरीज एवं उनके परिजनों को जबरदस्ती परिसर से बाहर निकाल दिया गया। रात को फुटपाथ पर सोते हुए उसका सामान चोरी हो गया। धर्मशाला में भी नहीं है जगह: एम्स अस्पताल परिसर के बाहर तीन धर्मशाला हैं। धर्मशालाएं तीन दशक पहले बनी थीं। इन तीनों की लगभग दो सौ लोगों को ठहरने की क्षमता है। यह वर्तमान जरूरत के हिसाब से बहुत कम है। अस्पताल में इलाज की तरह ही यहां भी नंबर लगे होते हैं। यहां ठहरने के लिए भी अस्पताल के डाक्टर की अनुमति जरूरी है। मगर बहुत से मरीजों के वश की बात नहीं है कि वे यहां ठहरने की हिम्मत ही जुटा सकें क्योंकि यहां प्रति दिन के तीन सौ रुपये चार्ज है। अस्पताल परिसर में मरीज के लिए बने इंतजार कक्ष में पचास मरीजों के ठहरने की क्षमता है। यहां भी लोग भरे हुए हैं। एम्स के प्रवक्ता डा. वाईके गुप्ता बताते हैं कि सभी मरीजों को एक दिन में नहीं देखा जा सकता है। इसलिए इंतजार सूची देना उनकी मजबूरी है। अस्पताल परिसर के बाहर कई धर्मशाला हंै। मरीज अस्पताल परिसर ही नहीं वार्ड के बरामदे में भी बिस्तर लगा लेते हैं।

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ)

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) के पूर्व प्रमुख केतन देसाई की गिरफ्तारी को एक साल भी नहीं बीता कि यहां भ्रष्टाचार का खेल फिर से शुरू हो गया है। इस बार खुद एमसीआइ की ही मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) ने स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिख कर इस पर ध्यान देने तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ निगरानी तंत्र को दुरुस्त करने की गुहार लगाई है। सीवीओ ने स्वीकारा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ), केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और स्वास्थ्य मंत्रालय सहित सभी सरकारी एजेंसियों को रोजाना एमसीआइ में भ्रष्टाचार की ढेरों शिकायतें मिल रही हैं, लेकिन सरकार अब भी आंखें मूंदे बैठी है। एमसीआइ में किसी बड़ी गड़बड़ी के बारे में इस बार किसी नाराज प्राइवेट कॉलेज वाले ने नहीं, बल्कि खुद एमसीआइ की मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) ने मुंह खोला है। स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे चार मार्च के पत्र में एमसीआइ की मुख्य सतर्कता अधिकारी सिम्मी आर.नाकरा ने कार्रवाई करने को कहा है। हालात यह है कि यहां के ज्यादातर अफसरों ने कहे जाने के बावजूद अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं सौंपा है। नाकरा ने पत्र में कहा है कि सीबीआइ, सीवीसी और स्वास्थ्य मंत्रालय सहित सभी एजेंसियों से बड़ी तदाद में शिकायतें मिल रही हैं। लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार इसी साल जनवरी से एमसीआइ में सीवीओ का दफ्तर शुरू हो पाया है, लेकिन अब तक इसे कोई स्टाफ नहीं मिल पाया है। ऐसे में अपनी मजबूरी जताती हुई नाकरा लिखती हैं कि एमसीआइ के सभी ग्रुप ए और बी अफसरों को प्रापर्टी रिटर्न दाखिल करने को कहा गया है। इसी तरह खुद उन्हीं के दफ्तर में अब तक 17 शिकायतें आ चुकी हैं, लेकिन इन पर कार्रवाई करने में वो अक्षम हैं। पिछले साल अप्रैल में एमसीआइ के प्रमुख केतन देसाई को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया था। इसके बाद सीबीआइ ने अपनी जांच में इसे देश के सबसे भ्रष्ट संस्थानों में शुमार पाया था।

अभद्र भाषा नौकरी से हटाने का आधार नहीं

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि अभद्र भाषा का प्रयोग किसी को नौकरी से हटाने का आधार नहीं हो सकता। हाई कोर्ट ने अपने वरिष्ठ अधिकारी के प्रति अभ्रद भाषा का प्रयोग करने के कारण निलंबित किए गए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल [सीआइएसएफ] के जवान का निलंबन रद कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जवान कभी-कभी अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं लेकिन इसे सेवा से हटाने का आधार नहीं बनाया जा सकता।
हाल ही में दिए इस फैसले में कोर्ट ने सेवा से हटाए गए सीआइएसएफ के जवान कृष्णपाल सिंह की बहाली का आदेश दिया है। पानीपत में तैनात इस जवान को वर्ष 2002 में अपने वरिष्ठ अधिकारी के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग करने के कारण सेवा से हटा दिया गया था। कृष्णपाल ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की थी। सीआइएसएफ की ओर से कहा गया था कि कृष्णपाल ने वरिष्ठ उप निरीक्षक आर.एल. पंडित के साथ कहासुनी के बाद उनके साथ गाली गलौज की थी। कोर्ट ने नौकरी से निकाले जाने के निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले उन परिस्थितियों का विश्लेषण नहीं किए जाने पर नाराजगी व्यक्त की, जिस कारण से कृष्णपाल और पंडित के बीच कहासुनी हुई थी।

आकडे अच्छे लगते हैं


नई दिल्ली। जापान में आए सुनामी भूकंप की विभीषिका से जहा पूरी दुनिया स्तब्ध है वहीं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने सुनामी से जुड़ी त्वरित एवं सटीक चेतावनी देने में भारतीय प्रणाली की क्षमता एक बार फिर सिद्ध होने का दावा किया है।
भारतीय प्रणाली में किसी प्रकार की खामी की बात को खारिज करते हुए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव शैलेश नायक ने कहा कि भारतीय सुनामी चेतावनी प्रणाली विश्वस्तरीय है। यह बात इसी से सिद्ध होती है कि हमने सुनामी के सात मिनट बाद ही पहला बुलेटिन जारी कर बता दिया था कि भारत को इससे कोई खतरा नहीं है।
अमेरिकी सुनामी चेतावनी प्रणाली राष्ट्रीय सागरीय एवं वायुमंडलीय प्रशासन ने जापान के होंशू क्षेत्र में आए इस विनाशकारी भूकंप के 12 मिनट बाद पहला अलर्ट जारी किया जबकि भारतीय राष्ट्रीय सागरीय सूचना सेवा केंद्र [आईएनसीओआईएस] पर स्थित चेतावनी प्रणाली ने सुनामी के सातवें मिनट में पहला बुलेटिन जारी कर दिया।
गौरतलब है कि ऐसी रिपोर्ट सामने आई थी कि भारतीय सुनामी चेतावनी प्रणाली के तहत अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में लगाए गए यंत्रों को मछुआरों ने काफी नुकसान पहुंचाया है। रिपोर्ट मे कहा गया था कि इस क्षेत्र में स्थापित 50 यंत्रों में से 42 को मछुआरों ने नुकसान पहुंचाया है जिससे प्रणाली प्रभावित हुई है।
26 दिसंबर 2004 को भारत में आए सुनामी के बाद देश में इससे जुड़ी चेतावनी प्रणाली स्थापित किए जाने की पहल की गई थी और 2006-07 में ऐसी एक प्रणाली स्थापित करने में सफलता मिली।
नायक ने कहा कि सुनामी चेतावनी प्रणाली के माध्यम से बड़े भूकंप की स्थिति में न केवल भारत में बल्कि पड़ोसी देशों में भी 10 मिनट में अलर्ट जारी किए जा सकते हैं। नायक ने कहा कि वर्ष 2007 के बाद से ही हम दुनिया की अन्य सुनामी चेतावनी प्रणाली के साथ संपर्क बनाए हुए हैं।
उन्होंने कहा कि बड़े भूकंप के आकलन के संदर्भ में निचली सतह का दबाव माप करने वाले रिकार्डर [बीपीआर] का महत्वपूर्ण योगदान होता है। प्रारंभ में ऐसे 12 रिकार्डर लगाने की योजना बनाई गई थी लेकिन अभी चार रिकार्डर लगाए गए हैं जो पर्याप्त हैं।
उन्होंने कहा कि अगर भविष्य में चेतावनी प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए जरूरत महसूस की गई तो और बीपीआर लगाए जा सकते हैं। गौरतलब है कि भारतीय राष्ट्रीय सागरीय सूचना सेवा केंद्र पर 125 करोड़ रुपये की लागत से सुनामी चेतावनी प्रणाली स्थापित की गई थी और पिछले तीन वर्ष में इस केंद्र ने करीब 25 भूकंप का आकलन किया। इस प्रणाली से 26 राष्ट्रीय सुनामी सूचना केंद्र और तीन गहरे सागर में स्थित सेंसर जुड़े हुए हैं।
वर्ष 2010-11 में इस प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए 10 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। नायक ने कहा कि चेतावनी प्रणाली के माध्यम से मोबाइल फोन पर भी अलर्ट भेजे जाने की सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि सुनामी जैसी भयानक घटना के संबंध में ऐसी प्रौद्योगिकी का अहम योगदान है। जापान की शानदार चेतावनी प्रणाली के कारण ही काफी संख्या में लोगों को बचाने में सफलता मिली।

अधिकांश स्कूल वन विभाग की भूमि पर बने हैं।

अधिकांश स्कूल वन विभाग की भूमि पर बने हैं।
शिक्षा में हिमाचल प्रदेश ने कई आयाम स्थापित किए हैं। प्रदेश के हाल ही में प्रस्तुत बजट में भी सरकार ने सबसे अधिक ध्यान शिक्षा क्षेत्र की तरफ दिया है। बदलते परिवेश में इस क्षेत्र की अहमियत को समझते हुए अगले वित्त वर्ष में शिक्षा के लिए 3164. 54 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है, जो पिछले साल के मुकाबले 597.64 करोड़ अधिक है। निसंदेह यह राशि इस क्षेत्र को और मजबूत करने में सहायक सिद्ध होगी। इस क्षेत्र में सरकार की तरफ से किए गए प्रयास सुखद रहे हैं। इसी कड़ी में जहां शिमला जिला के प्रगतिनगर में इंजीनियरिंग कॉलेज खुलेगा वहीं हमीरपुर में तकनीकी विश्वविद्यालय ने काम करना शुरू कर दिया है, साथ ही केंद्रीय विश्वविद्यालय भी हिमाचल में खुल चुका है। प्रदेश के छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए बाहरी राज्यों में न भटकना पड़े इसके लिए बेहतर प्रयास किए जा रहे हैं। इन सबके बावजूद आधारभूत शिक्षा के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है। चिंता की बात है कि प्रदेश के 2109 स्कूलों के पास अपना भवन नहीं है, यानी ये स्कूल पराई भूमि पर चल रहे हैं। स्कूल के नाम भूमि का मालिकाना हक न होने से समस्याएं आ रही हैं और अधिकांश स्कूल वन विभाग की भूमि पर बने हैं। आंकड़ों पर गौर फरमाएं तो चंबा में 811 स्कूल व मंडी में 526 स्कूलों के पास भवन नहीं हैं। इनमें अधिकांश संख्या प्राथमिक स्कूलों की है। जिन स्कूलों के पास अपने भवन हैं उनमें से बहुत से भवनों की हालत दयनीय है। रखरखाव न होने के कारण वर्षो पहले बने कई भवन गिरने की कगार पर हैं। पिछले दिनों ऊना जिले के छत्तरपुर टाडा में स्कूल परिसर में चारदीवारी गिरने से चार बच्चों की मौत के बाद शिक्षा विभाग चौकस हुआ और पुराने व जर्जर स्कूल भवनों के स्थान पर नए भवन बनाने के फरमान जारी हुए पर वे सभी एक लंबी प्रक्रिया का हिस्सा हैं। स्कूल स्तर पर अभी तक बहुत कुछ किया जाना बाकी है। स्टाफ की कमी को दूर करते हुए दूरदराज के स्कूलों में शिक्षकों की व्यवस्था करवाना जरूरी है। सरकार को मिड-डे मील में सामने आ रही शिकायतों को निपटाना होगा। अगर बच्चों की नींव मजबूत करने के लिए सरकार गंभीर है तो उसे स्कूलों में पेश आने वाली समस्याओं को हल करना चाहिए। जिन स्कूलों के नाम अभी तक भूमि नहीं हुई है उसके लिए प्रक्रिया शुरू की जाए। आशा की जानी चाहिए कि आने वाले समय में शिक्षा के क्षेत्र में सरकार की तरफ से किए गए प्रयास कागजों में नहीं जमीन पर दिखाई देंगे।

शर्म भी जब हमारी करतूतों पर शर्म महसूस करने लगे

पुरुलिया के अयोध्या पहाड़ से अपहृत खुफिया विभाग के निरीक्षक पार्थ विश्वास व शिक्षक सौम्यजीत बसु के मामले में अमानवीयता की हद हो गयी। परिवार वालों ने राज्य सरकार से उन्हें बचाने की बार-बार गुहार लगाई थी। मुख्यमंत्री बुद्घदेव भट्टाचार्य ने राइटर्स में परिजनों को आश्वासन दिया था कि वह हरसंभव कोशिश करेंगे। इसी बीच राज्य प्रशासन के हलकों से खबर आयी कि दो कंकाल मिले हैं, और बताए जा रहे हैं कि ये अपहृत पार्थ व सौम्यजीत के हैं। सच से पर्दा उठाने के लिए सरकार ने डीएनए टेस्ट कराने का निर्णय किया है। जब तक रिपोर्ट नहीं आ जाती है, तब तक स्पष्ट रूप से कुछ भी कहना ठीक नहीं। पर, जिसने अपहरण कर हत्या की और जिन पर उन्हें बचाने की जिम्मेदारी थी, दोनों तरफ से अमानवीयता दिखी। घटना को अंजाम देने में शक की सुई माओवादियो की ओर है, लेकिन क्या इतनी संवेदनहीनता उचित है? इस पर सामूहिक रूप से चर्चा होनी चाहिए। पार्थ और सौम्यजीत का अपहरण पेशेगत जिम्मेदारियों को निभाने के दौरान हुआ। उनकी मौत से अपराधियों को क्या सफलता मिली होगी, वे तो वही बता सकते हैं, लेकिन कोई इतना बर्बर कैसे हो सकता है कि बिना सोचे-समझे परिवार की खुशियां छीन ले। घटना की खबर फैलते ही प्रशासन गंभीर रहता तो बचाने के लिए विधि-सम्मत कोशिश की जा सकती थी। दूसरी तरफ अपनी मांग मंगवाने के लिए जिस ढंग से माओवादी हिंसा का सहारा ले रहे हैं, उसे भी उचित नहीं ठहराया जा सकता है। उस हिंसा में निर्दोष लोगों की हत्या हो रही है। इसके लिए सभी को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी कि इंसान होकर इतने बर्बर नहीं हो जाएं कि अमानवीयता की हद पार हो जाए। शर्म भी जब हमारी करतूतों पर शर्म महसूस करने लगे तो समझना चाहिए कि हम अमानवीय हो गए हैं। वर्तमान हालात कुछ ऐसे ही हैं। दोनों अपहृतों के कंकाल मिलने की बात पर परिजनों की हालत चिंताजनक है। वे डीएनए टेस्ट का इंतजार कर रहे हैं। यदि यह सच निकलता है तो पार्थ विश्वास व सौम्यजीत बसु के परिजनों को उनके घर लौटने की चाहत कभी पूरी नहीं होगी। ऐसे भी अपहरण के महीनों हो गए हैं, इसलिए आशंका तो थी ही कि उनकी हत्या कर दी गयी होगी? परिजनों ने न्याय के लिए तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी से भी उनके निवास पर जाकर गुहार लगायी थी। पिछले दिनों नक्सली समर्थक के रूप में चर्चित आंध्र के विद्रोही कवि बारबरा राव ने भी माओवादियों से शिक्षक को छोड़ देने की अपील की थी, लेकिन उनकी भी अपील पर अपराधियों का दिल नहीं पसीजा। जहां इतने कारण होंगे, तो पार्थ विश्वास की पत्‍‌नी द्वारा सरकार की तरफ से 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर उनके पति को दिए जाने वाले पुरस्कार को अस्वीकार करना, अंतहीन पीड़ा और दर्द को दर्शाता है।

काले धन,भारतीयों की करीब 70 लाख करोड़ रुपये की काली कमाई


नई दिल्ली। काले धन को लेकर चौतरफा सवालों से घिरी भारत सरकार की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। काली कमाई जमा करने के लिए कुख्यात स्विस बैंक अपने खातों की जानकारी नहीं देने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। स्विट्जरलैंड के इन बैंकों ने अपनी सरकार से अपील की है कि वह किसी भी देश द्वारा बड़ी संख्या में खातों की जानकारी मांगने वाले अनुरोध ठुकरा दे। अगर ऐसा होता है, तो इससे भारत सरकार के स्विस बैंकों से काला धन वापस लाने की कोशिशों को झटका लग सकता है।
अंतरराष्ट्रीय दबाव में स्विट्जरलैंड सरकार ने इस साल 15 फरवरी को गोपनीय बैंक खातों के बारे में सूचनाओं का आदान-प्रदान करने के नियमों में ढील देने की घोषणा की थी। काले धन का पता लगाने को कोशिशों में जुटे भारत जैसे कई देशों को स्विस सरकार के इस कदम से फायदा होने की उम्मीद है। अनुमान है कि भारतीयों की करीब 70 लाख करोड़ रुपये की काली कमाई विदेशी बैंकों में जमा है।
स्विस बैंकों को अपने ग्राहकों की संपत्तियां और खातों की जानकारी गुप्त रखने के लिए जाना जाता है। इन बैंकों ने सरकार को आगाह किया है कि वह किसी भी दूसरे देश के साथ स्वत: सूचना आदान-प्रदान के करार पर दस्तखत न करे। बैंकों ने अपने शीर्ष संगठन स्विस बैंकर्स एसोसिएशन [एसबीए] के जरिये सरकार तक यह बात पहुंचाई है। एसबीए ने सरकार से कहा कि ग्लोबल बैंकिंग प्रणाली में स्विस वित्तीय केंद्र के हितों की रक्षा के लिए ऐसा करना जरूरी है। यदि किसी देश का स्विट्जरलैंड के साथ सूचना आदान-प्रदान करार है, तो वह कर चोरी करने वाले संदिग्धों के नाम व पते बताकर स्विस सरकार से मदद ले सकता है।
भारत सरकार पर काले धन को विदेश से वापस लाने को लेकर विपक्ष के अलावा अदालत का भी काफी दबाव है। सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि सरकार को विदेश में काला धन जमा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। भारतीयों द्वारा स्विस बैंकों में जमा कराए गए काले धन का पता लगाने के लिए भारत और स्विट्जरलैंड के बीच संधि का प्रस्ताव इस समय वहां की संसद के पास है।

कन्या भू्रण हत्या

: आल इंडिया शिया पर्सनल ला बोर्ड ने कन्या भू्रण हत्या के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया। बोर्ड के दो दिनी अधिवेशन में भू्रण हत्या को 'हराम' करार दिया गया। कहा गया कि इस्लाम में केवल उसी सूरत में गर्भपात की इजाजत है, जब महिला की जान बचाने के लिए ऐसा अपरिहार्य हो।
बोर्ड ने 'हेल्पलाइन' शुरू करने की भी घोषणा की है। गर्भ में लड़की होने पर अगर ससुराल में बहू पर गर्भपात कराने के लिए दबाव पड़ता है, तो उसे हिम्मत कर इस 'हेल्पलाइन' पर बस एक फोन करना होगा, बाकी का काम बोर्ड सम्भाल लेगा। ऐसा न करने के लिए पति को समझाया जाएगा। अगर वह नहीं मानता है तो उस परिवार का समाजिक बहिष्कार का एलान हो जाएगा। उस परिवार में न कोई अपनी लड़की देगा और न ही उस परिवार की लड़की को अपने यहां ब्याहेगा। सुख-दुख में भी उस परिवार से कोई राब्ता नहीं रहेगा।
बोर्ड के अध्यक्ष मिर्जा मोहम्मद अतहर की अध्यक्षता में हुए अधिवेशन में शिया समुदाय से निकाह के समय ही 'मेहर' की राशि नकद चुकाने का अनुरोध किया। यह रकम लड़के वालों की तरफ से चुकाई जाती है। निकाह के समय ही 'मेहर' की राशि चुकाना 'सुन्नत-ए-रसूल' है। बोर्ड ने महंगी शादियों पर भी अपना विरोध दर्ज कराया। कम खर्च के लिए सामूहिक शादियों के आयोजन की बात कही। बोर्ड ने स्कूली पाठ्यक्रम में इमाम-ए-हुसैन की जीवनी को शामिल करने, लखनऊ की सड़कों के नाम यहां के नवाबों के नाम पर रखने, विभिन्न निगमों, आयोगों और विधान परिषद- राज्यसभा में शियाओं को नामित करने की वकालत की। अधिवेशन में कहा गया कि पांच करोड़ हिन्दुस्तानी शियाओं का राजनीतिक प्रतिनिधित्व एक प्रतिशत से भी कम है। बोर्ड ने कहा कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान में आतंकवादी संगठनों का शिकार होने वाले शियों को हिन्दुस्तान में राजनीतिक शरण दें।

नौकरी की तलाश में लखनऊ

खुद को समीक्षा अधिकारी होने का दावा कर एक व्यक्ति ने नौकरी की तलाश में लखनऊ आई युवती को अपने जाल में फंसा लिया। उसने युवती को सचिवालय में समीक्षा अधिकारी के ही पद पर नियुक्ति दिलाने का भरोसा दिलाकर 50 हजार रुपये हड़प लिए थे। आरोपी युवक रुपये ऐंठने के बाद फरार हो गया था। रविवार को युवती ने हनुमान सेतु के पास आरोपी को देखकर इसकी सूचना 100 नंबर पर दी और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
बिलग्राम, हरदोई निवासी सुशील गुप्ता की बेटी आरती नौकरी की तलाश में लखनऊ आई थीं। वह इंदिरानगर में अपनी बहन के घर ठहरी थीं। पुलिस के मुताबिक 22 सितम्बर 2010 को ओसीआर बिल्डिंग के पास सुल्तानपुर निवासी फैजान ने खुद को समीक्षा अधिकारी बताकर आरती को अपनी बातों में उलझा लिया। उसने आरती को समीक्षा अधिकारी की नौकरी दिलाने का झांसा देकर 50 हजार रुपये ऐंठ लिए थे। फैजान ने आरती को बताया था कि वह ओसीआर बिल्डिंग में ही रहता है। नौकरी न लगने पर आरती ने जब रुपये वापस मांगे तो फैजान अपना फोन बंद कर भाग निकला था। इंस्पेक्टर हुसैनगंज के मुताबिक रिपोर्ट दर्ज कर फैजान को गिरफ्तार कर लिया गया है।
  • नई दिल्ली। फर्जीवाड़ा करके पायलट बन एयर इंडिया में नौकरी हासिल करने का एक सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। पुलिस ने इस सिलसिले में फर्जीवाड़ा करने वाले एयर इंडिया के पायलट को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गिरफ्तार किया है। उसे देश के एयरलाइंस नियामक से फर्जी मार्कशीट का इस्तेमाल कर पायलट का लाइसेंस हासिल करने के आरोप में बंदी बनाया गया है।
    एक हफ्ते के भीतर फर्जीवाड़े के मामले में यह दूसरे पायलट की गिरफ्तारी है। जाली अंकपत्र इस्तेमाल करने के मामले में दो अन्य पायलटों पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। वे फरार हैं। इससे चिंतित नागरिक उड्डयन सचिव नसीम जैदी ने कहा कि डीजीसीए करीब चार हजार पायलटों के लाइसेंस की नए सिरे से जांच कर रहा है।
    नागरिक उड्डयन महानिदेशालय [डीजीसीए] की शिकायत पर जांच के बाद दिल्ली पुलिस ने शनिवार रात कैप्टन जेके वर्मा को दबोच लिया। डीजीसीए की शिकायत में कहा गया था कि कुछ पायलटों ने जाली मार्कशीट का इस्तेमाल करके लाइसेंस हासिल किया है। वर्मा के खिलाफ कार्रवाई के पूर्व इसी तरह के मामले में इंडिगो की निलंबित महिला पायलट परमिंदर कौर गुलाटी को आठ मार्च को गिरफ्तार किया गया था। गुलाटी ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर अनिवार्य एयरलाइंस ट्रासपोर्ट पायलट लाइसेंस [एएलटीपी] हासिल किया था। वर्मा ने भी लाइसेंस हासिल करने के लिए पायलट लाइसेंस परीक्षा के फर्जी अंकपत्र का इस्तेमाल किया था।
    दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, 'डीजीसीए ने हमें फर्जीवाड़ा करने वाले और पायलटों के नाम मुहैया कराए हैं। अब हमारे निशाने पर इंडिगो की पायलट मीनाक्षी सहगल और एमडीएलआर के पायलट स्वर्ण सिंह तलवार हैं।' अधिकारी का कहना है कि फर्जीवाड़े का मामला प्रकाश में आने के बाद उत्तर दिल्ली निवासी मीनाक्षी सहगल और जयपुर निवासी तलवार फरार हो गए हैं।

सभी मक्खन खाना चाहते हैं


नई दिल्ली। सरकार के लेखा परीक्षक ने दूर संचार मंत्रालय से स्पेक्ट्रम की उपलब्धता और विभिन्न एजेंसियों को किए गए आवंटन का ब्योरा मांगा है। इसके तहत विभाग को रक्षा से लेकर मोबाइल ऑपरेटरों तक का विवरण देना होगा। इसका मकसद इस दुर्लभ संसाधन का उपयोग प्रभावी तरीके हो यह सुनिश्चित करना है।
सूत्रों के अनुसार, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक [कैग] ने लेखा परीक्षण पूरा करने के लिए इस ब्योरे के साथ उस मूल्य की भी जानकारी मांगी है जिस पर ये स्पेक्ट्रम सभी एजेंसियों को आवंटित किए गए हैं। देश में दूरसंचार विभाग ही स्पेक्ट्रम का संरक्षक है। रक्षा, अंतरिक्ष, राष्ट्रीय दूर संवेदी एजेंसी [एनआरएसए] के अलावा गृह मंत्रालय और दूरसंचार सेवा प्रदाता इसी विभाग से स्पेक्ट्रम खरीदते हैं। इन एजेंसियों, विभागों और कंपनियों ने स्पेक्ट्रम के लिए कितनी फीस दी कैग इसकी जांच करेगा। यह भी जांच होगी कि वे आवंटित स्पेक्ट्रम की सही क्षमता के अनुसार उपयोग कर रहे हैं या नहीं। यह जानकारी मिली है कि कुछ एजेंसियों के पास स्पेक्ट्रम बेकार पड़े हैं, उनका कोई उपयोग नहीं हो रहा है।
यदि स्पेक्ट्रम इसी तरह पड़े मिले तो सरकार एक बार फिर उनकी नीलामी का सहारा ले सकती है। पिछले साल 3 जी और ब्रॉड बैंड स्पेक्ट्रम की बिक्री से सरकार को 1.06 लाख करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था।
कैग ने वर्ष 2008 में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा द्वारा किए गए 2 जी स्पेक्ट्रम के आवंटन में सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये की चपत लगाने का अनुमान लगाया था। उसकी जांच विभिन्न एजेंसियां कर रही हैं। इन सारी जानकारियों से कैग को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि किस तरह से प्रभावी ढंग से स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल किया जाए।
स्पेक्ट्रम एक दो विभागों का दावा
नई दिल्ली। एक ही स्पेक्ट्रम पर केंद्रीय सरकार के दो मंत्रालय अपना दावा जता रहे हैं। दूरसंचार मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में 700 मेगाह‌र्ट्ज बैंड पर दावे को लेकर टकराव की स्थिति है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का दावा है कि यह स्पेक्ट्रम दूरदर्शन के लिए आरक्षित है। दूरसंचार मंत्रालय ऐसे दावों को खारिज कर रहा है। उसका कहना है कि यह स्पेक्ट्रम मोबाइल सेवा और ब्रॉडबैंड वायरलेस सेवाओं के विस्तार के लिए लिया गया था। यह खास बैंड बहुत प्रभावी माना जाता है और पिछले साल 3जी स्पेक्ट्रम से जो राशि सरकार को मिली थी उससे अधिक राशि इससे मिल सकती है।

चाइनीज हैंडसेट



चीन से मोबाइल हैंडसेट का आयात कर गैरकानूनी तरीके से बिक्री करने वाले मोबाइल फोन डीलरो द्वारा 230 करोड़ रुपये की कर चोरी का मामला सामने आया है। दिल्ली सरकार ने कर चोरी का मामला पकड़ा है।
कर विभाग के शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि कर चोरी के अलावा डीलर ऐसे चाइनीज हैंडसेट बेच रहे हैं जिनमें अनिवार्य अंतरराष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान [आईएमईआई] संख्या नहीं है। ऐसे हैंडसेट सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
एक अधिकारी ने कहा कि हमने दिल्ली के 59 डीलरो की 230 करोड़ रुपये की कर चोरी का मामला पकड़ा है। ये डीलर वैट का भुगतान किए बिना हैंडसेट बेच रहे हैं। अब हमने उनको नोटिस जारी किया है।
पिछले कुछ माह के दौरान कर विभाग के अधिकारियो ने करोल बाग और गफ्फार मार्केट के मोबाइल फोन डीलरो के ठिकानों पर छापेमारी की है। सीमा शुल्क विभाग से कर विभाग को इसकी जानकारी मिली थी। इनमें से ज्यादातर डीलर चीनी हैंडसेट बेच रहे हैं।
अधिकारी ने कहा कि यह एक बड़ा रैकेट है। कर चोरी के अलावा यह सुरक्षा का भी मामला है, क्योंकि ज्यादातर हैंडसेट में आईएमईआई संख्या नहीं है। आतंकी इस तरह के हैंडसेटो का इस्तेमाल कर सकते हैं।

Thursday, March 3, 2011

Swantahsukhay


केरल यात्रा (Keral Tour)
२४ जनवरी को लगभग २ बजे अपरान्ह कोचीन एअरपोर्ट पहुँचा प्लेन से कोचीन का नजारा शहर हरा भरा ,सचमुच ईश्वर की धरती लग रहा था प्रकृति ने जीभर कर अपने नज़ारे यहाँ सुलभ किये हैं आदमी भी सरल अच्छे , चाय, रबड़, कॉफी, इलायची, सुपाड़ी, काजू, केला, गन्ना, अमरूद, काली मिर्च, अदरख, विभिन्न सब्जियों और मसालों के पेड़ों की न खत्म होने वाली श्रृंखला ने इस पूरी जमीन को ही जैसे हरियाली की चादर ओढ़ा दी है। इससे भी लगता है कि ईश्वर संतुष्ट नहीं हुआ तो उसने केरल में नदियों का जाल बिछा दिया।कुल मिलाकर इस छोटे से प्रदेश में 44 नदियां हैं , मसाले,आयुर्वेद मसाज , मार्शलआर्ट, कथकली हाउसबोट के अद्भुत दृश्य हैं होटल में तथा ड्राईबर  द्वारा जबतब आगाह किया जाता रहा कि बगल के प्रांत के रहनेवालों से सावधान  रहें



होटल की छोटी मिनी बस 



हार्बर ब्यू रेसीडेंसी कोची होटल  पहुँचा Harbour View Residency
Opp. Cochin Shipyard, M.G.Road, Cochin - 682015


रिसेप्सन



                                                                                                    बेड़ रूम
होटल बिल्डिंग
                                                                            बेड़ रूम

जहाँ से फ्रेश होने के बाद मेरीन ड्राइव 


मेरीन ड्राइव समुद्र थोड़ा गंदा था



मेरीन ड्राइव शाम का दृश्य

मेरीन ड्राइव किनारे लोग चहलकदमी करते हुए ,हाकर यहावहाँ  अपना सामान बेच रहे हैं  
मेरीन ड्राइव 






मेरीन ड्राइव 

मेरीन ड्राइव 
 रात में उक्त होटल के  टू ट्री रेस्टोरेंट में डिनर  दो छोटे-छोटे पेड़ बीच में हैं जिसके कारण इसका नामकरण है टू ट्री रेस्टोरेंट

टू ट्री रेस्टोरेंट

२५ जनवरी को मन्नार के लिए उक्त बस से प्रस्थान
कोचीन से गुजरते हुए एक मंदिर में पूजा का दृश्य

सफ़र के दरम्यान जहाँ ब्रेकफास्ट किया ,उसके बाहर इमली के पेड़ से इमली लेते हुए    इमली के पेड़ के फल तना से लेकर ऊपर तक और बहुतायत में तथा सर्वसुलभ

रास्ते में  रबर   गार्डेन,पाइन एप्पल के खेत , और मसालों के बाग़
थेकेडी इलाके में मसालों के उद्यान लगाए गए हैं जिनका उद्देश्‍य मसाला उत्‍पादन कम है वरन नर्सरी के रूप में एक ही जगह अलग अलग मसालों के चंद पौधे उगाकर उन्‍हें पर्यटकों को दिखाकर उनके विषय में बताना तथा फिर मसाने बेचना, मूल उद्देश्‍य है। इस यात्रा में एक उद्यान में हम गए...सौ रुपए प्रतिव्‍यक्ति की एंट्री फीस अधिक तो लगी (इसका अधिकांश हिस्‍सा उस ड्राइवर को चुपचाप दे दिया जाता हे जो पर्यटकों को ला ता है। नर्सरी मालिक की आमदनी उस बिक्री से होती है जो इन पर्यटकों को मसाले बेचने से होती है)।

रबड़ का पेड़









पाइन एप्पल


पाइन एप्पल




इलायचीका खेत

तेजपत्ता  




मसालों के बाग़ जिन मसालों को हम खाते हैं उनके प्राकृतिक रूप अविस्मर्णीय है  उत्‍पादनों का आनंद तो हम अपने खाने में लेते हैं लेकिन इन पौधों तथा उस प्रक्रिया से अनजान थे जिनसे ये मसाले बनते हैं- सबसे दिलचस्प पेड़ चाकलेट का लगा इसके बाद काली मिर्च,व लाल केला




पर्यटन सेक्टर की मशहूर वेबसाइट 'ट्रिप अडवाइजर' ने केरल के मन्नार को एशिया में दूसरे नंबर के खूबसूरत डेस्टिनेशन से नवाजा है। तोक्यो को एशिया के खूबसूरत जगहों में पहले नंबर पर और कंबोडिया के सीएम रीप स्थल को तीसरे नंबर पर रखा है। टॉप 25 खूबसूरत स्थलों की लिस्ट में अंडमान निकोबार द्वीप समूह को छठे नंबर पर, मनाली सातवें नंबर पर, हम्पी आठवें, गोवा नौवें और उदयपुर 12वें नंबर पर है। सिक्किम की राजधानी गंगटोक को 19वां, बेंगलुरु को 20वां और हिमाचल में धर्मशाला को 22 वां स्थान मिला है। जापान के ही क्योटो चौथे और नाहा पांचवें नंबर पर हैं। सिंगापुर को 14वें पायदान पर जगह मिली है।

मन्नार के होटल माउन्टेन ट्रेल में बिश्राम !!



होटल की बालकनी से जंगल और पहाड़

होटल की बालकनी से जंगल और पहाड़

होटल की बालकनी से जंगल और पहाड़

होटल की बालकनी से जंगल और पहाड़

होटल की बालकनी से जंगल और पहाड़

होटल की बालकनी से जंगल और पहाड़

उक्त होटल का कमरा
बालकनी






होटल से सूर्यास्त का दृश्य
रात्रि में अलाव का आनंद






२६ जनवरी को झंडारोहण


होटल का एक कोना


बाँध.








टी गार्डेन..







हांथी की सवारी,






 शाम को एक ग्राम  में मंदिर के पास दही हांडी का प्रसिद्ध खेल।इस खेल में स्थानीय लोगों ने कुछ परिवर्तन किये हैं । एक नजर में आसान खेल में मेरे सामने ही तीन चार लोग असफल रहे ।शायद इसकी वजह पट्टी बंधे  आदमी को भेजने  के पहले अपनी गोद में चार पांच बार घुमाना था जिससे वह दिग्भ्रमित हो जाता था

 रात्रि में उक्त होटल में लंच व बिश्राम!!
२७ को थेकेडी  के होटल ग्रीनवुड में बिश्राम !!



होटल का डाईनिंग   हाल

मसाज, 
इतना घूमने के बाद भी स्पा या आयुर्वेदिक मसाज के प्रति कोई उत्साह मेरे भीतर नहीं जागा था, पहली बार केरल जाकर भी नहीं। आयुर्वेद को भुनाने को लेकर हाल में जिस तरह की होड शुरू हुई है, उसमें यह पता लगाना जरूरी हो जाता है कि आप जहां जा रहे हैं, वहां आपको आयुर्वेद के नाम पर ठगा और लूटा तो नहीं जा रहा। क्योंकि अव्वल तो वैसे ही ये पैकेज महंगे होते हैं, दूसरी ओर सामान्य अपेक्षा यह होती है कि आप कुछ दिन रुककर पूरा ट्रीटमेंट लें, तो खर्च उसी अनुपात में बढ जाता है।

कत्थकली डांस,

मार्शल आर्ट





जंगल में ट्रेकिंग ,सबरमाला मंदिर ब्यू इत्यादि देखा गया








जंगल में दूर हाथी को देखते हुए


जंगल में हाथी के लीद की बिवेचना करते हुए जिससे यह सिद्ध होता है कि हाथी कितना समय पहले यहाँ से गया होगा


जंगल में हाथी के लीद को देखते हुए


जंगल में ब्रेकफास्ट और लंच रूम का गेट

जंगल में ब्रेकफास्ट और लंच रूम का गेट

जंगल में ब्रेकफास्ट और लंच रूम का गेट

जंगल में ब्रेकफास्ट और लंच रूम के बाहर एक पेड़ और उसके फल



एलेप्पी में हाउसबोट  में शाम व रात्रि । लंच,डिनर व दूसरे दिन का ब्रेकफास्ट  हाउसबोट  में।एलेप्पी ,एक छोटा शहर जिसे पूरब का रोम कहा जाता है, अद्भुत है।जैसे भी बना या बनाया गया है,आश्चर्यजनक है चारों तरफ पानी ,बीच में कुछ आवासीय मकान ,मंदिर ,चर्च इत्यादि ।
धान के खेत जो समुद्र तल से भी नीचे थे ,काबिले तारीफ़ हैं
छोटे बच्चे नाव चला रहे थे और उसी द्वारा जरूरी सामान ,आवागमन इत्यादि हो रहा था केरल में पतली-पतली छोटी सी नाव खूब चलती है। नदी किनारे या झील में दो फुट चौड़ी, दो-तीन फुट गहरी, 6,10 या 12 फुट लंबी नावें खूब नजर आती हैं। केरल में कहीं भी निकल जाएं सुबह या शाम किसी भी वक्त नारियल, धान के कटे हुए गट्ठर या अन्य सामान लादे हुए तैरती नाव नजर आ जाती है। इस यात्रा में कई जगह पानी की धाराएं मिलती हैं। कई जगह नहरों के दोराहे हैं तो कई जगह चौराहे। यह पूरा जलमार्ग बहुत व्यस्त है। शहरों की सड़कों पर जैसे बसें, कार, स्कूटर चलते हैं वैसे इस जलमार्ग पर स्टीमर, मोटरबोट और छोटी नावें आती-जाती हैं। रास्ते में कई घुमावदार मोड़ हैं, लेकिन कुशल स्टीमर चालक इस व्यस्त ट्रैफिक के बावजूद आसानी से स्टीमर लाते और ले जाते हैं।
शहरों में जिस तरह जगह-जगह बस स्टॉप हैं उसी तरह इस जलमार्ग पर नहर के किनारे-किनारे नाव स्टॉप हैं।
केरल नदी परिवहन प्राधिकरण ने सस्ते जल परिवहन का इंतजाम कर रक्खा है सिर्फ साढ़े छह रुपये की टिकट लेकर स्टीमर पर कोट्टायम से अलेप्पी तक सफर किया जा सकता है। करीब दो घंटे की यह यात्रा यादगार है। नहर के दोनों ओर नारियल, केले, सुपाड़ी और रबड़ के पेड़ों की अंतहीन कतार और इनके बीच में हैं धान के खेत। कुछ किमी की यात्रा के बाद यह नहर विस्तृत हो जाती है, बिल्कुल समुद्र की तरह। ऊंची-ऊंची लहरें, तेज गति से बहता चमकता-स्वच्छ पानी।
कोट्टायम है स्टीमर अड्डा
कोट्टायम केरल के लगभग मध्य में स्थित महत्वपूर्ण शहर है। कोट्टायम के लगभग बीच में ही है बोट जेटी (स्टीमर अड्डा)। यहां से अलेप्पी तक करीब 20 किमी की स्टीमर यात्रा
हाउसबोट की वालकोनी में

हाउसबोट की वालकोनी में
हाउसबोट की वालकोनी में




हाउसबोट का बेडरूम

हाउसबोट की वालकोनी

हाउसबोट    का ड्राईवर स्टीयरिंग  सम्हाले हुए


 

हाउसबोट से सूर्यास्त का दृश्य  

हाउसबोट से सूर्योदय  का दृश्य  


इसके बाद त्रिवेन्द्रम !! कीज होटल (Keys Hotel) में दो रात्रि बिश्राम !! मार्केटिंग तथा पद्मनाभं के दर्शन !!

रिसेप्सन


होटल बिल्डिंग


बेड़ रूम

पद्मनाभं स्वामी मंदिर का शीर्ष

पद्मनाभं स्वामी मंदिर का प्रवेश द्वार



पद्मनाभं स्वामी मंदिर  में मूर्ति

पद्मनाभं स्वामी  के दर्शन की तैयारी

पद्मनाभं स्वामी  के दर्शन की तैयारी


त्रिवेन्द्रम में समुद्र किनारा

त्रिवेन्द्रम में समुद्र किनारा


त्रिवेन्द्रम में समुद्र किनारा