Thursday, September 16, 2010
रिक्शा चालकों के लिए खुशखबरी है
राष्ट्रीय राजधानी के रिक्शा चालकों के लिए खुशखबरी है। उच्चतम न्यायालय ने शहर की सड़कों पर चलने वाले रिक्शों की संख्या को सीमित करने से इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया जिसमें कहा गया था कि शहर की सड़कों पर रिक्शों संख्या को सीमित किए बिना चल सकते हैं। इसमें कहा गया कि रिक्शों की संख्या को सीमित करने को तब लागू किया जा सकता है, जब अन्य तरह के वाहनों के लिए भी नीति बने। न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एके गांगुली की पीठ ने कहा, क्या आपके पास दिल्ली में अन्य वाहनों को सीमित करने के लिए नीति है। अगर आपने अन्य तरह के वाहनों को सीमित किया है तभी हम आपको रिक्शों की संख्या को सीमित करने की अनुमति देंगे। पीठ ने दिल्ली नगर निगम की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उच्च न्यायालय के 10 फरवरी के आदेश को चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय ने 10 फरवरी के अपने आदेश में कहा था कि आजीविका चलाने के रिक्शा चालकों के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता। शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की पीठ के उस आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है जिसके तहत शहर की सड़कों पर 99 हजार से अधिक रिक्शों को चलने की अनुमति नहीं देने के एमसीडी के फैसले को निरस्त कर दिया गया था।
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