Sunday, March 13, 2011

सभी मक्खन खाना चाहते हैं


नई दिल्ली। सरकार के लेखा परीक्षक ने दूर संचार मंत्रालय से स्पेक्ट्रम की उपलब्धता और विभिन्न एजेंसियों को किए गए आवंटन का ब्योरा मांगा है। इसके तहत विभाग को रक्षा से लेकर मोबाइल ऑपरेटरों तक का विवरण देना होगा। इसका मकसद इस दुर्लभ संसाधन का उपयोग प्रभावी तरीके हो यह सुनिश्चित करना है।
सूत्रों के अनुसार, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक [कैग] ने लेखा परीक्षण पूरा करने के लिए इस ब्योरे के साथ उस मूल्य की भी जानकारी मांगी है जिस पर ये स्पेक्ट्रम सभी एजेंसियों को आवंटित किए गए हैं। देश में दूरसंचार विभाग ही स्पेक्ट्रम का संरक्षक है। रक्षा, अंतरिक्ष, राष्ट्रीय दूर संवेदी एजेंसी [एनआरएसए] के अलावा गृह मंत्रालय और दूरसंचार सेवा प्रदाता इसी विभाग से स्पेक्ट्रम खरीदते हैं। इन एजेंसियों, विभागों और कंपनियों ने स्पेक्ट्रम के लिए कितनी फीस दी कैग इसकी जांच करेगा। यह भी जांच होगी कि वे आवंटित स्पेक्ट्रम की सही क्षमता के अनुसार उपयोग कर रहे हैं या नहीं। यह जानकारी मिली है कि कुछ एजेंसियों के पास स्पेक्ट्रम बेकार पड़े हैं, उनका कोई उपयोग नहीं हो रहा है।
यदि स्पेक्ट्रम इसी तरह पड़े मिले तो सरकार एक बार फिर उनकी नीलामी का सहारा ले सकती है। पिछले साल 3 जी और ब्रॉड बैंड स्पेक्ट्रम की बिक्री से सरकार को 1.06 लाख करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था।
कैग ने वर्ष 2008 में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा द्वारा किए गए 2 जी स्पेक्ट्रम के आवंटन में सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये की चपत लगाने का अनुमान लगाया था। उसकी जांच विभिन्न एजेंसियां कर रही हैं। इन सारी जानकारियों से कैग को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि किस तरह से प्रभावी ढंग से स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल किया जाए।
स्पेक्ट्रम एक दो विभागों का दावा
नई दिल्ली। एक ही स्पेक्ट्रम पर केंद्रीय सरकार के दो मंत्रालय अपना दावा जता रहे हैं। दूरसंचार मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में 700 मेगाह‌र्ट्ज बैंड पर दावे को लेकर टकराव की स्थिति है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का दावा है कि यह स्पेक्ट्रम दूरदर्शन के लिए आरक्षित है। दूरसंचार मंत्रालय ऐसे दावों को खारिज कर रहा है। उसका कहना है कि यह स्पेक्ट्रम मोबाइल सेवा और ब्रॉडबैंड वायरलेस सेवाओं के विस्तार के लिए लिया गया था। यह खास बैंड बहुत प्रभावी माना जाता है और पिछले साल 3जी स्पेक्ट्रम से जो राशि सरकार को मिली थी उससे अधिक राशि इससे मिल सकती है।

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