Sunday, February 27, 2011

बुद्ध प्रतिमाओं के अवशेष

लंदन, आइएएनएस : अफगानिस्तान में बामियान की बुद्ध प्रतिमाओं के अवशेष का अध्ययन करने वाले एक दल ने खुलासा किया है कि इस्लाम के उदय से पहले इन प्रतिमाओं को कई बार रंगा गया था। एक वक्त ऐसा भी था, जब ये बेहद रंगीन थीं। इसका खुलासा जर्मनी में टेक्निक यूनीवर्सिटेट म्यूनचेन (टीयूएम) के रेस्टोरेशन, आर्ट टेक्नोलॉजी एंड कंजरवेशन साइंस के विद्वानों ने किया है। टीम के प्रमुख इर्विन इमर्लिग ने कहा कि एक समय में बुद्ध प्रतिमाएं बेहद रंगीन थीं। छठी शताब्दी ईसा पूर्व की दो विशालकाय बुद्ध प्रतिमाओं को तालिबानियों ने 10 साल पहले नष्ट कर दिया था। अध्ययनकर्ताओं के अनुसार, प्रतिमाओं का बाहरी आवरण गहरे नीले रंग से रंगा गया था, जबकि अंदर से इन्हें गुलाबी रंग से रंगा गया था। बाद में शीर्ष पर इसे नारंगी रंग से रंग दिया गया। फिर बड़ी बुद्ध प्रतिमाओं को लाल रंग और छोटी प्रतिमाओं को सफेद रंग से रंगा गया, जबकि इनके अंदरूनी हिस्सों को नीले रंग से रंगा गया। टीयूएम के शोध के अनुसार 11वीं शताब्दी की बुद्ध प्रतिमाओं का रंग लाल और चांदनी रंग सा सफेद था।

कृषि योग्य भूमि करीब दो फीसदी तक घट गई है।

नई दिल्ली,: कृषि उत्पादन बढ़ा कर महंगाई को काबू में करने का मंसूबा सरकार भले ही पाल रही हो मगर हकीकत यह है कि खेती लायक जमीन में लगातार कमी होती जा रही है। उद्योगों के विकास और आवासीय परियोजनाओं के लिए खेती की जमीन के उपयोग के चलते पिछले दो दशक में कृषि योग्य भूमि करीब दो फीसदी तक घट गई है। देश की बढ़ती आबादी और ज्यादातर लोगों की कृषि पर निर्भरता को देखते हुए इसे अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता। कृषि मंत्री शरद पवार द्वारा हाल में संसद में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 1988-89 में 18 करोड़ 51.42 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि थी, जो 2008-09 तक घटकर 18 करोड़ 23.85 लाख हेक्टेयर रह गई। इस तरह कृषि योग्य भूमि के रकबे में 27.6 लाख हेक्टेयर की कमी आई। पवार ने आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय (डीएसी) की रिपोर्ट के हवाले से कहा था कि पिछले दो दशक से हर साल कृषि योग्य भूमि घट रही है। हालांकि नई तकनीक और हाइब्रिड बीजों से जमीन की कमी होने के बावजूद 1988-89 से 2008-09 के दौरान खाद्यान्न उत्पादन सालाना 16.99 करोड़ से बढ़कर 23.45 करोड़ टन हो गया। यह उत्पादन स्तर में 38 प्रतिशत की जबर्दस्त वृद्धि दर्शाता है। मगर आगे भी यह वृद्धि बरकरार रहेगी इसमें संदेह है क्योंकि जनसंख्या का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। कृषि योग्य भूमि की गिरावट को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में पवार ने कहा कि संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार कृषि भूमि का विषय राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में है। कृषि योग्य भूमि को गैर कृषि कार्यो के लिए इस्तेमाल में लाने से रोकने की जिम्मेदारी राज्यों की है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने किसानों के लिए राष्ट्रीय नीति और राष्ट्रीय पुनर्वास एवं पुनस्र्थापन नीति वर्ष 2007 में तैयार की। इसमें भी कृषि भूमि का गैर-कृषि कार्यो के लिए इस्तेमाल रोकने की परिकल्पना की गई है। कृषि राज्य मंत्री अरुण यादव ने पिछले हफ्ते संसद को बताया कि 2001 की जनगणना के अनुसार देश के 40.22 करोड़ श्रमिकों में 58.2 फीसदी कृषि क्षेत्र पर आश्रित थे।

बंजारों की संख्या दस करोड़ ,ना राशन कार्ड,ना ही मताधिकार 500 करोड़ खर्च

/WjYCwiतमाशा दिखाने वाले बंजारों (भीलों) की जिंदगी खुद ही एक तमाशा बन कर रह गई है। इनका न कोई वर्तमान है, न ही भविष्य। उन्हें दो जून की रोटी और चंद सिक्कों के लिए कोड़ों से अपने आपको तब तक पीटना पड़ता है जब तक उनके शरीर पर खून न उतर आए और देखने वाले की आंखें गीली न हो जाएं। सरकार की किसी भी योजना से इनका दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। योजनाएं कागजों तक ही सीमित रहती हैं और पैसा अधिकारियों की जेब के हवाले हो जाता है। देश के महानगरों में सड़कों पर, बाजारों में कहीं भी बंजारे तमाशा दिखाते या भीख मांगते मिल जाते हैं। एक महिला गीत गाते हुए ढोल बजाती है और उसके सामने एक पुरुष अपने आपको कोड़ों से लहूलुहान करता है। कोड़ों की आवाज जितनी तेज आती है, उतनी ही अधिक तालियां बजती हैं। किंतु इनकी चीखें न सरकार तक पहुंच पाती है और न ही इन तमाशबीनों तक। ये बंजारे अमूमन 40 से 70 रुपये पूरे दिन में कमा पाते हैं। इनका यह खेल चाबुक तक ही सीमित नहीं रहता। लोगों की जेब से पैसा निकालने के लिए बंजारे अपने हाथों में लोहे के सूएं तक घोंप लेते हैं। इन बंजारों तक विकास की रोशनी नहीं पहुंच पाई है। इस वर्ग में साक्षरता दर करीब-करीब शून्य है। इसका एक कारण तो यह है कि इनके बच्चे तीन साल की उम्र से ही भीख मांगना या करतब दिखाना शुरू कर देते हैं। और दूसरे, स्थायी आवास न होने के कारण ये एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते हैं। सहीं अथरें में इन्हें भारत का नागरिक ही नहीं समझा जाता है। जनजातियों की स्थिति के अध्ययन के लिए फरवरी 2006 में बने आयोग के अध्यक्ष बालकिशन रेनके के अनुसार केंद्र सरकार के पास इन्हें राहत देने के लिए कोई कार्ययोजना नहीं है, इसलिए इन्हें राज्यों के अधीन कर दिया गया है। पहली और तीसरी पंचवर्षीय योजना तक इनके लिए प्रावधान था लेकिन किसी कारणवश यह राशि खर्च नहीं हो सकी, तो इन्हें इस सूची से ही हटा लिया गया। काका कालेलकर आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था, कुछ जातियां अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ी जातियों से भी पिछड़ी हैं। योजनाओं में उनके लिए अलग से प्रावधान होना चाहिए। मुक्तिधार संस्था के अनुसार बंजारों की संख्या दस करोड़ से भी ज्यादा है। फिर भी इन्हें आज तक ना राशन कार्ड मिला है और ना ही मताधिकार का हक। देश में अनुसूचित जाति जनजाति के लिए 500 करोड़ से भी अधिक धनराशि खर्च करने का प्रावधान है लेकिन इन्हें कुछ भी हासिल नहीं। बंजारा जाति की सामाजिक एवं आर्थिक दशा काफी पिछड़ी हुई है। पिछली प्रदेश सरकारों में इस जाति को पिछड़ी जाति में शामिल करने का आश्र्वासन दिया लेकिन मामला अटका ही रह गया। सरकारी -गैरसरकारी नौकरियों पर निगाह डाली जाए तो इनकी भागीदारी लगभग नहीं के बराबर है। बंजारा जाति की सामाजिक दशा सुधारने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकारों से इन्हें अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग भी समय-समय पर उठती रही हैं, लेकिन इनके कल्याण के लिए किसी ने कोई जहमत नहीं उठाई। राजनीतिक आकाओं ने इसलिए भी कोई पहल नहीं की कि उनके वोट भी तो नहीं मिलते। भारत सरकार को चाहिए कि मूलभूत अधिकारों से भी वंचित बंजारों को विकास की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए विशेष योजनाएं बनाए ताकि उन्हें भी औरों की तरह अपनी मुकम्मल जमीन मिल सके। आर्थिक सुधार के लिए विशेष पैकेज मिले, बच्चों के लिए नि:शुल्क कोचिंग और स्कूली व्यवस्था की जाए तभी शायद उनकी दशा सुधर सकती है।

मंत्रियों और अधिकारियों

नई दिल्ली, : अमेरिका से छह पुराने हेलीकाप्टरों की खरीद से जुड़े मंत्रियों के नाम सार्वजनिक किए जाएंगे। सूचना के अधिकार याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) ने रक्षा मंत्रालय को सौदे से जुड़े मंत्रियों और अधिकारियों के नाम बताने का निर्देश दिया है। अमेरिकी सेना से चरणबद्ध ढंग से बाहर किए गए इन हेलीकाप्टरों को खरीदने पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने सख्त आपत्ति जताई है। भारतीय नौसेना ने पहले इस बारे में कोई जानकारी देने से इंकार कर दिया था। उसका कहना था कि ऐसी जानकारी देना राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करना होगा। नौसेना ने इसके लिए आरटीआइ कानून की धारा 8(1)(अ) के तहत छूट का हवाला दिया था। याचिकाकर्ता सुभाष अग्रवाल ने नौसेना से इस सौदे और कैग की आपत्तियों पर सेना की ओर से दिए गए जवाब की जानकारी मांगी थी। इसके अलावा इस सौदे को मंजूरी देने वाले मंत्रियों, रक्षा सचिवों और अन्य अधिकारियों के नाम बताने को कहा था। अग्रवाल की याचिका की सुनवाई करते हुए सूचना आयुक्त एम. एल. शर्मा ने नौसेना से कारण बताने को कहा कि क्यों इसकी सूचना नहीं दी जाए? जबकि कैग की रिपोर्ट से इस सौदे की जानकारी पहले ही जनता को हो चुकी है।

महिला

महिला सशक्तीकरण की दिशा में सरकारी योजनाओं का हश्र देखना हो तो उत्तराखंड पधारें, जहां गरीब महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की योजना खुद गुमनामी में सिसक रही है। केंद्र वित्त पोषित स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना से गत पांच साल में किसी भी महिला को लाभ नहीं मिल सका है। इस निराशाजनक सच्चाई के बीच सुखद पहलू यह है कि योजना के तहत पहली बार सरकार ने 14 महिला स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय मदद दी है। देहरादून में स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना की चिंताजनक तस्वीर इसका पुष्ट उदाहरण है। योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए दो वगरें में वित्तीय सहायता का प्रावधान है। अर्हता सिर्फ इतनी भर कि आवेदक महिला का स्वयं सहायता समूह एक वर्ष की अवधि से चल रहा हो। इसमें रोजगार के लिए समूह की प्रत्येक महिला को दो हजार रुपये और समूह को अधिकतम पच्चीस हजार रुपये दिए जाने का प्रावधान है। बशर्ते समूह का कामकाज योजना की कसौटी पर खरा उतरे। साथ ही, समूह की बचत राशि की भी गणना की जाती है। जिसके हिसाब से समूहों में प्रोत्साहन राशि बांटी जाती है। दून में भी यह योजना पांच साल पहले शुरू की गई, लेकिन अफसोस इस बीच किसी को भी योजना का लाभ नहीं मिल पाया। योजना के फोकस ग्रुप (गरीब महिलाएं) के बीच निसंदेह जागरूकता का अभाव है, मगर, सरकारी स्तर पर भी योजना के प्रचार-प्रसार की कोई ठोस रणनीति नहीं दिखाई पड़ी। बहरहाल, इस वर्ष 14 महिला स्वयं सहायता समूहों के प्रस्ताव जरूर नगर निगम के पास पहुंचे हैं। योजना के दूसरे वर्ग में अभी तक भी कोई आवेदन नहीं आया है, जिसमें 35 फीसदी अनुदान के साथ अधिकतम तीन लाख रुपये के ऋण का प्रावधान है। उपनगर अधिकारी नीरज पांडे बताते हैं कि पहली बार आगे आए 14 स्वयं सहायता समूहों को महिला दिवस के मौके पर प्रोत्साहन राशि के चेक सौंपे जाएंगे। योजना के प्रचार-प्रसार पर भी खास ध्यान केंद्रित किया जाएगा, ताकि ज्यादा लोगों को इसका लाभ मिल सके। क्या है प्रक्रिया.. : महिला स्वयं सहायता समूह की ओर से प्रोजेक्ट बनाकर नगर निगम को भेजा जाता है, जिसे निगम अनुमोदन के लिए बैंक भेजता है। सूडा की ओर से लोन का 35 फीसदी अथवा तीन लाख रुपये, जो भी कम हो उसका चैक निगम के मार्फत बैंक को भेजा जाता है। ऐसे में आवेदक को शेष राशि के हिसाब से ही ऋण का भुगतान करना होता है। यह योजना भी पांच वर्ष पूर्व लागू की जा चुकी है, लेकिन इसमें आज तक लोन के लिए निगम के पास कोई प्रस्ताव नहीं आया।

गरीब मेधावियों की सीटें रसूख वालों के लाडले हथिया रहे हैं।

ठ्ठ कृष्ण मुरारी पाण्डेय, सिवान बिहार के सिवान जिले में स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय में गरीब मेधावियों की सीटें रसूख वालों के लाडले हथिया रहे हैं। विद्यालय में 2010-11 में प्रवेश के लिए जिले के अधिकांश विद्यालयों से ऐसे विद्यार्थियों के फार्म भरे गये हैं जिनका विद्यालय की प्रवेश पंजी में नाम ही नहीं है। प्रखंड संसाधन केंद्र के अधिकारी कमलेश्वर ओझा के भौतिक सत्यापन में इस धांधली का खुलासा हुआ है। सत्यापन में पाया गया है कि नवोदय विद्यालय में प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन जमा करने वाले प्राथमिक विद्यालय खुरमाबाद के 23 में से 18, उच्च मध्य विद्यालय जमसिकरी के 12 में से दो, मध्य विद्यालय नया बाजार उर्दू के 17 में से एक बच्चे का स्कूल में दाखिला ही नहीं हुआ है। अंग्रेजी माध्यम में आवेदन करने वाले जिले के 159 विद्यालयों में से अब तक 85 के अभिलेखों का सत्यापन हुआ है, जिसमें 35 विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों ने बाहरी बच्चों को नवोदय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा में शामिल कराने का प्रयास किया है। सूत्रों के मुताबिक, रसूख वाले धन-बल के दम पर प्रधानाध्यापकों व मेडिकल टीम को प्रभाव में लेकर कमजोर और अभिवंचित वर्ग के बच्चों को विद्यालय से बेदखल कर रहे हैं। नवोदय विद्यालय के प्रधानाचार्य डा.आर. कपूर ने स्वीकारा किया कि कुछ विद्यालयों से गलत तरीके से चयन परीक्षा के लिए आवेदन जमा होने की शिकायत मिली है जिसकी जांच हो रही है। जिला शिक्षा पदाधिकारी ज्योति कुमार ने बताया कि खंड विकास अधिकरियों को गलत आवेदन फार्म चिन्हित करने के आदेश दिए गये हैं। दोषी व्यक्तियों पर कार्रवाई की जायेगी।

ब्रेकीथेरेपी

गोरखपुर। ब्रेकीथेरेपी से कैंसर का बिना किसी दुष्प्रभाव इलाज संभव है। इससे आसपास की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बगैर सीधे कैंसर ग्रस्त ट्यूमर का इलाज किया जाता है।
यह बातें रविवार को यहां रीजनल कैंसर सेन्टर, कमला नेहरू मेमोरियल हास्पिटल इलाहाबाद के एडिशनल डायरेक्टर डा. एस.पी. मिश्र ने एसोसिएशन आफ रेडिएशन आंकोलॉजिस्ट आफ इण्डिया के यूपी चैप्टर के 24 वें सम्मेलन में कहीं। उन्होंने कहा कि इलाज की इस तकनीक की खास बात यह है कि इसमें सम्बन्धित अंगों की कार्यक्षमता पर प्रभाव नहीं पड़ता। इसमें कैंसर प्रभावित अंग पर एप्लीकेटर लगाकर रिमोट से विकिरण डाला जाता है।
नई दिल्ली के चिकित्सक डा. शैली हुक्कू ने एडाप्टिव रेडियोथेरेपी इन हेड एण्ड नेक कैंसर विषय पर व्याख्यान में कहा कि रेडियोथेरेपी से अंगों की कार्यक्षमता पर भी दुष्प्रभाव नहीं होता। नई दिल्ली की डा. सपना नांगिया ने स्टीरियोटेप्टिक रेडियोथेरेपी के बारे में बताया कि यह रेडियोथेरेपी की अत्याधुनिक तकनीक है। इसका प्रयोग फेफड़ा तथा हड्डी के कैंसर व ब्रेन ट्यूमर में किया जाता है।
पीजीआई लखनऊ की डा. पुनीता लाल ने कहा कि भारी संख्या में कैंसर के मामले लाइलाज होते हैं। बाद में मरीज की मौत हो जाती है। ऐसे में मरीजों को दर्द से निजात के साथ उनकी देखरेख जरूरी है। उन्होंने बताया कि पीजीआई में एक टीम गठित की गई है, जो बुलाए जाने पर मरीजों के घर जाकर देखरेख करती है।
अलीगढ़ मेडिकल कालेज के रेडियोथेरेपी विभाग के प्रोफेसर डा. एस.के. सिद्दीकी ने कहा कि पूरे विश्व में स्तन कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं और यह मौत की बड़ी वजह भी है। बच्चेदानी के कैंसर के इलाज की आगरा मेडिकल कालेज की डा. सुरभि गुप्ता ने कहा कि शुरू में पहचान से इसका पूर्ण इलाज संभव है, लेकिन अधिकांश महिलाएं तीसरे व चौथे स्टेज में आती है। सम्मेलन का उद्घाटन विधान परिषद के सभापति गणेश शंकर पाण्डेय ने किया।

लोकतंत्र

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लोकतंत्र का नया शास्त्र गढ़ना होगा

लोकतंत्र के इस नए शास्त्र को गढ़ने में भारत एक विशिष्ट भूमिका अदा कर सकता है.
पहले टुनिशिया, फिर मिस्र और अब लीबिया, तो क्या लोकतंत्र की बयार अरब दुनिया तक पंहुचेगी? लोकतंत्र के ठेकेदार बड़ी मासूमियत से यह सवाल पूछते हैं.
इस सवाल में संदेह का बीज छुपा है कि क्या मुस्लिम समाज अपने आप को आधुनिक लोकतान्त्रिक व्यवस्था के अनुरूप ढाल पायेगा?
लोकतंत्र के हर पश्चिमी विशेषज्ञ के पास इन दकियानूसी समाजों को लोकतान्त्रिक बनाने के नुस्खे हैं. यहाँ लोकतंत्र का भविष्य जो भी हो, लोकतंत्र के पंडे-पुजारियों का भविष्य बहुत उज्ज्वल है.

चाहे काशी हो, अजमेर शरीफ या फिर रोम, इस दुनिया का हर पवित्र विचार देर-सबेर एक व्यवसाय बन जता है.
पंडों की फ़ौज के साथ एक प्रतिष्ठान उसपर काबिज़ हो जाता है. यही लोकतंत्र के साथ हुआ है.
लोकतंत्र के नाम पर अश्वेत दुनिया को यूरोप और उत्तरी अमरीका की जीवन शैली दिखाई जा रही है, पश्चिमी उदारवार की घुट्टी पिलाई जा रही है, पूँजीवाद की व्याकरण सिखाई जा रही है.
गोरी दुनिया ने लोकतंत्र के विशेषज्ञों की एक फ़ौज तैयार कर रखी है. जैसे ही तख्ता पलट की गर्द छंट जायेगी और हवाई अड्डे सुरक्षित हो जायेंगे, वैसे ही ये ‘रायबाज़’ टिड्डियों के दल की तरह उतरने लगेंगे.

विचार बनाम व्यवसाय

देश का नाम भले ही न जानते हों, उसे लोकतान्त्रिक संविधान का खाका बनाकर देने के लिये तत्पर रहेंगे.
जीवन में एक दिन भी चाहे राजनीति न की हो, राजनीतिक दलों को प्रशिक्षण देना शुरू कर देंगे. बड़े होटलों में भले सेमिनार शुरू हो जायेंगे.

जाहिर है इस धंधे में ज्यादा सोचने की गुंजाइश नहीं रहती. विचार बने-बनाए हैं और दृष्टी सुस्थिर.
उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी एशिया को ‘मध्य-पूर्व’ कहने की रवायत इस दृष्टी का परिचायक है.
अगर भारत से देखें तो इस क्षेत्र को ‘मध्य-पश्चिम’ कहना चाहिए. निगाह दक्षिण अफ्रीकी हो तो यह ‘उत्तर कहलायेगा और अगर लातिन अमरीका के देश चिली में बैठे हों तो ‘पूर्वोत्तर’.
सिर्फ यूरोप में बैठकर ही इस इलाके को ‘मध्य-पूर्व’ कहा जा सकता है ! यह दृष्टीदोष लोकतंत्र के स्थापित शास्त्र में घुस गया है.
यानि ‘कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना’, मसला दुनिया भर का है, लेकिन दृष्टी यूरोपीय ही है.
लोकतंत्र के नाम पर अश्वेत दुनिया को यूरोप और उत्तरी अमरीका की जीवन शैली दिखाई जा रही है, पश्चिमी उदारवार की घुट्टी पिलाई जा रही है, पूँजीवाद की व्याकरण सिखाई जा रही है.

आकाँक्षाओं का विस्फोट

जब सोवियत संघ के टुकडे़ हुए, उसके अधिकाँश देशों में भी लोकतंत्र का ढकोसला हुआ, तरह तरह की लोकतान्त्रिक तानाशाहियाँ स्थापित हुईं, लोकतंत्र का इस्तेमाल एक बर्बर पूंजीवादी व्यवस्था को लादने के लिए किया गया.
तानाशाही या राजतन्त्र तले पिस रही जनता के विद्रोह और उसकी आकाँक्षाओं के विस्फोट को एक विशेष दिशा में मोड़ा जा रहा है.
अगर जनता इस तयशुदा मॉडल के हिसाब से विद्रोह करने को तैयार न हो तो उसे बन्दूक की नोक से तोड़ा जा रहा है.
इराक़ और अफ़गानिस्तान की तरह दुनिया के कई इलाकों में लोकतंत्र राजनैतिक स्वतंत्रता की जगह पराधीनता का पर्याय बन चुका है.

लोकतंत्र का स्थापित शास्त्र यह मान कर चलता है कि लोकतंत्र का विचार दुनिया को पश्चिमी सभ्यता की सौगात है.
दुनिया भर में नागरिक शास्त्र की पाठ्यपुस्तकें प्राचीन एथेन्स और अब्राहम लिंकन के हवाले से लिखी जाती हैं.
इसे स्वयं सिद्ध मान कर चलती हैं कि लोकतान्त्रिक व्यवस्था का मतलब है कमोबेश वही संस्थागत ढांचा जैसा कि यूरोप और अमरीका के लोकतान्त्रिक समाजों ने अपनाया.
इस ढांचे में चुनाव हैं, प्रतिनिधि हैं, संसद है, उसके प्रति जवाबदेह सरकार है, कोर्ट-कचहरी है और अधिकारों की रक्षा करने वाला लिखित संविधान भी है.
लेकिन लोक और तंत्र के बीच बनी खाई तो पाटने की कोई व्यवस्था नहीं है, स्वराज कि कोई गारंटी नहीं है.

अंतरराष्ट्रीय चौकीदार

उदारपंथी सलमान तासीर यूं तो अल्पसंख्यक समुदाय के लोकतान्त्रिक अधिकारों की रक्षा के लिये शहीद हुए. लेकिन उनके हत्यारे के समर्थन में पाकिस्तान में स्वतस्फूर्त जुलूस निकले, हजारों आम लोगो ने हत्यारे के साथ सहानुभूति जताई.
लोकतंत्र की इस समझ के चलते दुनिया भर में लोकतंत्र के नाम पर खानापूरी वाले निजाम कायम हो रहे हैं.
स्वाधीनता की आकांक्षा को जल्द ही एक बने बनाए खांचे में ढाल दिया जाता है. अंतरराष्ट्रीय चौकीदारों की उपस्थिति में चुनाव हो जाते हैं.
जो तबका कल तक तानाशाही या राजतन्त्र के नाम पर राज कर रहा था, उसी तबके के कुछ नए चेहरे अब लोकतंत्र के नाम पर राज करने लगते हैं.
नए राज में जनता की आवाज़ सुनी जाती है या नहीं, इसकी किसे परवाह है. बस खेल ख़त्म, डॉलर हज़म.
अभी से हम नहीं कह सकते कि मिस्र, टुनिशिया और लीबिया में यही होगा. लेकिन अगर पूरी दुनिया में लोकतंत्र विस्तार की कहानी को देखें तो यही संभावना सबसे अधिक है.

यह त्रासदी अपने भयावह स्वरुप में इराक़ और अफ़गानिस्तान में देखी जा सकती है.
लोकतंत्र के इस नाटक में लोगों को न तो स्वराज मिला न ही सुशासन, बल्कि जो रहा सहा राज-काज और अमन था वो भी जाता रहा.
जब सोवियत संघ के टुकडे़ हुए, उसके अधिकाँश देशों में भी लोकतंत्र का ढकोसला हुआ, तरह तरह की लोकतान्त्रिक तानाशाहियाँ स्थापित हुईं, लोकतंत्र का इस्तेमाल एक बर्बर पूंजीवादी व्यवस्था को लादने के लिए किया गया.

लोकतंत्र का परचम

पश्चिम की लोकतान्त्रिक परंपरा की जाँच करके उसमे स्थानीय और सार्वभौम हिस्सों को अलग करना होगा. पश्चिम के लोकतान्त्रिक विचार की दुनिया भर में अलग अलग व्याख्या हुई.
नतीजतन लोकतंत्र का परचम अपनी आभा खो बैठता है.
लोकतंत्र की हिमायत करने वाला एक छोटा सा आधुनिकता-पसंद अभिजात्यवर्ग होता है. लेकिन जनता जनार्दन इस विचार से जुड़ नहीं पाती है.
पाकिस्तान में पंजाब सूबे के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या इस अलगाव की एक नवीनतम मिसाल है.
उदारपंथी सलमान तासीर यूं तो अल्पसंख्यक समुदाय के लोकतान्त्रिक अधिकारों की रक्षा के लिये शहीद हुए. लेकिन उनके हत्यारे के समर्थन में पाकिस्तान में स्वतस्फूर्त जुलूस निकले, हजारों आम लोगो ने हत्यारे के साथ सहानुभूति जताई.
दूसरे देशों में इस अलगाव का फायदा उठाकर शासक लोग यह दावा करते हैं कि लोकतंत्र का विचार एक विदेशी विचार है.
सिंगापुर के पूर्व-शासक ली क्वान यु तो सरेआम कहते थे कि लोकतंत्र का विचार एशिया की संस्कृति के अनुरूप नहीं है.

एक नया शास्त्र

लोकतंत्र की पश्चिमी ठेकेदारी इस खूबसूरत सपने का दम घोंट रही है. कहने को दुनिया भर में लोकतंत्र फैल रहा है.
मिस्र के लोकतंत्र में उसकी अपनी सभ्यता का ताना-बाना होगा, उसके अपने अनुभव का रंग होगा, उसके धर्म और मूल्यों की छाप होगी. लोकतंत्र के इस नए शास्त्र को गढ़ने में भारत एक विशिष्ट भूमिका अदा कर सकता है. बशर्ते हम भारतीय लोकतंत्र के भारतीय स्वरुप को चिन्हित करने और उसे अपनाने का साहस कर सकें.
हर शासक लोकतान्त्रिक होने का तगमा लटकाना चाहता है. लेकिन लोकतंत्र के विचार को इकहरा बनाये रखने की ज़िद इसे सार्वभौमिक होने से रोकती है.

इसलिए जो लोग लोकतंत्र को सचमुच सार्वभौमिक विचार के रूप में स्थापित करना चाहते हैं उन्हें लोकतंत्र के नया शास्त्र गढ़ना होगा.
यह शास्त्र प्राचीन यूनान के साथ साथ उन तमाम धाराओं और उपधाराओं की शिनाख्त करेगा जो आज लोकतंत्र के विचार का स्त्रोत हैं.
यह भारत में गणतंत्र की संस्था हो सकती है, बुद्ध संघ की परंपरा हो सकती है, इस्लाम में उम्मा कि परिकल्पना हो सकती है या फिर दुनिया भर में आदिवासी समाज के रीति-रिवाज.
बेशक इनमें से कोई भी परंपरा जैसी की तैसी लोकतान्त्रिक नहीं होगी, लेकिन कुछ अंश जरूर बहुमूल्य होंगे.
साथ ही साथ पश्चिम की लोकतान्त्रिक परंपरा की जाँच करके उसमे स्थानीय और सार्वभौम हिस्सों को अलग करना होगा. पश्चिम के लोकतान्त्रिक विचार की दुनिया भर में अलग अलग व्याख्या हुई.

आधुनिक लोकतंत्र

भारत, दक्षिण अफ्रीका और बोलिविया जैसे देशों ने पश्चिमी लोकतंत्र के ढांचे में ही अनूठे प्रयोग किये. आज यह सब एक वैश्विक विरासत का हिस्सा हैं.

जिस मिस्र ने दुनिया को सभ्यता का पाठ पढाया, उसे आज लोकतंत्र का निर्माण करने के लिये नए सिरे से राजनीति का कायदा सीखने कि जरूरत नहीं है.
बेशक लोकतान्त्रिक मिस्र, दुनिया भर के लोकतान्त्रिक प्रयोग के सबक अपने सामने रखना चाहेगा.
जैसे मिस्र की सभ्यता आज पूरी दुनिया की विरासत है, वैसे ही मिस्र आधुनिक लोकतंत्र के अनुभव का वारिस है.
लेकिन मिस्र के लोकतंत्र में उसकी अपनी सभ्यता का ताना-बाना होगा, उसके अपने अनुभव का रंग होगा, उसके धर्म और मूल्यों की छाप होगी.

लोकतंत्र के इस नए शास्त्र को गढ़ने में भारत एक विशिष्ट भूमिका अदा कर सकता है.
बशर्ते हम भारतीय लोकतंत्र के भारतीय स्वरुप को चिन्हित करने और उसे अपनाने का साहस कर सकें

काला धन vs न्यायाधीश

बालाकृष्णन की मुश्किलें बढ़ीं
कोच्चि। विवादों में चल रहे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब आयकर विभाग ने दावा किया है कि उनके भाई और दोनों दामाद के पास काला धन है। इस बारे में विभाग के पास पुख्ता सबूत हैं।
एनएचआरसी अध्यक्ष पद छोड़ें बालकृष्णन
आयकर विभाग द्वारा पूर्व प्रधान न्यायाधीश के जी बालकृष्णन के रिश्तेदारों के काला धन रखने का आरोप लगाने के बाद एक अन्य पूर्व प्रधान न्यायाधीश जे एस वर्मा ने रविवार को मांग की कि न्यायमूर्ति बालकृष्णन को एनएचआरसी प्रमुख के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए और अगर वह इस्तीफा नहीं देते हैं तो राष्ट्रपति को उन्हें पद से हटाने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए।

पायलट,ड्राइवर,देश को इन ड्राइवरों (Law-makers) से भगवान बचाएं

नागर विमानन निदेशालय (डीजीसीए) ने एक महिला पायलट का लाइसेंस रद्द कर दिया। डीजीसीए ने उस पर फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से एयरलाइंस ट्रांसपोर्ट पायलट लाइसेंस (एटीपीएल) हासिल का आरोप लगाया है। गौरतलब है कि एयरक्राफ्ट कैप्टन के लिए यह लाइसेंस हासिल करना अनिवार्य होता है। इस साल 11 जनवरी को इंडिगो पायलट कैप्टन परमिंदर कौर गुलाटी ने गोवा एयरपोर्ट पर बेहद खराब तरीके से विमान की लैंडिंग कराई।
  • डीटीसी में ठेके पर भर्ती ड्राइवरों का टेस्ट शुरू डरे ड्राइवर
    - 736 ड्राइवरों को बुलाया गया था, पहुंचे मात्र 424
    - फर्जी ड्राइवरों में हड़कंप, परीक्षा केंद्र से मैदान छोड़ भागे
    नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो : दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) में ठेके पर भर्ती हुए ड्राइवरों का टेस्ट शनिवार को शुरू हो गया। पहले दिन करीब 10 फीसदी ड्राइवर फेल हो गए, जिन्हें उसी वक्त बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, जबकि 312 ड्राइवरों ने मैदान छोड़ दिया है। सिफारिश से आए ड्राइवरों में हड़कंप मच गया है। कई तो रविवार को ड्यूटी पर भी नहीं पहुंचे। उन्हें खतरा ही कहीं टेस्ट में फेल हो गए तो नौकरी चली जाएगी। टेस्ट के लिए रोजाना आठ ड्राइवर प्रत्येक डिपो से बुलाए गए हैं।
    शनिवार को 'स्किल टेस्ट' के लिए दोनों शिफ्टों को मिलाकर कुल 736 ड्राइवर (एक शिफ्ट में 368 ड्राइवर ) बुलाए गए थे। इसमें से पहुंचे मात्र 424 ड्राइवर। पहले शिफ्ट में करीब 231 ड्राइवर परीक्षा में शामिल होने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाए, लेकिन 7 ड्राइवर बीच में ही मैदान छोड़कर गायब हो गए। आखिरकार रिजल्ट करीब 224 ड्राइवरों का बना। इसी तरह दूसरी शिफ्ट में करीब 200 ड्राइवर परीक्षा में बैठे। कुल मिलाकर 424 ड्राइवरों ने टेस्ट में भाग लिया, जिसमें से करीब 10 फीसदी ड्राइवर फेल हो गए।
    सूत्रों के मुताबिक डीटीसी में करीब पांच हजार ड्राइवर ठेके पर भर्ती हुए हैं, जिन्हें इस प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा। एक साल पहले जो ड्राइवर भर्ती हुए थे और एक भी दुर्घटना को अंजाम नहीं दिया, वे भी टेस्ट में फेल हो गए। कई ड्राइवर तो इसलिए भी फेल हो जाएंगे, क्योंकि वे वर्तमान में लो-फ्लोर बसों को चला रहे हैं। जबकि टेस्ट के लिए स्टैंडर्ड साइज की पुरानी बसों का प्रयोग किया जा रहा है, जो अमूमन अपनी उम्र काट चुकी हैं।
    बता दें कि मात्र फरवरी में 10 हादसे होने से परेशान डीटीसी प्रबंधन लापरवाही नहीं बरतना चाहती। यही कारण है कि आनन-फानन में ड्राइवरों का टेस्ट लेने की योजना बनाई गई। टेस्ट में फेल होने की खबर फैलने से सभी डिपो में हड़कंप मच गया है। ड्राइवर नौकरी जाने के डर से घबराए हुए हैं। अगर इसी तरह टेस्ट हुआ तो काफी ड्राइवर आउट हो जाएंगे।
    गौरतलब है कि दैनिक जागरण ने इसी सप्ताह खुलासा किया था कि डीटीसी में दर्जनों फर्जी ड्राइवर भर्ती हो गए हैं, जिन्हें पूरी तरह से गाड़ी चलाना आता ही नहीं। डीटीसी को आशंका थी कि ग्रामीण जोन और नार्थ जोन में कुछ ड्राइवर जुगाड़ से भर्ती हो गए हैं

मर्लिन मुनरो को हॉट गर्ल का खिताब

पचास के दशक में अपनी हुस्न से बड़े पर्दे जलवा बिखेरने वाली मार्लिन मुनरो को हॉलीवुड की शीर्षतम हसीना चुना गया है। डेली एक्सप्रेस की खबर में बताया गया कि 36 साल की उम्र में दिवंगत हो चुकी अदाकारा ने इस स्थान को पाने के लिए एजेंलिना जोली, स्कारलेट जोहांसन, कैथरीन जेटा जोंस को पछाड़ा। सूची में एंजेलीना जोली को दूसरा, स्कारलेट जोहहांसन को तीसरा, वेल्स सुंदरी कैथरीन जेटा जोंस को चौथा और सलमा हायक को पांचवा स्थान हासिल हुआ।

 marilyn monroe

 

लंदन। हॉलीवुड अभिनेत्री मर्लिन मुनरो को सबसे ज्यादा हॉट गर्ल का खिताब दिया गया है। केबल नेटवर्क रील्ज द्वारा 80000 लोगों में हुए सर्वे सबसे ज्यादा मत मुनरो को मिले है।
लंदन। अमेरिकन फिल्म इंड्रस्ट्रीज केबल नेटवर्क रील्ज द्वारा 80,000 लोगों के बीच कराए गए सर्वेक्षण में मर्लिन मुनरो को सर्वकालिक टॉप हॉलीवुड बॉम्बशेल बताया गया है।
इस सर्वेक्षण में एंजिलीना जॉली को दूसरा, स्कॉरलेट जॉनसन को तीसरा, कैथरीन जेटा जोन्स को चौथा और सलमा हायक को पांचवा स्थान दिया गया है।
गौरतलब है कि 1962 में 36 साल की उम्र में ही मर्लिन मुनरो की मौत हो गई थी। मर्लिन ने एक मॉडल के तौर पर अपना कैरियर शुरू किया और 1946 में कांट्रेक्ट नामक फिल्म से अपने फिल्मी सफर पर चल पड़ीं। 1999 अमेरिकन फिल्म इंडस्ट्री ने सर्वकालिक फीमेंल स्टार्स की सूची में मर्लिन मुनरो को छठवां स्थान दिया था।

मठ,मन्दिर,तहखाने ,बाबा

धार्मिक नगरी पुरी के श्रीजगन्नाथ मंदिर के ठीक सामने एक मठ में खजाना छुपा हुआ था। इस खजाने के बारे में किसी को नहीं पता था लेकिन जब राज खुला तो सबकी आंखें फटी की फटी रह गईं। मंदिर के सामने मौजूद मठ में एक गुप्त कमरे में चांदी की ईंटों का अंबार लगा था। इस खजाने का खुलासा तब हुआ जब मठ की मरम्मत का काम चल रहा था। पिछले कई दिनों से पुरातत्व विभाग इस मठ की मरम्मत करा रहा था।पुलिस ने शनिवार को लगभग 75 करोड रूपए मूल्य की चांदी की 522 ईटों को एक मन्दिर से बरामद किया है। इन्हें लकडी के तीन बक्सों में रखकर छुपाया गया था। ईटों का पता तब चला जब मन्दिर के पास स्थित मठ से दो लोगों ने चांदी की कुछ ईटे चुराई। पुलिस ने जांच की तो चांदी का भंडार सामने आया। पुलिस ने चोरी के दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया और उनसे पूछताछ कर रही है। ये दोनों मठ में काम करने गए थे।उड़ीसा के धार्मिक शहर पुरी में 700 साल पुराने एक मठ से चांदी की 522 ईंटे मिली हैं. बरामद हुई ईंटों का वज़न 18.87 टन है और बाज़ार में इसकी क़ीमत क़रीब 90 करोड़ रुपए है. चार बड़े संदूक़ों में बंद ये ईंटें पुरी के विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के ठीक सामने स्थित एमार मठ के एक बंद तहखाने में से मिली हैं. इसका न कोई दरवाज़ा था न कोई झरोखा. पुरी के एसपी संजय कुमार ने कहा, "चांदी की ये ईंटें कम से कम सौ साल पुरानी लगती हैं.पुरी के प्रसिद्ध श्री जगन्नाथ मंदिर के सामने स्थित प्राचीन एमार मठ से शनिवार को 90 करोड़ रुपए कीमत की 18 टन से ज्यादा चांदी बरामद हुई है। चांदी की 522 ईटें लकड़ी के चार संदूकों से मिली हैं। एर्क ईट करीब 38 से 40 किलोग्राम की है। इनपर संयुक्त अरब अमीरात, जापान, चीन व दुबई की सील लगी हुई है। पुलिस ने बताया कि हाल में चोरी की चांदी की ईटें बेचते हुए गिरफ्तार व्यक्ति से मिली जानकारी पर यह कार्रवाई की गई। पुरी के जगन्नाथ मंदिर के पास एमार मठ के एक जीर्ण कमरे में इन ईटों को लकडी के तीन बक्सों में छुपाया गया था।

योग के साम्राज्य का संन्यासी बाबा

नई दिल्ली में रविवार को भ्रष्टाचार के खिलाफ आयोजित रैली में योग गुरु स्वामी रामदेव के साथ जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी।

जैसा देश वैसा भेष

नगालैंड की राजधानी कोहिमा में इन दिनों आयोजित एक योग शिविर में योग गुरु स्वामी रामदेव परंपरागत अंगामी नगा परिधान में नजर आए।

भ्रष्टाचार के खिलाफ

नई दिल्ली में रविवार, 27 फरवरी को भ्रष्टाचार के खिलाफ आयोजित एक रैली में अपने समर्थकों के साथ गदा उठाए हुए योग गुरु स्वामी रामदेव।
नाम : रामकृष्ण यादव उर्फ बाबा रामदेव। उम्र : 46 साल। शिक्षा : आठवीं पास, लेकिन तीन मानद डॉक्टरेट। पेशा : टीवी पर प्रोग्राम देना व योग के ‘इवेंट’ करना। व्यवसाय : योग के कैसेट, ऑडियो सीडी से लेकर आयुर्वेद की दवाएं बेचना। निजी संपत्ति : शून्य। ट्रस्टों की संपत्ति : बेहिसाब। खुद का बैंक खाता नहीं, पर ट्रस्टों का कारोबार 1,100 करोड़ रुपये से ज्यादा। उपलब्धि : दुनिया में योग का डंका बजाना, लोगों में स्वास्थ्य के प्रति चेतना जगाना। अन्य कार्य : भारत स्वाभिमान पार्टी के जनक। दावा : मैं प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं। पता : पतंजलि योगपीठ, कनखल, हरिद्वार।
लालू यादव की बात मानकर बाबा रामदेव राजनीति से दूर ही रहे होते, तो शायद इतने विवादों में नहीं पड़ते। यों भी दूसरे संन्यासियों, नेताओं, टीवी कलाकारों को उनसे कोई कम ईर्ष्या नहीं थी। आए दिन उनकी योग चिकित्सा को चुनौतियां मिलती ही रहती थीं, दिव्य योग मंदिर में कम वेतन, दवा में हड्डी का अंश, कैंसर और एड्स के इलाज के दावे पर सवाल, वंदे मातरम् विवाद पर उनकी टिप्पणी, उड़ान फेम कविता चौधरी की योग यात्रा नामक फिल्म में एक्टिंग, स्कॉटलैंड में दान में मिला द्वीप, ..ऐसे कई मुद्दे हैं, जिनके कारण बाबा सुर्खियों के शहंशाह बनते रहे हैं। अब सबसे बड़ा मुद्दा उन्होंने काले धन को लेकर उछाला है। बाबा रामदेव जिस भारत स्वाभिमान पार्टी के नेता हैं, उसमें एक से दस नंबर तक वही सर्वेसर्वा हैं।
बाबा अन्नत्यागी हैं। दो साल से केवल फल और दूध का सेवन कर रहे हैं। फिलहाल देश में घूम-घूमकर काले धन के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। बाबा का ही कमाल था कि लोग कोल्ड ड्रिंक्स पीने के बजाय उससे टॉयलेट्स साफ करने लगे थे, जिससे गर्मी में भी कोल्ड ड्रिंक्स की खपत कम हुई। अब बाबा रामदेव का पांच सूत्री अभियान है- भ्रष्टाचार मिटाना, स्वास्थ्य सेवा दिलाना, मुफ्त शिक्षा, स्वच्छता आंदोलन और भाषाई एकता।
लिबरलाइजेशन, ग्लोबलाइजेशन और प्राइवेटाइजेशन जैसे शब्दों से बाबा को नफरत है और नेहरू खानदान को छोड़ सभी महान नेता उनके आदर्श हैं, चाहे विवेकानंद हों या भगत सिंह, गांधी हों या सुभाष या फिर विनोबा। उनका कहना है कि 99 प्रतिशत लोग ईमानदार हैं, लेकिन भ्रष्टाचार जहर है, जो देश को खा रहा है, विकास के लिए विदेशी पूंजी गैर-जरूरी है। बाबा के समर्थक मानते हैं कि काले धन वाले नेता, विदेशी पूंजी के दलाल और पेस्टिसाइड लॉबी उनके खिलाफ अभियान चला रही है। कभी साइकिल से गली-गली जाकर आयुर्वेदिक दवा बेचने वाले रामकृष्ण यादव की कहानी फिल्मी लगती है।
1995 में उन्होंने कर्मवीर महाराज और आचार्य बालकृष्ण के साथ ट्रस्ट बनाया था और पीछे नहीं देखा। 6 अगस्त, 2006 को पतंजलि योगपीठ की स्थापना की। उसके बाद उन्होंने अपनी भूमिका बार-बार बदली। आज बाबा के समर्थक करोड़ों में हैं और उनके विरोधी भी बड़ी संख्या में हैं। उनकी हस्ती ही ऐसी है कि लोग उन्हें पसंद-नापसंद कर सकते हैं, पर नजरअंदाज नहीं    कर सकते। नई दिल्ली। योग गुरु बाबा रामदेव ने भ्रष्टाचार और काले धन के मुद्दे पर केंद्र सरकार को रामलीला मैदान से ललकारा। उन्होंने जंग का ऐलान किया और इस बीमारी से मुक्ति के लिए पांच नुस्खे भी दिए। ऐतिहासिक रैली में तीन घंटे से अधिक देरी से पहुंचे बाबा ने केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करने के समर्थन में ढेरों तर्क दिए। योग गुरु बाबा रामदेव ने रविवार को सरकार से भ्रष्टाचार रोकने और कालाधन वापस लाने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की. साथ ही चेतावनी दी कि सरकार ने ऐसा नहीं किया, तो वह इसको लेकर जनता के बीच जायेंगे और इस सरकार को हटा देंगे. रामलीला मैदान में विशाल रैली में उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर जम कर निशाना साधा. आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री बेइमानों से घिरे ईमानदार व्यक्ति हैंविदेशी बैंकों में जमा काला धन को स्वदेश लाने और भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए योग गुरु स्वामी रामदेव के नेतृत्व में तमाम बुद्धिजीवियों ने रामलीला मैदान से शंखनाद किया। रैली में स्वामी रामदेव ने न केवल भ्रष्टाचार के पांच मूल स्रोतों को चिह्नित किया, बल्कि इसे रोकने के लिए पांच सुझाव भी दिए।योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा है कि वह देशवासियों को भ्रष्टाचार मुक्त और राजनीति की भी शिक्षा देंगे। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचारियों को शीर्षासन और अलोम-विलोम भी कराने हैं। अब अगली महा रैली 23 मार्च को होगी जिसमें 10 लाख से भी अधिक लोगों के दिल्ली आने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि स्विस बैंकों में 400 लाख करोड़ काला धन जमा है जिसे देश में लाना  योग गुरू बाबा रामदेव ने कहा है कि वे लोगों के हितों के लिए काम कर रहे हैं और आगे भी भ्रष्टाचार मुक्त और स्वस्थ भारत के निर्माण के लिए अपने अभियान को जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि खातों का लेखा-जोखा नियमित रूप से तैयार किया जा रहा है। अगर कोई भी व्यक्ति, संगठन, जांच एजेंसी और किसी भी राजनीतिक पार्टी को कोई संदेह है तो वे संगठन में लगाए जा रही धनराशि की जांच कर सकते हैं।कुछ दिनों पहले जिस रामलीला मैदान में बाबा रामदेव किसी दूसरे संगठन के मंच और मुद्दे पर अतिथि बनकर आये थे, आज उसी स्थान पर, उसी मंच पर, उन्हीं लोगों के बीच एक बार फिर बाबा रामदेव मौजूद थे लेकिन इस छोटे से अंतराल में मंच भी उनका हो चुका था, मुख्य वक्ता भी वे थे और मुद्दा भी अब बाबा रामदेव का है. काले धन के मुद्दे को लेकर विवाद में आये बाबा रामदेव पर अब संत समाज ने भी हल्ला बोल दिया है. इसकी शुरूआत भी एक ऐसे महंत ने की है जो किसी समय भारतीय जनता पार्टी की ओर से केन्द्र में गृहमंत्री रहा है. पूर्व केन्द्रीय गृहमंत्री और परमार्थ निकेतन, हरिद्वार के प्रमुख ट्रस्टी चिन्मयानन्द ने रामदेव पर आरोप लगाया है कि पिछले आठ सालों में गरीबों के नाम पर रामदेव ने अरबों रूपया इकट्ठा किया लेकिन खर्च धेला नहींछींटे उछलने शुरू हो गये हैं. पहले उन्हें सलाहें मिलती थीं कि वह सिर्फ अपना योग संभालें राजनीति न करें. राजनीति न करें का अर्थ कि वह कालेधन और भ्रष्टाचार के मुद्दे को गंभीर न बनाएं यानी व्यवस्था तंत्र पर प्रहार न करें. बाबा ने इन सलाहों को सिरे से नकार कर भ्रष्टाचार विरोधी अपना नगाड़ा बजाना जारी रखा तो वह सब होना शुरू हो गया जिसकी भरी-पूरी आशंका थी. बाबा पर चौतरफा हमले शुरू हो गये.है।लोकतंत्र का सही अर्थ बताते हुए बाबा ने कहा कि एक राजा ने मेरे खिलाफ बोला है लेकिन लोकतंत्र में न कोई राजा होता है न रानी है सबसे बड़ी जनता की ताकत है
  • बाबागीरी में गलत क्या है अगर आप को एक राष्ट्र के नाते भारत को परिभाषित करना हो तो क्या कहेंगे? यह कि भारत दुनिया के नक्शे पर एक भौगोलिक टुकड़ा है या यह कि एक निश्चित सीमाओं में बंधा हुआ ऐसा भूभाग, जिस पर भारत सरकार की प्रभुसत्ता स्थापित है, जिस पर भारत का संविधान और कानून लागू होता है? नहीं, इन परिभाषाओं में हर नागरिक को भावनात्मक रूप से इस ईकाई के साथ जोड़ने की जीवंत शक्ति नहीं झलकती, इनमें वह प्राणतत्व नहीं दिखता, जो किसी को भी अपने देश से प्यार करना सिखाता है, जो हृदय में देशभक्ति के बीज बोता है, जो किसी भी नागरिक के मन में देश के लिए प्राण न्योछावर कर देने का जज्बा भर देता है। राष्ट्र एक जीवंत ईकाई है, वह हमारी जुबान से बोलता है, वह हमारे रहन-सहन, हमारी भाषा, हमारी संस्कृति के रूप में अभिव्यक्त होता है। तमाम अलग-अलग संस्कारों, धर्मो के बावजूद एक अरब से ज्यादा लोगों को एक सूत्र में बांधे रखने में सफल भूमिका का निर्वाह करता है। इन अर्थो में राष्ट्र यहां के समस्त नागरिकों का एक अखंड सांस्कृतिक समवेत है, एक वृहत्तर सांस्कृतिक ईकाई है, जो हम सबके दिलों में धड़कती रहती है। इसीलिए हर नागरिक को देश के बारे में सोचने का हक है। उसकी बेहतरी के बारे में, इस रास्ते में आने वाले अवरोधों के बारे में और उन्हें हटाने के तौर-तरीकों के बारे में। बाबा रामदेव को अगर देश की चिंता है और उनके पास देश की बेहतरी के लिए कुछ सुझाव हैं तो यह कहकर उनका उपहास नहीं किया जाना चाहिए कि वे योग कराते हैं तो योग ही कराएं, उन्हें राजनीति के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए। इस तरह तो हर पेशे के लोगों से कहा जा सकता है। चिकित्सक लोगों का इलाज करें, उन्हें देश के बारे में सोचने की जरूरत नहीं है, अधिवक्ता मुकदमे लड़ें, उन्हें देश के लिए चिंतित होने की जरूरत नहीं है, शिक्षक बच्चों को पढ़ाएं, उन्हें देश की दुर्दशा से क्या मतलब? ये तर्क अनर्गल और अतार्किक हैं। बाबा ने योग के महत्व और जरूरत को पुनस्र्थापित किया है, बहुत से लोग उनके तरीके से अनेक बीमारियों से ठीक हुए हैं। योगासनों और प्राणायामों का वैज्ञानिक प्रभाव भी परीक्षित है। इससे उनकी लोकप्रियता बढ़ी है, उनके प्रति लोगों का आदर बढ़ा है। वे भी इस देश से उतना ही प्यार करते हैं, जितना कोई और कर सकता है। फिर उन्हें देश की बदहाल स्थिति के बारे में चिंता करने का उतना ही अधिकार है, जितना किसी राजनेता को। बात बेबात ब्लॉग में सुभाष राय

    योगसूत्र में योग के क्रियात्मक पक्ष की चर्चा की गई है। यह यौगिक क्रिया ध्यान लगाने की औपचारिक कला, मानव का आंतरिक स्थिति में परिवर्तन लाने, और मानव चेतना को पूर्ण रूप से अंतर्मुखी बनाने से संबद्ध थीं।ए.ई.गौफ ने ‘फिलासफी ऑफ दि उपनिषदाज (१८८२) में लिखा है कि योग का आदिम समाजों, खासकर आदिम जातियों निम्न जातियों से संबंध है। दार्शनिकों की एकमत राय है कि योग का तंत्र मंत्र, जादू टोने से भी संबंध रहा है। इस परिपेक्ष्य को ध्यान रखकर देखें तो बाबा रामदेव ने आधुनिक धर्मनिरपेक्ष योगियों की परंपरा का निर्वाह करते हुए योग प्राणायाम को तंत्र मंत्र,जादू टोने से नहीं जोडा है। बल्कि वे अपने कार्यक्रमों में किसी भी तरह के कर्मकांड आदि का प्रचार भी नहीं करते। अंधविश्वासों का भी प्रचार नहीं करते। सिर्फ सामाजिक राजनीतिक तौर पर उनके जो विचार हैं वे संयोगवश संघ परिवार या हिन्दुत्ववादियों से मिलते हैं। 

    बाबा रामदेव का विखंडित व्यक्तित्व हमारे सामने है। एक ओर वे योग प्राणायाम को तंत्र वगैरह से अलगाते हुए धर्मनिरपेक्ष व्यवहार पेश करते हैं, लेकिन दूसरी ओर अपने जनाधार को बढाने के लिए हिन्दुत्ववादी विचारों का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इस समूची क्रिया में योग प्राणायाम प्रधान है, उनके राजनीतिक सामाजिक विचार प्रधान नहीं है। उनका योग प्राणायाम का एक्शन महत्वपूर्ण है। उनका हिन्दुत्व का प्रचार महत्वपूर्ण नहीं है। हिन्दुत्व के राजनीतिक विचारों को वे अपने योग के बाजार विस्तार के लिए इस्तेमाल करते हैं। 
    यदि संत महंतों की राजनीतिक पार्टियां हिट कर जातीं तो करपात्रीजी महाराज जैसे महापंडित और संत की रामराज्य परिषद का दिवाला नहीं निकलता। हाल के वर्षों में बाबा जयगुरूदेव की पार्टी के सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त न हुई होती। 

    उल्लेखनीय है बाबा जयगुरूदेव की उन इलाकों में जमानत जब्त हुई है जहां पर उनके लाखों अनुयायी हैं। बाबा रामदेव को यह ख्याल रखना चाहिए कि वे विश्व हिन्दू परिषद से ज्यादा प्रभावशाली नहीं हैं लेकिन कुछ क्षेत्रों को छोडकर अधिकांश भारत में विश्व हिन्दू परिषद चुनाव लडकर जमानत भी नहीं बचा सकती है। इससे भी बडी बात यह है कि भारतीय राजनीतिक जनमानस में अभी भी धर्मनिरपेक्षता की जडें गहरी हैं। कोई भी पार्टी धार्मिक या फंडामेंटलिस्ट एजेण्डा सामने रखकर चुनाव नहीं जीत सकती। गुजरात या अन्य प्रान्तों में भाजपा की सफलता का कारण इन सरकारों का गैर धार्मिक राजनीतिक एजेण्डा है। दंगे के लिए घृणा चल सकती है। वोट के लिए घृणा नहीं चल सकती। यही वजह है कि गुजरात में व्यापक हिंसाचार करने के बावजूद भाजपा यदि जीत रही है तो उसका प्रधान कारण है उसका अधार्मिक राजनीतिक एजेण्डा और विकास पर जोर देना। 
    बाबा रामदेव कम्पलीट पूंजीवादी मानसिकता के हैं। वे योग और अपने संस्थान से जुडी सुविधाओं का चार्ज लेते हैं। उनके यहां कोई भी सुविधा मुफ्त में प्राप्त नहीं कर सकते। यह उनका योग के प्रति पेशेवर पूंजीवादी नजरिया है। वे फोकट में योग सिखाना,अपने आश्रम और अस्पताल में इलाज की व्यवस्था करने देने के पक्ष में नहीं हैं। मसलन उनके हरिद्वार आश्रम में चिकित्सा के लिए आने वालों में साधारण सदस्यता शुल्क ११हजार रूपये, सम्मानित सदस्यता २१ हजार रूपये, विशेष सदस्यता शुल्क ५१ हजार रूपये, आजीवन सदस्यता एक लाख रूपये, आरक्षित सीट के लिए २ लाख ५१ हजार रूपये और संस्थापक सदस्यों से ५ लाख रूपये सदस्यता शुल्क लिया जाता है। 

    आयकर विभाग की मानें तो बाबा रामदेव द्वारा संचालित दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट भारत के समृद्धतम ट्रस्टों में गिना जाता है। जबकि अभी इसे कुछ ही साल अस्तित्व में आए हुए हैं। गृहमंत्रालय के हवाले से ‘तहलका‘ पत्रिका ने लिखा है कि बाबा रामदेव की सालाना आमदनी ४०० करोड रूपये है। यह आंकडा २००७ का है।

    असल समस्या तो यह है कि बाबा अपनी आय का आयकर विभाग को हिसाब ही नहीं देते। कोई टैक्स भी नहीं देते। पत्रिका के अनुसार ये अकेले संत नहीं हैं जिनकी आय अरबों में है। श्रीश्री रविशंकर की सालाना आय ४०० करोड रूपये,आसाराम बापू की ३५० करोड रूपये,माता अमृतानंदमयी ‘‘अम्मा“ की आय ४०० करेड रूपये, सुधांशु महाराज ३०० करोड रूपये,मुरारी बापू १५० करोड रूपये की सालाना आमदनी है। (तहलका,२४जून, २००७)

    एक अन्य अनुमान के अनुसार दिव्ययोग ट्रस्ट सालाना ६०मिलियन अमेरिकी डॉलर की औषधियां बेचता है। सीडी, डीवीडी, वीडियो आदि की बिक्री से सालाना ५ लाख मिलियन अमेरिकी डॉलर की आय होती है। बाबा के पास टीवी चैनलों का भी स्वामित्व है।

    उल्लेखनीय है बाबा रामदेव अपने कई टीवी भाषणों और टीवी शो में विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने और भ्रष्टाचार के सवाल पर बहुत कुछ बोल चुके हैं। हमारी एक ही अपील है कि बाबा रामदेव अपने साथ जुडे ट्रस्टों, आश्रमों, अस्पतालों और योगशिविरों के साथ साथ चल अचल संपत्ति का समस्त प्रामाणिक ब्यौरा जारी करें, वे यह भी बताएं कि उनके पास इतनी अकूत संपत्ति कहां से आयी और उनके दानी भक्त कौन हैं, उनके नाम पते सब बताएं। बाबा रामदेव जब तक अपनी चल अचल संपत्ति का समस्त बेयौरा सार्वजनिक नहीं करते तब तक उन्हें भारत की जनता के सामने किसी भी किस्म के नैतिक मूल्यों की वकालत करने का कोई हक नहीं है। भारत में अघोषित तौर पर संपत्ति रखने वाले एकमात्र अमीर लोग हैं या बाबा रामदेव टाइप संत महंत। जबकि सामान्य नौकरीपेशा आदमी भारत सरकार को आयकर देता है, अपनी संपत्ति का सालाना हिसाब देता है। भारत सरकार को सभी किस्म के संत महंतों की संपत्ति और उसके स्रोत की जांच के लिए कोई आयोग बिठाना चाहिए और इन संतों को आयकर के दायरे में लाना चाहिए।

    नव्य उदारतावाद के दौर में टैक्सचोरों और कालेधन को तेजी से सफेद बनाने की सूची में भारत के नामी गिरामी संत महंतों की एक बडी जमात शामिल हुई है। इन लोगों की सालाना आय हठात् अरबों खरबों रूपये हो गयी है। इस आय के बारे में राजनीतिक दलों की चुप्पी चिंता की बात है। उनके देशी-विदेशी संपत्ति और आय के विस्तृत ब्यौरे को सार्वजनिक किया जाना चाहिए।

    संतों महंतों के द्वारा धर्म की आड में कारपोरेट धर्म का पालन किया जा रहा है। धर्म जब तक धर्म था वह कानून के दायरे के बाहर था लेकिन जब से धर्म ने कारपोरेट धर्म या बडे व्यापार की शक्ल ली है तब से हमें धर्म उद्योग को नियंत्रित करने, इनकी संपत्ति को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने, सामाजिक विकास कार्यों पर खर्च करने की वैसे ही व्यवस्था करनी चाहिए जैसी आंध्र के तिरूपति बालाजी मंदिर से होने वाली आय के लिए की गई है।

    इसके अलावा इन संतों महंतों के यहां काम करने वाले लोगों की विभिन्न केटेगरी क्या हैं, उन्हें कितनी पगार दी जाती है,वे कितने घंटे काम करते हैं, किस तरह की सुविधा और सामाजिक सुरक्षा उनके पास है। कितने लोग पक्की नौकरी पर हैं, कितने कच्ची नौकरी कर रहे हैं। इन सबका ब्यौरा भी सामने आना चाहिए। इससे हम जान पाएंगे कि धर्म की आड में चल रहे धंधे में लोग किस अवस्था में काम कर रहे हैं। 

क्षय रोगी

देश में प्रतिवर्ष 20 लाख नए क्षय रोगी सामने आ रहे हैं। इसमें करीब आठ लाख के बलगम में क्षयरोग के कीटाणु पाए जाते हैं। सही व नियमित इलाज न मिलने से लगभग 3.5-4 लाख तक लोगों की मौत हो जाती है। सरकारी स्तर पर तमाम डाट्स केंद्रों की स्थापना के बाद भी प्रतिदिन क्षय रोग से मरने वालों का आंकड़ा एक हजार के आसपास है। ऐसे में आईएमए 18 प्रदेशों में पुनरीक्षित टीबी नियंत्रण कार्यक्रम चलाएगा।
  • असंयमित जीवन शैली व खान-पान से युवा तेजी से आर्थराइटिस की गिरफ्त में आ रहे हैं। उम्र बढ़ने के साथ ही महिलाओं में भी आर्थराइटिस का खतरा बढ़ा है। आने वाला वक्त स्टेम सेल का है, जब घुटने व हिप की ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी आमजन के लिए आसान हो जाएगी।

Saturday, February 26, 2011

जमीन हथियाने की साजिश रची गई।

दोषी अधिकारी की पेंशन रुकी लेकिन चौथू को नहीं मिली भूमि, दबाव में सरकारी मशीनरी के हाथ बंधे, सूचना के अधिकार के तहत अर्जी ....
के बाद भी नहीं दे रहे जानकारी
विनोद चतुर्वेदी...

जयपुर,26 फरवरी।
कूटरचित दस्तावेजों से एक काश्तकार की बेशकीमती जमीन हड़पने के षड्यंत्र की जांच में पुष्टि हो जाने पर राज्यपाल के निर्देश पर तत्कालीन सेटलमेंट अधिकारी जयपुर और तहसीलदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के बावजूद पीडि़त काश्तकार न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।
प्रकरण में एक आईएएस पिता-पुत्र के अनुचित दबाव के चलते सरकारी मशीनरी के हाथ बंधे हुए हैं और येन-केन प्रकरेण काश्तकार परिवार को उसकी कब्जे काश्त से बेदखल करने के षड्यंत्र रचे जा रहे हैं! प्रकरण का हैरतअंग्रेज पहलू पीडि़त काश्तकार का सेटलमेंट विभाग से प्रकरण से जुड़े तथ्यों की सत्यापित प्रतिलिपि आरटीआई के तहत मांगे जाने के बाद भी विभाग ने इस पर अब तक गौर नहीं किया। प्रकरण जिले की सांगानेर तहसील अंतर्गत अजमेर रोड स्थित भांकरोटा के समीपवर्ती गांव   केशोपुरा में 8 मील वालों की ढाणी निवासी वयोवृद्ध काश्तकार चौथू से जुड़ा है। चौथू की खसरा नम्बर 409/3 (नए खसरा नंबर 386) में चंदा पुत्र रामकुंवार के साथ 16 बीघा 13 बिस्वा में संवत 2005 की जमाबंदी में विभागीय लापरवाही से गोपी मंगल पुत्र रामनाथ दिवस 1/3 इंद्राज हो गया। प्रार्थी चौथू ने इस गलती का पता चलते ही एएसओ सांगानेर से 2 जून 1989 को दुरुस्ती करवा ली।
पीडि़त का आरोप है कि तत्कालीन भूप्रबंध आयुक्त ने अपील संख्या 34/89 के जरिए अनुचित दबाव डालकर एएसओ सांगानेर के निर्णय को रद्द करवाकर उक्त भूमि की रजिस्ट्री अपने आईएएस पुत्र और भतीजे के नाम से करवा ली। इतना ही नहीं, विभाग के शीर्ष पद पर बैठे अधिकारी ने अपने पद का अनुचित दबाव डालकर अपने-अपने आईएएस पुत्र-भतीजे के नाम से आनन-फानन में नामांतरकरण खुलवा लिया। नामांतरकरण 72 पर रोक होने के बाद भी सेटलमेंट कमिश्नर के आगे आत्मसमर्पण करते हुए निचले स्तर के अधिकारियों ने नामांतरकरण संख्या 12 भी खोलकर दुस्साहस का परिचय दिया!
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस जालसाजी के तमाम सबूतों से अवगत करवाते हुए पीडि़त ने बताया क��� जिस समय अन्य काश्तकारों के साथ षड्यंत्र रचकर उसकी जमीन हथियाने की साजिश रची गई। उस समय सेटलमेंट अधिकारी बृजमोहन सिंह बारेठ और सेटलमेंट कमिश्नर जीआर यादव (आईएएस) थे। इस अन्याय के खिलाफ बुरी तरह से प्रताडि़त किए गए वृद्ध काश्तकार चौथू ने राज्य सरकार के समक्ष अपील की। इस पर राज्य सरकार ने तमाम जांच प्रक्रिया के बाद सामने आए परिणाम के आधार पर आदेश क्रमांक प.1 (219) कार्मिक/ क-3/92 दिनांक 8 दिसम्बर, 2000 से सेटलमेंट अधिकारी को दोषी मानते हुए सेवानिवृत्ति के बाद उसकी संपूर्ण पेंशन रोक दी।
पीडि़त का आरोप है कि सरकार के इस कड़े फैसले के बाद भी इस षड्यंत्र के असली सूत्रधार आईएएस पिता-पुत्र के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हुआ और अब वे उसे और उसके परिवार को धनबल और बाहुबल से जमीन से बेदखल करने पर आमादा है। प्रकरण में गौर करने लायक तथ्य यह भी है कि काश्तकार की जमाबंदी में उसका 1/4 हिस्सा काटकर 1/3 कर दिया लेकिन इस कटिंग पर किसी अधिकारी/कर्मचारी के हस्ताक्षर भी नहीं हैं। साथ ही राजस्थान से बाहर पदस्थापित आईएएस के हस्ताक्षर विशेषज्ञ की जांच रिपोर्ट में सही नहीं बताए गए हैं। इन तमाम सबूतों के बाद भी पीडि़त काश्तकार को न्याय नहीं मिलना व्यवस्था पर करारा तमाचा है। पीडि़त ने मुख्यमंत्री से की गई गुहार में अपनी और अपने परिजनों की जान-माल की सुरक्षा की प्रार्थना की है।
राज्य सरकार की ओर से भूप्रबंधक अधिकारी जयपुर बृजमोहन सिंह बारेठ को दिए गए आरोप पत्र में वर्ष 1989 में उनके पदस्थापन काल में गांव केशोपुरा में विवादास्पद भूमि खसरा नंबर 386 रकबा 16 बीघा 13 बिस्वा जिसे तत्कालीन भूप्रबंध आयुक्त गणपत राम यादव अपने पुत्र एवं भतीजे के नाम से खरीदा। इस मामले की अपील उनके यहां दर्ज नहीं की गई और प्रकरण में गुण-अवगुण पर गौर किए बिना एएसओ के निर्णय को रद्द कर तत्कालीन भूप्रबंध आयुक्त को अनुचित लाभ पहुंचाने और अपने पद का दुरुपयोग करने के लिए भूप्रबंध अधिकारी जयपुर बृजमोहन सिंह को दोषी पाया गया। राजस्थान लोक सेवा आयोग की राय से सहमति व्यक्त करते हुए राज्यपाल ने इस जांच प्रकरण में बृजमोहन सिंह बारेठ आरएएस (सेवानिवृत्त) की शत-प्रतिशत पेंशन सदैव के लिए रोकने के आदेश पर अपनी मोहर लगा दी।

IAS को किडनैप कर नक्सलियों ने पाया 'नया स्वर्ग

भुवनेश्वर ।। माओवादी मध्यस्थों से किए गए वादों को निभाते हुए उड़ीसा सरकार ने शनिवार को कहा कि जब तक माओवादी अवैध गतिविधियों में लिप्त नहीं पाए जाते तब तक सुरक्षा बल कोई कार्रवाई नहीं करेंगे। इसका मतलब यह माना जा रहा है कि उड़ीसा नक्सलियों के लिए नया स्वर्ग बनने जा रहा है।

मुख्य सचिव बी. के. पटनायक ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, 'मध्यस्थों से हुए समझौते के मुताबिक हमने खोज अभियान रोक दिया है। जब तक माओवादी अवैध गतिविधियों में लिप्त नहीं पाए जाते तब तक कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।' उन्होंने कहा कि मध्यस्थों के साथ 22 फरवरी को राज्य सरकार द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं का राज्य सरकार सम्मान करेगी। मुख्य सचिव ने कहा कि अगर स्थिति शांतिपूर्ण रही तो बल प्रयोग की जरूरत नहीं है।
जानकारों के मुताबिक इसका सीधा मतलब यह होता है कि नक्सलियों और राज्य सरकार के बीच ऐसी सहमति बन गई है जो इस प्रतिबंधित संगठन को सुरक्षा घेरा प्रदान करेगी। दूसरे राज्यों में वारदात करके नक्सली उड़ीसा आ जाया करेंगे। चूंकि राज्य में वह शांति नहीं तोड़ेंगे इसलिए राज्य सरकार उनके खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं करेगी।

घूस में 10 किलो सोना


 nalco chief and wife send to jail

रिश्वतखोर नाल्को अध्यक्ष पत्नी सहित सीबीआई हिरासत में

नई दिल्ली। नेशनल एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (नाल्को) के अध्यक्ष एके श्रीवास्तव तथा उनकी पत्नी को रिश्वत लेने के एक मामले में सीबीआई ने शनिवार को गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई ने इस मामले में एक बिचौलिए भूषणलाल बजाज और उसकी पत्नी अनीता बजाज को भी गिरफ्तार किया है। दिल्ली की एक कोर्ट ने श्रीवास्तव दम्पत्ति को तीन मार्च तक के लिए सीबीआई हिरासत में भेज दिया है।
सीबीआई ने इन लोगों के लॉकर से करीब ढाई करो़ड रूपए मूल्य के करीब 10 किलो सोने की ईंटे और 30 लाख रूपए नकद बरामद किए हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सीबीआई टीम ने श्रीवास्तव की पत्नी चांदनी को अवैध रिश्वत के रूप में सोने की तीन ईंटें लेते गिरफ्तार किया। इन ईंटों का प्रत्येक का वजन एक किलो है और इनमें 24 कैरेट सोना है। टीम ने इसके अलावा एक कथित बिचौलिए भूषणलाल बजाज की पत्नी अनीता को ठीक उस समय गिरफ्तार किया जब वह इन ईंटों को बैंक ऑफ महाराष्ट्र (नई दिल्ली) के लॉकर में रख चुकी थी। आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि नाल्को अध्यक्ष की पत्नी इस लॉकर को बिचौलिए की पत्नी के नाम पर चला रही ती। इस लॉकर की तलाशी से सोने की ऎसी ही सात ईंटें, 188 ग्राम सोने के आभूषण और 9.6 लाख की नगदी मिली।
प्रवक्ता ने कहा कि इस मामले में नाल्को अध्यक्ष व उनकी पत्नी और बिचौलिया व उनकी पत्नी को गिरफ्तार कर लिया गया है। मामले की आगे तफ्तीश जारी है। अधिकारियों के मुताबिक बजाज नाल्को अध्यक्ष तथा मध्यप्रदेश की निजी ग्रुप ऑफ कंपनीज के बीच कोई सौदा कर रहा था। नाल्को अध्यक्ष व प्रबंधक निदेशक की पत्नी की तलाशी में उनके हैंडबैग से पांच लाख तथा बिचौलिया की बीवी के नाम पर एक अन्य लॉकर की चाबी मिली। दूसरे लॉकर की तलाशी लेने पर वहां से 15 लाख रूपए नकद मिले। प्रवक्ता ने कहा कि अब तक 10.18 किलोग्राम सोना और 29.5 लाख रूपए की कुल बरामदगी हुई। सोने की मौजूदा कीमतों के आधार पर यह करीब 2.43 करो़ड रूपए हैं।
रिश्वतखोरी के मामले में गिरफ्तार नाल्को के प्रबंध निदेशक एके श्रीवास्तव और उनकी पत्नी चांदनी को शनिवार को अदालत में पेश किया गया जहां चांदनी बुरी तरह टूट गईं और सारे इल्जाम अपने ऊपर लेते हुए अपने पति को निर्दोष बताया।
चांदनी ने अदालत में रोते हुए कहा कि बैंक लॉकर मेरे नाम पर है। मैं इसका संचालन करती हूं। मेरे पति का इससे कोई संबंध नहीं है और वह किसी भी तरह से इससे नहीं जुड़े। वह निर्दोष हैं। उनकी यह टिप्पणी उस समय आई जब सीबीआई के वकील ने उनके लॉकर से दस किलोग्राम की सोने की ईंटें बरामद होने के मामले में पूछताछ के लिए और अधिक समय मांगा।
चांदनी ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओपी सैनी के समक्ष जोर देकर कहा कि उनके पति का सोने की ईंटों और जेवरात से कोई संबंध नहीं है तथा सीबीआई द्वारा बरामद नकद राशि उनके बैंक लॉकर तथा उनके बैग से मिली।
   
नाल्को प्रमुख ने कहा कि मैं किसी भी चीज में शामिल नहीं हूं और तलाशी के दौरान मेरे मकान से कुछ भी बरामद नहीं हुआ है। मैं निर्दोष हूं। पूछताछ के लिए सीबीआई द्वारा सात दिन की हिरसत मांगे जाने की अपील का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि यदि अदालत सीबीआई के आग्रह को मानती है तो इससे उन्हें अपूरणीय क्षति होगी और उनका करियर बर्बाद हो जाएगा।
   
उन्होंने न्यायाधीश से कहा कि यदि मुझे सीबीआई की हिरासत में भेजा जाता है तो मुझे निलंबित कर दिया जाएगा और इससे मेरी प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति होगी।
भुवनेश्वर।। पब्लिक सेक्टर की देश की प्रमुख कंपनी नाल्को के सीएमडी ए.के. श्रीवास्तव और उनकी पत्नी चांदनी को सीबीआई ने शुक्रवार को राजधानी दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया। इन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़ा गया है। श्रीवास्तव के बैंक लॉकर से 10 किलो सोना और 24.5 लाख रुपये बरामद किए गए हैं। उनके पास से पांच लाख रुपये नकद भी मिले हैं। मौजूदा दरों पर सोने की कीमत 2 करोड़ रुपये से ज्यादा होगी। आरोप है कि यह सोना उन्होंने घूस में लिया था।

हमारे सहयोगी चैनल टाइम्स नाउ के मुताबिक शुक्रवार को सीबीआई ने नाल्को (नैशनल एल्युमिनियम कंपनी) के सीएमडी के भुवनेश्वर और दिल्ली स्थित ठिकानों पर छापा मारा। इसके बाद सीबीआई टीम ने सीएमडी ए.के. श्रीवास्तव और उनकी पत्नी चांदनी को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया। इनके साथ बिचौलिया होने के आरोपी बी. एल. बजाज और उनकी पत्नी अनीता बजाज को भी गिरफ्तार किया गया है। सीएमडी पर आरोप है कि उन्होंने घूस में 10 किलो सोना लिया था।

सीबीआई प्रवक्ता विनीता ठाकुर के मुताबिक, दिल्ली स्थित श्रीवास्तव के बैंक लॉकर से 10 किलो सोना और 24.5 लाख रुपये बरामद किए गए हैं। उनके पास से पांच लाख रुपये नकद भी मिले हैं। मौजूदा दरों पर सोने की कीमत 2 करोड़ रुपये से ज्यादा होगी। सीएमडी के दिल्ली और भुवनेश्वर स्थित ठिकानों पर छापा मारा गया।
  •   इंदौरी कारोबारी ने दी घूस में सोने की ईटें
इंदौर। देश में कोयले के दस बडे कारोबारियों में से एक इंदौर के भाटिया समूह (बीसीसी) पर सीबीआई ने शनिवार को छापा मारा। समूह के तार नाल्को के रिश्वतखोर सीएमडी अभयकुमार श्रीवास्तव से जुड़े होने की पुष्टि हुई है। बताते हैं श्रीवास्तव की पत्नी के लॉकर से शुक्रवार को बरामद सोने की 10 ईंटें भाटिया समूह ने ही कोयला आपूर्ति का ठेका लेने के लिए दी थी।
भाटिया बड़े कोयला आयातकों में से भी एक हैं। सीबीआई को कंपनी के सर्वेसर्वा जीएस भाटिया की तलाश है। बताते हैं वे इंदौर से बाहर करीब 20 घंटे तहकीकात में सीबीआई ने नवरतनबाग स्थित बीसीबी हाउस और आदित्य नगर स्थित निवास से दस्तावेज हासिल किए हैं। दो संचालकों एमएस भाटिया और अमन भाटिया से भी सीबीआई ने पूछताछ की। बाद में दोनों ने कहा कि वे पूछताछ में पूरा सहयोग कर रहे हैं।
कार्रवाई में सीबीआई दिल्ली व भोपाल के दल शामिल थे। दल ने शुक्रवार शाम समूह के नवरतनबाग स्थित दफ्तर पर दबिश दी। यहां सात घंटे तक तलाशी ली गई। दल ने वे तमाम दस्तावेज कब्जे में लिए, जो बीसीसी और नाल्को के कोयला कारोबार से ताल्लुक रखते थे।
ठेका हासिल करना था : सूत्रों के मुताबिक, नाल्को में कोयला आपूर्ति का बड़ा ठेका हासिल करने के लिए भाटिया समूह ने श्रीवास्तव को सोने की 10 र्ईटों की शक्ल में 10 किलो सोना देने की सौदेबाजी की थी। इसमें श्रीवास्तव का खासमखास भूषणलाल बजाज व पत्नी अनिता बिचौलिए की भूमिका में थे। शुक्रवार को दिल्ली में श्रीवास्तव की गिरफ्तारी के बाद जब सीबीआई ने पूछताछ की, तब उसने यह भाटिया समूह से रिश्वत के रूप में मिलने की बात कही। इसी के बाद तत्काल इंदौर भेजी गई टीम ने भाटिया के यहां छापा मारा।
| 26 Feb, 2011The Central Bureau of Investigation (CBI) Friday arrested the chairman-cum-managing director of the National Aluminium Company Ltd (NALCO) A.K. Srivastava, his wife and two others for allegedly accepting bribe.

According to a senior CBI official in New Delhi, "The CBI arrested Srivastava and his wife Chandni Srivastava along with two accomplices, Bhushan Lal Bajaj and Anita Bajaj."

The CBI arrested Srivastava when his wife was accepting an illegal gratification of three gold bricks, each weighing one kg, of 24 carat gold. His wife was accepting the bribe from the wife of a middleman who was brokering a deal between the CMD and a Madhya Pradesh-based private company, the CBI said in a late night statement.

At the time of the CBI raid, Srivastava's wife, accompanied by the wife of the middleman, had just deposited the three gold bricks in a bank locker of the Bank of Maharashtra in the national capital.

The bank locker was in the name of the wife of the middleman. It was being operated by Srivastava's wife "as benami".

A search of the locker revealed seven more gold bricks of 1 kg each, golden ornaments weighing 188 grams and Indian currency of Rs.9.5 lakh. A search of Srivastava's wife led to the recovery of Rs.5 lakh from her handbag and the key of another locker in the name of the wife of the middleman.

A search of the second locker led to recovery of Rs.15 lakh in cash.

The total recoveries amount to 10.188 kg gold and Rs.29.5 lakh in cash. The total value of the seizures works out to approximately Rs.2.43 crore at current prices of gold, the statement said.

The four have been arrested.

Further searches in various parts of the country are continuing.

A senior NALCO official confirmed in Bhubaneswar that a CBI team also visited the NALCO corporate office in the Orissa capital, but did not ask for any documents.

नौकरशाह + राजनीतिक संरक्षण = नोटिफिकेशन,सर्कुलर इत्यादि

रिश्वतखोरी में नेशनल एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड के अध्यक्ष और उनकी पत्नी की गिरफ्तारी भ्रष्टाचार का सामान्य मामला नहीं है। इस गिरफ्तारी से एक बार फिर यह पता चलता है कि उच्च पदों पर बैठे लोग किस तरह दोनों हाथों से अवैध तरीके से अकूत संपदा बटोरने में लगे हुए हैं और कोई भी उन्हें रोकने-टोकने वाला नहीं है। जब भारत सरकार की नवरत्न के तमगे वाली कंपनी का इतना बड़ा अधिकारी घूसखोरी में लिप्त हो तो फिर आम रिश्वतखोर अफसरों के भयभीत होने की जरूरत ही नहीं रह जाती। यह सामान्य बात नहीं कि नाल्को अध्यक्ष के पास से दो करोड़ रुपये से अधिक का सोना और 30 लाख रुपये नकद मिले। नाल्को के अध्यक्ष को गिरफ्तार करने वाले केंद्रीय जांच ब्यूरो के अधिकारियों की मानें तो उन्होंने घूस लेने के लिए एक दलाल की सेवाएं ले रखी थीं। वह रिश्वत में मिली रकम को सोने की ईंटों में तब्दील करता था। इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि नाल्को के मुखिया को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है, क्योंकि इस बारे में सुनिश्चित नहीं हुआ जा सकता कि उन्हें अपने किए की सजा वास्तव में मिलेगी। यह पहली बार नहीं है जब सीबीआइ ने रिश्वतखोरी के आरोप में किसी बड़े अधिकारी को गिरफ्तार किया हो। इस तरह की गिरफ्तारियां रह-रहकर होती ही रहती हैं। आम तौर पर ऐसे अफसरों के पास करोड़ों की चल-अचल संपत्तिनिकलती है, लेकिन यह कभी नहीं सुनाई देता कि सरकार इस संपत्तिको जब्त कर लेती है।
यदि केंद्र सरकार भ्रष्टाचार को रोकने को लेकर वास्तव में गंभीर है तो उसे ऐसे कोई नियम-कानून बनाने ही पड़ेंगे जिससे भ्रष्ट तत्व भय खाएं। यह निराशाजनक है कि भ्रष्ट तत्वों को भयभीत करने वाली व्यवस्था बनाने से जानबूझकर इनकार किया जा रहा है। केंद्र सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए बड़ी-बड़ी बातें तो कर रही है, लेकिन जो कुछ किया जाना अपरिहार्य हो चुका है उससे मुंह मोड़े हुए है। यह समय की मांग है कि केंद्र सरकार भ्रष्ट तत्वों पर शिकंजा कसने के लिए वैसा ही कानून बनाए जैसा बिहार सरकार ने बनाया है और जो न केवल प्रभावी नजर आ रहा है, बल्कि जिसकी सर्वत्र प्रशंसा भी हो रही है। यदि यह सोचा जा रहा है कि भ्रष्ट अफसरों पर जब-तब कार्रवाई करने से वे अपनी हरकतों से बाज आएंगे तो ऐसा होने वाला नहीं है। वैसे भी अनेक मामलों में यह सामने आ चुका है कि भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ मुश्किल से ही कोई कार्रवाई हो पाती है। भ्रष्ट अफसरों पर अंकुश लगाने के मामले में जैसा ढुलमुल रवैया केंद्र सरकार का है वैसा ही राज्य सरकारों का भी है। कुछ राज्यों में तो ऐसे भी उदाहरण सामने आ रहे हैं जहां नेता और नौकरशाह मिलकर करोड़ों रुपये बटोर रहे हैं। विगत दिवस ही उत्तार प्रदेश में राज्य औद्योगिक विकास निगम के मुख्य अभियंता के ठिकानों पर मारे गए छापे में सीबीआइ को लगभग सौ स्थानों से संचालित बैंक खातों के दस्तावेज मिले और माना जा रहा है कि प्लाटों के आवंटन में जो घोटाला किया गया वह डेढ़ सौ करोड़ से अधिक का हो सकता है। क्या यह संभव हो सकता है कि कोई नौकरशाह राजनीतिक संरक्षण के बगैर अवैध तरीके से इतनी अधिक संपदा बटोर ले?
  • दिल्ली के लोगों से अब सीवरेज के इस्तेमाल के लिए शुल्क लेने के संबंध में जल बोर्ड द्वारा जारी किया गया नया फरमान जहां एक ओर लोगों की मुफ्तखोरी पर लगाम लगाने की दृष्टि से सही है, वहीं यदि दूसरेदृष्टिकोण से देखा जाए तो बोर्ड को लोगों को बिना समुचित सीवरेज सुविधा दिए शुल्क नहीं वसूल करना चाहिए। जल बोर्ड ने विगत शुक्रवार को एक सर्कुलर जारी किया है, जिसके अनुसार वह एक अप्रैल से दिल्लीवासियों से सीवरेज शुल्क वसूल करेगा। यह शुल्क उपभोक्ता के प्लाट के आकार पर निर्भर करेगा और शुल्क न देने पर सीवर कनेक्शन काटने का भी प्रावधान किया गया है। यह सीवरेज शुल्क 150 से 2500 रुपये तक होगा। जल बोर्ड के इस निर्णय को गलत नहीं ठहराया जा सकता लेकिन बोर्ड को यह भी देखना होगा कि दिल्ली के तमाम इलाके सीवरेज जाम की समस्या से जूझ रहे हैं। मध्य दिल्ली के दरियागंज, चांदनी चौक, चावड़ी बाजार, कमला नगर, सदर बाजार, आइटीओ व पुरानी दिल्ली के कई इलाके, उत्तार-पश्चिमी दिल्ली के मुखर्जी नगर, शालीमार बाग, मॉडल टाउन, अशोक विहार और पश्चिमी दिल्ली के पश्चिम विहार, विकासपुरी, उत्ताम नगर, राजौरी गार्डन, जनकपुरी, मीरा बाग, द्वारका से सटे इलाके, बिजवासन, नजफगढ़, इत्यादि में सीवरेज व्यवस्था बहुत खराब है। आए दिन सड़कों पर सीवर का पानी बहता रहता है, जिससे लोगों का वहां से गुजरना मुश्किल हो जाता है। मॉडल टाउन में बारिश के दिनों में लोगों के घरों में सीवर का पानी घुस जाता है और बाढ़ जैसा नजारा हो जाता है। पूर्वी दिल्ली के शाहदरा, गुड़हाई मोहल्ला, मोहल्ला मेहराम, भोलानाथ नगर, गीता कॉलोनी, शकरपुर, इत्यादि क्षेत्रों में भी सीवरेज समस्या अपने विकराल रूप में मौजूद है। यहां तो पॉश इलाकों का भी बुरा हाल है। पिछले एक सप्ताह से आइपी एक्सटेंशन के पास बनी अनधिकृत कॉलोनी में सीवर जाम होने से पॉश इलाके आइपी एक्सटेंशन की सड़कों पर भी पानी भरा हुआ है। सीवर जाम से यहां लोग बुरी तरह परेशान हैं। सीवरेज व्यवस्था की दिल्ली की यह तस्वीर यह बयां करती है कि जल बोर्ड सीवरेज व्यवस्था में सुधार करने की दिशा में कुछ खास नहीं कर पा रहा है। ऐसे में उसे चाहिए कि वह शुल्क वसूलने के साथ लोगों को अच्छी सीवरेज व्यवस्था मुहैया कराए ताकि दिल्लीवासियों को शुल्क देने में कोई परेशानी न हो।

लालों में लाल नटवरलाल


नई दिल्ली। बगैर अनुमति करीब 15 लाख डॉलर लेने के मामले में फंसे पंजाब में संगरूर से कांग्रेस के विधायक रहे अरविंद खन्ना के खिलाफ सीबीआइ ने शुक्रवार को आरोप पत्र दाखिल कर दिया। पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के रिश्तेदार खन्ना पर विदेशी अनुदान नियमन अधिनियम [एफसीआरए]-1976 के प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप है। जांच एजेंसी ने इस मामले में पूर्व विधायक के खिलाफ 2007 में केस दर्ज किया था।
सीबीआइ के एक प्रवक्ता के अनुसार, एजेंसी ने चार वर्षो की जांच के बाद पूर्व विधायक खन्ना के खिलाफ मुख्य महानगर दंडाधिकारी की अदालत में आरोप पत्र दायर कर दिया है।
आरोप पत्र में कहा गया है कि अरविंद खन्ना ने नई दिल्ली स्थित एक विदेशी बैंक के अपने बचत खाते में नियमों का उल्लंघन करते हुए विदेशी मुद्रा अमेरिकी डॉलर में अनुदान लिया था। खन्ना को ब्रिटेन स्थित नौ विदेशी कंपनियों ने 14,79,455 अमेरिकी डॉलर [करीब 6.94 करोड़ रुपये] का अनुदान दिया था। इसके लिए खन्ना ने केंद्र सरकार से कोई अनुमति नहीं ली थी। जांच एजेंसी ने पूर्व विधायक के इस कृत्य को एफसीआरए के प्रावधानों का उल्लंघन माना। प्रवक्ता के अनुसार, खन्ना को यह धनराशि विधायक के रूप में उनके 2002-2007 कार्यकाल के दौरान मिली थी।
जांच एजेंसी के प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि पूर्व विधायक ने अनुदान में यह धनराशि हासिल करने के बाद भी केंद्र सरकार को सूचित करने की कोई कोशिश नहीं की। इस प्रकार उन्होंने एफसीआरए के प्रावधानों का उल्लंघन किया। खन्ना को विदेशी मुद्रा प्रदान करने वाली कंपनियों में इजरायल की दो आयुध कंपनियां भी शामिल हैं। इजरायली फर्म ने यह भुगतान खन्ना की कंपनी के नाम से किया है। ध्यान रहे कि इराक में खाद्यान्न के बदले तेल घोटाला मामले में अरविंद खन्ना के पिता विपिन और भाई आदित्य प्रवर्तन निदेशालय के निशाने पर हैं।

राची  झारखंड के बहुचर्चित राजीव गाधी ग्रामीण विद्युतीकरण घोटाले में निगरानी ब्यूरो ने अपनी जाच पूरी कर पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा व विनोद सिन्हा पर चार्जशीट दाखिल कर दी है।
निगरानी को इस मामले में 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल करनी थी। इस अवधि को खत्म होने में अभी नौ दिन शेष हैं। निगरानी ब्यूरो ने ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा पर पद का दुरुपयोग कर भारी आर्थिक गड़बड़ी की पुष्टि की है। यही नहीं विनोद सिन्हा ने भी तब कोड़ा के साथ मिलकर ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए जारी टेंडर में जमकर धाधली की। सामान खरीद की प्रक्रिया में नियमों की धज्जिया उड़ाई गईं। काम के ठेके भी उन्हें सौंपे गए जिन्होंने कोड़ा और सिन्हा के आर्थिक हितों को साधा। मालूम हो कि निगरानी ने बीते सप्ताह भी इस मामले में राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान [रांची] जाकर वहां इलाज करा रहे मधु कोड़ा से पूछताछ पूरी की है।
निगरानी के महानिरीक्षक एमवी राव ने कहा है जांच में पुष्ट हो गया है कि आईवीआरसीएल इंफ्रास्ट्रक्चर से मधु कोड़ा व विनोद सिन्हा ने रिश्वत ली थी। जांच में यह पुष्टि हुई है कि मधु कोड़ा द्वारा सरकारी पद का दुरुपयोग किया गया व ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए जारी टेंडर प्रक्रिया में धाधली की गई।

नई दिल्ली। खनन मंत्रालय ने नाल्को प्रमुख एके श्रीवास्तव को रिश्वतखोरी मामले में निलंबित कर दिया है। नाल्को के निदेशक [वित्त] बी एल बागड़ा को कंपनी का कार्यवाहक अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक [सीएमडी] बनाया गया है।
उधर, दिल्ली की एक कोर्ट ने रिश्वतखोरी के मामले में नाल्को अध्यक्ष एके श्रीवास्तव और उनकी पत्नी को तीन मार्च तक के लिए सीबीआई हिरासत में भेज दिया।
अदालत ने सीबीआई को रिश्वत मामले में गिरफ्तार नाल्को के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अभय कुमार श्रीवास्तव, उनकी पत्नी और दो अन्य से पाच दिन तक अपनी हिरासत में पूछताछ करने की इजाजत दे दी।
सीबीआई ने इन चारों को गिरफ्तार कर कल इनके कब्जे से दो करोड़ 13 लाख रुपये मूल्य की दस किलोग्राम सोने की ईंटें और 30 लाख रुपये नकद बरामद किए थे।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओ पी सैनी ने श्रीवास्तव, उनकी पत्नी चादनी श्रीवास्तव, दलाल भूषण लाल बजाज और उनकी पत्नी अनिता बजाज पर लगे आरोपों को बहुत गंभीर बताते हुए चारों को तीन मार्च तक सीबीआई की हिरासत में सौंप दिया।
न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी के श्रीवास्तव नाल्को के सीएमडी के तौर पर बहुत ऊंचे ओहदे पर हैं और इन हालात में मामले की गहराई से जाच किए जाने की जरूरत है और इसके लिए आरोपियों से सतत पूछताछ करनी होगी। उन्होंने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए मैं आरोपियों को हिरासत में सौंपने के आवेदन से संतुष्ट हूं।
सीबीआई ने बताया कि बी एल बजाज ने दलाल की भूमिका निभाते हुए भाटिया ग्रुप आफ कंपनीज को श्रीवास्तव से कई तरह से फायदा पहुंचाया और इसके बदले में भाटिया ग्रुप आफ कंपनीज के सीएमडी जी एस भाटिया से श्रीवास्तव के लिए भारी धनराशि वसूल की।
सीबीआई ने आगे कहा कि बजाज इस मामले में कोयला आपूर्तिकर्ताओं और श्रीवास्तव के बीच पुल के तौर पर काम करता था।

नई दिल्ली। 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन में घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ ने लूप टेलीकॉम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी [सीईओ] संदीप बसु औैर टाटा टेलीसर्विसेज लिमिटेड के पूर्व सीईओ अनिल सरदाना से भी पूछताछ की है।
सीबीआइ सूत्रों ने बताया कि दोनों से दूरसंचार प्रौद्योगिकी के लाइसेंस हासिल करने के लिए उनकी अनुषंगी कंपनियों द्वारा सरकार से किए गए अनुबंधों के बारे में पूछताछ की गई। इसके अलावा उनसे उन दूरसंचार कंपनियों में हिस्सेदारी के बारे में भी सवाल किए गए जिन्होंने उनके नाम पर स्पेक्ट्रम लाइसेंस हासिल किए। दोनों से उनकी कंपनियों के यूनीटेक के साथ संबंधों के बाबत भी पूछताछ की गई। सरदाना जहां पहली दफा सीबीआइ के समक्ष पेश हुए वहीं वसु को पिछले एक पखवाड़े में चौथी दफा तलब किया गया था। सितंबर, 2007 से जनवरी, 2008 के बीच पूर्व संचार मंत्री ए. राजा के कार्यकाल में लूप को 21 सर्किल के लिए लाइसेंस मिले थे।

लखनऊ  उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम [यूपीएसआइडीसी] के मुख्य अभियंता अरुण कुमार मिश्र के आवास में करीब 18 घंटे तक छानबीन करने के बाद सीबीआइ टीम देहरादून वापस लौट गयी। सीबीआइ मिश्रा के आर्थिक साम्राज्य से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज ले गयी है। हालांकि उनके यहां नकदी के रूप में महज ढाई लाख रुपये ही मिले हैं।
सीबीआइ ने गुरुवार को मिश्रा के नौ ठिकानों पर छापे डाले। गोमतीनगर के विशाल खण्ड [5/8] में गुरुवार सुबह दस बजे सीबीआइ टीम घुसी और शाम चार बजे वापस लौटी। मिश्रा की आलीशान कोठी में सीबीआइ को कागजात तलाशने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।
सूत्रों के मुताबिक यहां सीबीआइ को कुल 99 स्थानों पर संचालित बैंक खातों के दस्तावेज मिले। इसके अलावा उनके एनजीओ, फर्म, कंपनी और फर्जी नामों से संचालित कारोबार के भी दस्तावेज पाये गये।
सीबीआइ यह आकलन नहीं कर पायी कि उनका फ्राड कितने करोड़ का है। अनुमान है कि डेढ़ सौ करोड़ का घालमेल छानबीन में उजागर हो सकता है। वैसे तो अरुण मिश्रा की गिरफ्तारी को लेकर अटकल लगायी जा रही थी, लेकिन सूत्रों का कहना है कि लगभग एक सप्ताह तो दस्तावेजों के सत्यापन में ही लगेगा। इसके बाद ही अगली कार्रवाई होगी। यह जरूर है कि मिश्रा से जुड़े कुछ और स्थानों पर छापेमारी हो सकती है। यह आशंका जतायी जा रही है कि सीबीआइ लखनऊ में उनके कुछ और ठिकानों की तलाश में है। मिश्रा के संबंधी में इस घेरे में आ सकते हैं।
अरुण मिश्रा पर यह आरोप है कि उन्होंने 2005-2006 में गाजियाबाद के ट्रोनिका सिटी में आवंटन के दौरान करीब चार सौ करोड़ रुपये का घोटाला किया। इस काले धन को व्हाइट मनी बनाने में उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक देहरादून के कुछ प्रबंधकों को अपने खेल में शामिल कर लिया। बैंक के इंटरनल आडिट में जब इस गोरखधंधे का राजफाश हुआ तो सीबीआइ ने शिकंजा कसना शुरू किया। गोरखधंधे के मास्टर माइंड के रूप में अरुण मिश्रा पर सीबीआइ की निगाह टिकी और गुरुवार से उनकी उल्टी गिनती शुरू हो गयी।
सीबीआइ के जाते ही घर से बाहर निकले मिश्रा
लखनऊ : सीबीआइ टीम के बाहर जाते ही अरुण मिश्रा भोर में मर्सिडीज कार से घर से बाहर चले गये। मिश्रा के विशाल खंड के घर में उनके कुछ कर्मचारियों के अलावा और कोई नहीं रहता है। शुक्रवार से कानपुर से उनका पुराना नौकर जरूर आया। उधर कुर्सी रोड स्थित उनके शैक्षणिक संस्थान पर चल रहा कार्य गुरुवार से ही ठप कर दिया गया। मिट्टी भराई करने वाली मशीनें गांव में कहीं छिपा दी गयीं।

नई दिल्ली। पितृत्व विवाद में फंसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एनडी तिवारी को दिल्ली हाईकोर्ट ने राहत देने से फिर इंकार कर दिया है। शुक्रवार को अदालत ने एकल पीठ द्वारा तिवारी पर लगाए गए 75 हजार रुपये की जुर्माना राशि को माफ करने से मना कर दिया। तिवारी को अपना असली पिता बताने वाले रोहित शेखर की याचिका पर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने कांग्रेस नेता पर यह जुर्माना लगाया था। साथ ही रोहित का असली पिता कौन, इस बात को तय करने के लिए तिवारी को डीएनए जांच कराने के लिए भी कहा था। इस आदेश को तिवारी ने डिवीजन बेंच के समक्ष चुनौती दी। लेकिन उसने भी एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखा।
इसके बाद कांग्रेस नेता ने डीएनए जांच और जुर्माना अदा करने के आदेश को रद करने के लिए न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन और न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ के समक्ष समीक्षा याचिका दायर की। जिसे न्यायमूर्ति सेन की अगुवाई वाली पीठ ने शुक्रवार को खारिज कर दिया। अदालत के इस आदेश के बाद तिवारी को जुर्माना अदा ही करना होगा।
इस बीच रोहित शेखर ने हाईकोर्ट के एकल पीठ के समक्ष एक और अर्जी दाखिल की है। जिसमें उसने अदालत से अपने पूर्व के आदेश में संशोधन करने का आग्रह किया है। रोहित शेखर के अनुसार, अदालत ने हैदराबाद के जिस सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मालिक्युलर बॉयोलॉजी से तिवारी को डीएनए जांच कराने के लिए कहा है। दरअसल वह संस्थान अब इस तरह की जांच नहीं करता है। अपनी अर्जी में रोहित शेखर ने कहा है कि डीएनए जांच अब हैदराबाद के ही फिंगरप्रिंटिंग एंड डायगनॉस्टिक केंद्र में किया जाता है। इसलिए अदालत अपने पूर्व के आदेश में डीएनए जांच करने वाले केंद्र के बारे में संशोधन कर ले।

नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को यह कहते हुए 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले मामले में स्वान टेलीकाम के प्रवर्तक शाहिद उस्मान बलवा एवं पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा के निजी सचिव रहे आर के चंदोलिया की जमानत माग खारिज कर दी कि वे प्रभावशाली लोग हैं और जाच को प्रभावित कर सकते है।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओ पी सैनी ने कहा, 'इस मामले से जुड़े तथ्यों और परिस्थितियों-आरोपियों के मनमाने कृत्य, राजकोष को हुई हानि की मात्रा, खास तरीके से काउंटरों की व्यवस्था करने में आर के चंदोलिया की भूमिका तथा बलवा की जो कंपनी प्रारंभ में अपात्र थी उसे दस्तावेजों के हेरफेर के माध्यम से पात्र दिखाया गया, इन सब पर विचार करते हुए मैं इन्हें जमानत देने के पक्ष में नहीं हूं।'
दोनों आरोपियों को राहत नहीं देने में न्यायाधीश ने जाच के प्रारंभिक चरण तथा मामले से जुड़े अन्य तथ्यों और परिस्थतियों को भी ध्यान में रखा। इन दोनो को 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में गिरफ्तार किया गया है।
सीबीआई न्यायाधीश ने कहा, 'एडीएजी ग्रूप ऑफ कंपनीज के मैसर्स रिलायंस टेलीकॉम को पहले ही कुछ मंडलों के लिए लाइसेंस दिया गया था और ऐसे में उसकी सहायक कंपनी स्वान टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड लाइसेस के लिए पात्र नहीं थी।'

कोच्चि। विवादों में चल रहे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब आयकर विभाग ने दावा किया है कि उनके भाई और दोनों दामाद के पास काला धन है। इस बारे में विभाग के पास पुख्ता सबूत हैं।
आयकर विभाग के महानिदेशक (जांच) ईटी लुकोज के अनुसार, न्यायमूर्ति बालाकृष्णन के रिश्तेदारों से पूछताछ हुई है। इस मामले की जांच पिछले पांच वर्ष से चल रही है। अगले महीने तक जांच पूरी जाएगी। वह कोच्चि में पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। काला धन मामले में पूर्व मुख्य न्यायाधीश की संलिप्तता के बारे में जब पूछा गया तो लुकोज का कहना था कि इस बारे में वह कुछ नहीं सकते। लेकिन उन्होंने साफ कहा कि न्यायमूर्ति बालाकृष्णन के दोनों दामादों पीवी श्रीनिजन और बेनी सहित उनके भाई केजी भास्करन के पास काला धन मौजूद है। लुकोज के अनुसार, जांच में हमने पाया है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश के रिश्तेदारों के पास काला धन है। आयकर विभाग के महानिदेशक के मुताबिक, यह पता लगाया जा रहा है कि न्यायमूर्ति बालाकृष्णन के रिश्तेदारों ने कहां से यह काला धन हासिल किया है। बकौल लुकोज, पूर्व मुख्य न्यायाधीश के रिश्तेदारों से कई दौर में पूछताछ हुई है। आगे भी उनसे पूछताछ की जा सकती है। काला धन का स्रोत जानने के लिए उनसे पूछताछ जरूरी है।
आयकर के शीर्ष जांच अधिकारी से जब यह पूछा गया कि क्या इस मामले में न्यायमूर्ति बालाकृष्णन से भी पूछताछ हो सकती है तो उनका कहना था कि वह अभी कुछ नहीं कह सकते हैं। लुकोज ने यह नहीं बताया कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश के रिश्तेदारों के पास कितना काला धन है। उन्होंने कहा कि बस कुछ दिन इंतजार करिए, सब पता चल जाएगा। लुकोज के अनुसार, इस जांच के बारे में केंद्र सरकार ने आयकर विभाग से अभी तक कोई जानकारी नहीं मांगी है। उन्होंने बताया कि जब पूर्व मुख्य न्यायाधीश के भाई और दामादों के पास काला धन होने की शिकायत हमें मिली तो हमने शुरुआती जांच में आरोपों को सही पाया। जब यह मामला सार्वजनिक हो गया तो केरल हाईकोर्ट में सरकारी वकील भास्करन ने इस्तीफा दे दिया

मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।

कोच्चि। विवादों में चल रहे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब आयकर विभाग ने दावा किया है कि उनके भाई और दोनों दामाद के पास काला धन है। इस बारे में विभाग के पास पुख्ता सबूत हैं।
आयकर विभाग के महानिदेशक (जांच) ईटी लुकोज के अनुसार, न्यायमूर्ति बालाकृष्णन के रिश्तेदारों से पूछताछ हुई है। इस मामले की जांच पिछले पांच वर्ष से चल रही है। अगले महीने तक जांच पूरी जाएगी। वह कोच्चि में पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। काला धन मामले में पूर्व मुख्य न्यायाधीश की संलिप्तता के बारे में जब पूछा गया तो लुकोज का कहना था कि इस बारे में वह कुछ नहीं सकते। लेकिन उन्होंने साफ कहा कि न्यायमूर्ति बालाकृष्णन के दोनों दामादों पीवी श्रीनिजन और बेनी सहित उनके भाई केजी भास्करन के पास काला धन मौजूद है। लुकोज के अनुसार, जांच में हमने पाया है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश के रिश्तेदारों के पास काला धन है। आयकर विभाग के महानिदेशक के मुताबिक, यह पता लगाया जा रहा है कि न्यायमूर्ति बालाकृष्णन के रिश्तेदारों ने कहां से यह काला धन हासिल किया है। बकौल लुकोज, पूर्व मुख्य न्यायाधीश के रिश्तेदारों से कई दौर में पूछताछ हुई है। आगे भी उनसे पूछताछ की जा सकती है। काला धन का स्रोत जानने के लिए उनसे पूछताछ जरूरी है।
आयकर के शीर्ष जांच अधिकारी से जब यह पूछा गया कि क्या इस मामले में न्यायमूर्ति बालाकृष्णन से भी पूछताछ हो सकती है तो उनका कहना था कि वह अभी कुछ नहीं कह सकते हैं। लुकोज ने यह नहीं बताया कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश के रिश्तेदारों के पास कितना काला धन है। उन्होंने कहा कि बस कुछ दिन इंतजार करिए, सब पता चल जाएगा। लुकोज के अनुसार, इस जांच के बारे में केंद्र सरकार ने आयकर विभाग से अभी तक कोई जानकारी नहीं मांगी है। उन्होंने बताया कि जब पूर्व मुख्य न्यायाधीश के भाई और दामादों के पास काला धन होने की शिकायत हमें मिली तो हमने शुरुआती जांच में आरोपों को सही पाया। जब यह मामला सार्वजनिक हो गया तो केरल हाईकोर्ट में सरकारी वकील भास्करन ने इस्तीफा दे दिया।