नई दिल्ली, एजेंसी : राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले को लेकर कठघरे में खड़े कांग्रेस नेता सुरेश कलमाड़ी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब उनकी अध्यक्षता वाली राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति पर विभिन्न प्रकार की सुविधाओं और साजसज्जा (ओवरले) के उपकरणों को किराए पर लेने में धांधली करने का आरोप लगा है। यह धांधली केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की जांच टीम ने पकड़ी है। आरोप है कि खेलों के लिए आयोजन समिति ने सुविधा और साजसज्जा उपकरण सामान्य से करीब 14 गुना अधिक किराए पर लिया था।ं यानी इन उपकरणों के किराए के मद में जहां 2.80 लाख भुगतान किया जाना चाहिए था, वहीं 42.34 करोड़ खर्च कर दिया गया। सीवीसी ने इस घोटाले पर अपनी रिपोर्ट सीबीआइ को सौंप दी है। जिसमें कहा गया है कि आयोजन समिति ने इन उपकरणों को 42.34 करोड़ रुपये में किराए पर लिया था जबकि बाजार दर के हिसाब से इनकी वास्तविक लागत 2.80 करोड़ रुपये ही थी। इस तरह से आयोजन समिति ने उपकरणों की आपूतिकर्ता कंपनियों को जबरदस्त लाभ पहुंचाया। इसके साथ ही जांच में यह बात भी उभर कर सामने आई कि इन उपकरणों को किराए पर लेने के लिए गड़बड़ तरीके से बोली लगाई गई। जांच टीम का निष्कर्ष है कि इन उपकरणों को किराए पर लेना इनकी खरीद से भी महंगा था। यानी जितना पैसा किराए के लिए भुगतान किया गया, उससे भी काफी कम दाम में इन उपकरणों की खरीद की जा सकती थी। आयोजन समिति ने ओवरले उपकरण आपूर्ति का ठेका चार कंपनियों को दिया था। इनमें दिल्ली की मेसर्स पिको दीपाली ओवरलेज कंसोर्टियम, नुस्ली लिमिटेड स्विट्जरलैंड, ईएसए जेवी डी आर्ट इंडो कंसोर्टियम दिल्ली और जीएल-मेरोफार्म फ्रांस शामिल थीं। इनको दिए काम में टेंट जैसे अस्थायी ढांचे का रखरखाव, वीडियो बोर्ड, फर्नीचर व फिक्चर्स और जेनरेटर आदि शामिल थे।Sunday, March 13, 2011
करीब 14 गुना अधिक किराए पर लिया था।ं
नई दिल्ली, एजेंसी : राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले को लेकर कठघरे में खड़े कांग्रेस नेता सुरेश कलमाड़ी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब उनकी अध्यक्षता वाली राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति पर विभिन्न प्रकार की सुविधाओं और साजसज्जा (ओवरले) के उपकरणों को किराए पर लेने में धांधली करने का आरोप लगा है। यह धांधली केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की जांच टीम ने पकड़ी है। आरोप है कि खेलों के लिए आयोजन समिति ने सुविधा और साजसज्जा उपकरण सामान्य से करीब 14 गुना अधिक किराए पर लिया था।ं यानी इन उपकरणों के किराए के मद में जहां 2.80 लाख भुगतान किया जाना चाहिए था, वहीं 42.34 करोड़ खर्च कर दिया गया। सीवीसी ने इस घोटाले पर अपनी रिपोर्ट सीबीआइ को सौंप दी है। जिसमें कहा गया है कि आयोजन समिति ने इन उपकरणों को 42.34 करोड़ रुपये में किराए पर लिया था जबकि बाजार दर के हिसाब से इनकी वास्तविक लागत 2.80 करोड़ रुपये ही थी। इस तरह से आयोजन समिति ने उपकरणों की आपूतिकर्ता कंपनियों को जबरदस्त लाभ पहुंचाया। इसके साथ ही जांच में यह बात भी उभर कर सामने आई कि इन उपकरणों को किराए पर लेने के लिए गड़बड़ तरीके से बोली लगाई गई। जांच टीम का निष्कर्ष है कि इन उपकरणों को किराए पर लेना इनकी खरीद से भी महंगा था। यानी जितना पैसा किराए के लिए भुगतान किया गया, उससे भी काफी कम दाम में इन उपकरणों की खरीद की जा सकती थी। आयोजन समिति ने ओवरले उपकरण आपूर्ति का ठेका चार कंपनियों को दिया था। इनमें दिल्ली की मेसर्स पिको दीपाली ओवरलेज कंसोर्टियम, नुस्ली लिमिटेड स्विट्जरलैंड, ईएसए जेवी डी आर्ट इंडो कंसोर्टियम दिल्ली और जीएल-मेरोफार्म फ्रांस शामिल थीं। इनको दिए काम में टेंट जैसे अस्थायी ढांचे का रखरखाव, वीडियो बोर्ड, फर्नीचर व फिक्चर्स और जेनरेटर आदि शामिल थे।
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