नई दिल्ली। काले धन को लेकर चौतरफा सवालों से घिरी भारत सरकार की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। काली कमाई जमा करने के लिए कुख्यात स्विस बैंक अपने खातों की जानकारी नहीं देने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। स्विट्जरलैंड के इन बैंकों ने अपनी सरकार से अपील की है कि वह किसी भी देश द्वारा बड़ी संख्या में खातों की जानकारी मांगने वाले अनुरोध ठुकरा दे। अगर ऐसा होता है, तो इससे भारत सरकार के स्विस बैंकों से काला धन वापस लाने की कोशिशों को झटका लग सकता है।
अंतरराष्ट्रीय दबाव में स्विट्जरलैंड सरकार ने इस साल 15 फरवरी को गोपनीय बैंक खातों के बारे में सूचनाओं का आदान-प्रदान करने के नियमों में ढील देने की घोषणा की थी। काले धन का पता लगाने को कोशिशों में जुटे भारत जैसे कई देशों को स्विस सरकार के इस कदम से फायदा होने की उम्मीद है। अनुमान है कि भारतीयों की करीब 70 लाख करोड़ रुपये की काली कमाई विदेशी बैंकों में जमा है।
स्विस बैंकों को अपने ग्राहकों की संपत्तियां और खातों की जानकारी गुप्त रखने के लिए जाना जाता है। इन बैंकों ने सरकार को आगाह किया है कि वह किसी भी दूसरे देश के साथ स्वत: सूचना आदान-प्रदान के करार पर दस्तखत न करे। बैंकों ने अपने शीर्ष संगठन स्विस बैंकर्स एसोसिएशन [एसबीए] के जरिये सरकार तक यह बात पहुंचाई है। एसबीए ने सरकार से कहा कि ग्लोबल बैंकिंग प्रणाली में स्विस वित्तीय केंद्र के हितों की रक्षा के लिए ऐसा करना जरूरी है। यदि किसी देश का स्विट्जरलैंड के साथ सूचना आदान-प्रदान करार है, तो वह कर चोरी करने वाले संदिग्धों के नाम व पते बताकर स्विस सरकार से मदद ले सकता है।
भारत सरकार पर काले धन को विदेश से वापस लाने को लेकर विपक्ष के अलावा अदालत का भी काफी दबाव है। सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि सरकार को विदेश में काला धन जमा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। भारतीयों द्वारा स्विस बैंकों में जमा कराए गए काले धन का पता लगाने के लिए भारत और स्विट्जरलैंड के बीच संधि का प्रस्ताव इस समय वहां की संसद के पास है।
अंतरराष्ट्रीय दबाव में स्विट्जरलैंड सरकार ने इस साल 15 फरवरी को गोपनीय बैंक खातों के बारे में सूचनाओं का आदान-प्रदान करने के नियमों में ढील देने की घोषणा की थी। काले धन का पता लगाने को कोशिशों में जुटे भारत जैसे कई देशों को स्विस सरकार के इस कदम से फायदा होने की उम्मीद है। अनुमान है कि भारतीयों की करीब 70 लाख करोड़ रुपये की काली कमाई विदेशी बैंकों में जमा है।
स्विस बैंकों को अपने ग्राहकों की संपत्तियां और खातों की जानकारी गुप्त रखने के लिए जाना जाता है। इन बैंकों ने सरकार को आगाह किया है कि वह किसी भी दूसरे देश के साथ स्वत: सूचना आदान-प्रदान के करार पर दस्तखत न करे। बैंकों ने अपने शीर्ष संगठन स्विस बैंकर्स एसोसिएशन [एसबीए] के जरिये सरकार तक यह बात पहुंचाई है। एसबीए ने सरकार से कहा कि ग्लोबल बैंकिंग प्रणाली में स्विस वित्तीय केंद्र के हितों की रक्षा के लिए ऐसा करना जरूरी है। यदि किसी देश का स्विट्जरलैंड के साथ सूचना आदान-प्रदान करार है, तो वह कर चोरी करने वाले संदिग्धों के नाम व पते बताकर स्विस सरकार से मदद ले सकता है।
भारत सरकार पर काले धन को विदेश से वापस लाने को लेकर विपक्ष के अलावा अदालत का भी काफी दबाव है। सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि सरकार को विदेश में काला धन जमा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। भारतीयों द्वारा स्विस बैंकों में जमा कराए गए काले धन का पता लगाने के लिए भारत और स्विट्जरलैंड के बीच संधि का प्रस्ताव इस समय वहां की संसद के पास है।
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