मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) के पूर्व प्रमुख केतन देसाई की गिरफ्तारी को एक साल भी नहीं बीता कि यहां भ्रष्टाचार का खेल फिर से शुरू हो गया है। इस बार खुद एमसीआइ की ही मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) ने स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिख कर इस पर ध्यान देने तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ निगरानी तंत्र को दुरुस्त करने की गुहार लगाई है। सीवीओ ने स्वीकारा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ), केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और स्वास्थ्य मंत्रालय सहित सभी सरकारी एजेंसियों को रोजाना एमसीआइ में भ्रष्टाचार की ढेरों शिकायतें मिल रही हैं, लेकिन सरकार अब भी आंखें मूंदे बैठी है। एमसीआइ में किसी बड़ी गड़बड़ी के बारे में इस बार किसी नाराज प्राइवेट कॉलेज वाले ने नहीं, बल्कि खुद एमसीआइ की मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) ने मुंह खोला है। स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे चार मार्च के पत्र में एमसीआइ की मुख्य सतर्कता अधिकारी सिम्मी आर.नाकरा ने कार्रवाई करने को कहा है। हालात यह है कि यहां के ज्यादातर अफसरों ने कहे जाने के बावजूद अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं सौंपा है। नाकरा ने पत्र में कहा है कि सीबीआइ, सीवीसी और स्वास्थ्य मंत्रालय सहित सभी एजेंसियों से बड़ी तदाद में शिकायतें मिल रही हैं। लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार इसी साल जनवरी से एमसीआइ में सीवीओ का दफ्तर शुरू हो पाया है, लेकिन अब तक इसे कोई स्टाफ नहीं मिल पाया है। ऐसे में अपनी मजबूरी जताती हुई नाकरा लिखती हैं कि एमसीआइ के सभी ग्रुप ए और बी अफसरों को प्रापर्टी रिटर्न दाखिल करने को कहा गया है। इसी तरह खुद उन्हीं के दफ्तर में अब तक 17 शिकायतें आ चुकी हैं, लेकिन इन पर कार्रवाई करने में वो अक्षम हैं। पिछले साल अप्रैल में एमसीआइ के प्रमुख केतन देसाई को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया था। इसके बाद सीबीआइ ने अपनी जांच में इसे देश के सबसे भ्रष्ट संस्थानों में शुमार पाया था।
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