नई दिल्ली। जापान में आए सुनामी भूकंप की विभीषिका से जहा पूरी दुनिया स्तब्ध है वहीं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने सुनामी से जुड़ी त्वरित एवं सटीक चेतावनी देने में भारतीय प्रणाली की क्षमता एक बार फिर सिद्ध होने का दावा किया है।
भारतीय प्रणाली में किसी प्रकार की खामी की बात को खारिज करते हुए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव शैलेश नायक ने कहा कि भारतीय सुनामी चेतावनी प्रणाली विश्वस्तरीय है। यह बात इसी से सिद्ध होती है कि हमने सुनामी के सात मिनट बाद ही पहला बुलेटिन जारी कर बता दिया था कि भारत को इससे कोई खतरा नहीं है। अमेरिकी सुनामी चेतावनी प्रणाली राष्ट्रीय सागरीय एवं वायुमंडलीय प्रशासन ने जापान के होंशू क्षेत्र में आए इस विनाशकारी भूकंप के 12 मिनट बाद पहला अलर्ट जारी किया जबकि भारतीय राष्ट्रीय सागरीय सूचना सेवा केंद्र [आईएनसीओआईएस] पर स्थित चेतावनी प्रणाली ने सुनामी के सातवें मिनट में पहला बुलेटिन जारी कर दिया।
गौरतलब है कि ऐसी रिपोर्ट सामने आई थी कि भारतीय सुनामी चेतावनी प्रणाली के तहत अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में लगाए गए यंत्रों को मछुआरों ने काफी नुकसान पहुंचाया है। रिपोर्ट मे कहा गया था कि इस क्षेत्र में स्थापित 50 यंत्रों में से 42 को मछुआरों ने नुकसान पहुंचाया है जिससे प्रणाली प्रभावित हुई है।
26 दिसंबर 2004 को भारत में आए सुनामी के बाद देश में इससे जुड़ी चेतावनी प्रणाली स्थापित किए जाने की पहल की गई थी और 2006-07 में ऐसी एक प्रणाली स्थापित करने में सफलता मिली।
नायक ने कहा कि सुनामी चेतावनी प्रणाली के माध्यम से बड़े भूकंप की स्थिति में न केवल भारत में बल्कि पड़ोसी देशों में भी 10 मिनट में अलर्ट जारी किए जा सकते हैं। नायक ने कहा कि वर्ष 2007 के बाद से ही हम दुनिया की अन्य सुनामी चेतावनी प्रणाली के साथ संपर्क बनाए हुए हैं।
उन्होंने कहा कि बड़े भूकंप के आकलन के संदर्भ में निचली सतह का दबाव माप करने वाले रिकार्डर [बीपीआर] का महत्वपूर्ण योगदान होता है। प्रारंभ में ऐसे 12 रिकार्डर लगाने की योजना बनाई गई थी लेकिन अभी चार रिकार्डर लगाए गए हैं जो पर्याप्त हैं।
उन्होंने कहा कि अगर भविष्य में चेतावनी प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए जरूरत महसूस की गई तो और बीपीआर लगाए जा सकते हैं। गौरतलब है कि भारतीय राष्ट्रीय सागरीय सूचना सेवा केंद्र पर 125 करोड़ रुपये की लागत से सुनामी चेतावनी प्रणाली स्थापित की गई थी और पिछले तीन वर्ष में इस केंद्र ने करीब 25 भूकंप का आकलन किया। इस प्रणाली से 26 राष्ट्रीय सुनामी सूचना केंद्र और तीन गहरे सागर में स्थित सेंसर जुड़े हुए हैं।
वर्ष 2010-11 में इस प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए 10 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। नायक ने कहा कि चेतावनी प्रणाली के माध्यम से मोबाइल फोन पर भी अलर्ट भेजे जाने की सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि सुनामी जैसी भयानक घटना के संबंध में ऐसी प्रौद्योगिकी का अहम योगदान है। जापान की शानदार चेतावनी प्रणाली के कारण ही काफी संख्या में लोगों को बचाने में सफलता मिली।
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