Saturday, February 26, 2011

लालों में लाल नटवरलाल


नई दिल्ली। बगैर अनुमति करीब 15 लाख डॉलर लेने के मामले में फंसे पंजाब में संगरूर से कांग्रेस के विधायक रहे अरविंद खन्ना के खिलाफ सीबीआइ ने शुक्रवार को आरोप पत्र दाखिल कर दिया। पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के रिश्तेदार खन्ना पर विदेशी अनुदान नियमन अधिनियम [एफसीआरए]-1976 के प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप है। जांच एजेंसी ने इस मामले में पूर्व विधायक के खिलाफ 2007 में केस दर्ज किया था।
सीबीआइ के एक प्रवक्ता के अनुसार, एजेंसी ने चार वर्षो की जांच के बाद पूर्व विधायक खन्ना के खिलाफ मुख्य महानगर दंडाधिकारी की अदालत में आरोप पत्र दायर कर दिया है।
आरोप पत्र में कहा गया है कि अरविंद खन्ना ने नई दिल्ली स्थित एक विदेशी बैंक के अपने बचत खाते में नियमों का उल्लंघन करते हुए विदेशी मुद्रा अमेरिकी डॉलर में अनुदान लिया था। खन्ना को ब्रिटेन स्थित नौ विदेशी कंपनियों ने 14,79,455 अमेरिकी डॉलर [करीब 6.94 करोड़ रुपये] का अनुदान दिया था। इसके लिए खन्ना ने केंद्र सरकार से कोई अनुमति नहीं ली थी। जांच एजेंसी ने पूर्व विधायक के इस कृत्य को एफसीआरए के प्रावधानों का उल्लंघन माना। प्रवक्ता के अनुसार, खन्ना को यह धनराशि विधायक के रूप में उनके 2002-2007 कार्यकाल के दौरान मिली थी।
जांच एजेंसी के प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि पूर्व विधायक ने अनुदान में यह धनराशि हासिल करने के बाद भी केंद्र सरकार को सूचित करने की कोई कोशिश नहीं की। इस प्रकार उन्होंने एफसीआरए के प्रावधानों का उल्लंघन किया। खन्ना को विदेशी मुद्रा प्रदान करने वाली कंपनियों में इजरायल की दो आयुध कंपनियां भी शामिल हैं। इजरायली फर्म ने यह भुगतान खन्ना की कंपनी के नाम से किया है। ध्यान रहे कि इराक में खाद्यान्न के बदले तेल घोटाला मामले में अरविंद खन्ना के पिता विपिन और भाई आदित्य प्रवर्तन निदेशालय के निशाने पर हैं।

राची  झारखंड के बहुचर्चित राजीव गाधी ग्रामीण विद्युतीकरण घोटाले में निगरानी ब्यूरो ने अपनी जाच पूरी कर पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा व विनोद सिन्हा पर चार्जशीट दाखिल कर दी है।
निगरानी को इस मामले में 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल करनी थी। इस अवधि को खत्म होने में अभी नौ दिन शेष हैं। निगरानी ब्यूरो ने ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा पर पद का दुरुपयोग कर भारी आर्थिक गड़बड़ी की पुष्टि की है। यही नहीं विनोद सिन्हा ने भी तब कोड़ा के साथ मिलकर ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए जारी टेंडर में जमकर धाधली की। सामान खरीद की प्रक्रिया में नियमों की धज्जिया उड़ाई गईं। काम के ठेके भी उन्हें सौंपे गए जिन्होंने कोड़ा और सिन्हा के आर्थिक हितों को साधा। मालूम हो कि निगरानी ने बीते सप्ताह भी इस मामले में राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान [रांची] जाकर वहां इलाज करा रहे मधु कोड़ा से पूछताछ पूरी की है।
निगरानी के महानिरीक्षक एमवी राव ने कहा है जांच में पुष्ट हो गया है कि आईवीआरसीएल इंफ्रास्ट्रक्चर से मधु कोड़ा व विनोद सिन्हा ने रिश्वत ली थी। जांच में यह पुष्टि हुई है कि मधु कोड़ा द्वारा सरकारी पद का दुरुपयोग किया गया व ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए जारी टेंडर प्रक्रिया में धाधली की गई।

नई दिल्ली। खनन मंत्रालय ने नाल्को प्रमुख एके श्रीवास्तव को रिश्वतखोरी मामले में निलंबित कर दिया है। नाल्को के निदेशक [वित्त] बी एल बागड़ा को कंपनी का कार्यवाहक अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक [सीएमडी] बनाया गया है।
उधर, दिल्ली की एक कोर्ट ने रिश्वतखोरी के मामले में नाल्को अध्यक्ष एके श्रीवास्तव और उनकी पत्नी को तीन मार्च तक के लिए सीबीआई हिरासत में भेज दिया।
अदालत ने सीबीआई को रिश्वत मामले में गिरफ्तार नाल्को के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अभय कुमार श्रीवास्तव, उनकी पत्नी और दो अन्य से पाच दिन तक अपनी हिरासत में पूछताछ करने की इजाजत दे दी।
सीबीआई ने इन चारों को गिरफ्तार कर कल इनके कब्जे से दो करोड़ 13 लाख रुपये मूल्य की दस किलोग्राम सोने की ईंटें और 30 लाख रुपये नकद बरामद किए थे।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओ पी सैनी ने श्रीवास्तव, उनकी पत्नी चादनी श्रीवास्तव, दलाल भूषण लाल बजाज और उनकी पत्नी अनिता बजाज पर लगे आरोपों को बहुत गंभीर बताते हुए चारों को तीन मार्च तक सीबीआई की हिरासत में सौंप दिया।
न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी के श्रीवास्तव नाल्को के सीएमडी के तौर पर बहुत ऊंचे ओहदे पर हैं और इन हालात में मामले की गहराई से जाच किए जाने की जरूरत है और इसके लिए आरोपियों से सतत पूछताछ करनी होगी। उन्होंने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए मैं आरोपियों को हिरासत में सौंपने के आवेदन से संतुष्ट हूं।
सीबीआई ने बताया कि बी एल बजाज ने दलाल की भूमिका निभाते हुए भाटिया ग्रुप आफ कंपनीज को श्रीवास्तव से कई तरह से फायदा पहुंचाया और इसके बदले में भाटिया ग्रुप आफ कंपनीज के सीएमडी जी एस भाटिया से श्रीवास्तव के लिए भारी धनराशि वसूल की।
सीबीआई ने आगे कहा कि बजाज इस मामले में कोयला आपूर्तिकर्ताओं और श्रीवास्तव के बीच पुल के तौर पर काम करता था।

नई दिल्ली। 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन में घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ ने लूप टेलीकॉम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी [सीईओ] संदीप बसु औैर टाटा टेलीसर्विसेज लिमिटेड के पूर्व सीईओ अनिल सरदाना से भी पूछताछ की है।
सीबीआइ सूत्रों ने बताया कि दोनों से दूरसंचार प्रौद्योगिकी के लाइसेंस हासिल करने के लिए उनकी अनुषंगी कंपनियों द्वारा सरकार से किए गए अनुबंधों के बारे में पूछताछ की गई। इसके अलावा उनसे उन दूरसंचार कंपनियों में हिस्सेदारी के बारे में भी सवाल किए गए जिन्होंने उनके नाम पर स्पेक्ट्रम लाइसेंस हासिल किए। दोनों से उनकी कंपनियों के यूनीटेक के साथ संबंधों के बाबत भी पूछताछ की गई। सरदाना जहां पहली दफा सीबीआइ के समक्ष पेश हुए वहीं वसु को पिछले एक पखवाड़े में चौथी दफा तलब किया गया था। सितंबर, 2007 से जनवरी, 2008 के बीच पूर्व संचार मंत्री ए. राजा के कार्यकाल में लूप को 21 सर्किल के लिए लाइसेंस मिले थे।

लखनऊ  उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम [यूपीएसआइडीसी] के मुख्य अभियंता अरुण कुमार मिश्र के आवास में करीब 18 घंटे तक छानबीन करने के बाद सीबीआइ टीम देहरादून वापस लौट गयी। सीबीआइ मिश्रा के आर्थिक साम्राज्य से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज ले गयी है। हालांकि उनके यहां नकदी के रूप में महज ढाई लाख रुपये ही मिले हैं।
सीबीआइ ने गुरुवार को मिश्रा के नौ ठिकानों पर छापे डाले। गोमतीनगर के विशाल खण्ड [5/8] में गुरुवार सुबह दस बजे सीबीआइ टीम घुसी और शाम चार बजे वापस लौटी। मिश्रा की आलीशान कोठी में सीबीआइ को कागजात तलाशने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।
सूत्रों के मुताबिक यहां सीबीआइ को कुल 99 स्थानों पर संचालित बैंक खातों के दस्तावेज मिले। इसके अलावा उनके एनजीओ, फर्म, कंपनी और फर्जी नामों से संचालित कारोबार के भी दस्तावेज पाये गये।
सीबीआइ यह आकलन नहीं कर पायी कि उनका फ्राड कितने करोड़ का है। अनुमान है कि डेढ़ सौ करोड़ का घालमेल छानबीन में उजागर हो सकता है। वैसे तो अरुण मिश्रा की गिरफ्तारी को लेकर अटकल लगायी जा रही थी, लेकिन सूत्रों का कहना है कि लगभग एक सप्ताह तो दस्तावेजों के सत्यापन में ही लगेगा। इसके बाद ही अगली कार्रवाई होगी। यह जरूर है कि मिश्रा से जुड़े कुछ और स्थानों पर छापेमारी हो सकती है। यह आशंका जतायी जा रही है कि सीबीआइ लखनऊ में उनके कुछ और ठिकानों की तलाश में है। मिश्रा के संबंधी में इस घेरे में आ सकते हैं।
अरुण मिश्रा पर यह आरोप है कि उन्होंने 2005-2006 में गाजियाबाद के ट्रोनिका सिटी में आवंटन के दौरान करीब चार सौ करोड़ रुपये का घोटाला किया। इस काले धन को व्हाइट मनी बनाने में उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक देहरादून के कुछ प्रबंधकों को अपने खेल में शामिल कर लिया। बैंक के इंटरनल आडिट में जब इस गोरखधंधे का राजफाश हुआ तो सीबीआइ ने शिकंजा कसना शुरू किया। गोरखधंधे के मास्टर माइंड के रूप में अरुण मिश्रा पर सीबीआइ की निगाह टिकी और गुरुवार से उनकी उल्टी गिनती शुरू हो गयी।
सीबीआइ के जाते ही घर से बाहर निकले मिश्रा
लखनऊ : सीबीआइ टीम के बाहर जाते ही अरुण मिश्रा भोर में मर्सिडीज कार से घर से बाहर चले गये। मिश्रा के विशाल खंड के घर में उनके कुछ कर्मचारियों के अलावा और कोई नहीं रहता है। शुक्रवार से कानपुर से उनका पुराना नौकर जरूर आया। उधर कुर्सी रोड स्थित उनके शैक्षणिक संस्थान पर चल रहा कार्य गुरुवार से ही ठप कर दिया गया। मिट्टी भराई करने वाली मशीनें गांव में कहीं छिपा दी गयीं।

नई दिल्ली। पितृत्व विवाद में फंसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एनडी तिवारी को दिल्ली हाईकोर्ट ने राहत देने से फिर इंकार कर दिया है। शुक्रवार को अदालत ने एकल पीठ द्वारा तिवारी पर लगाए गए 75 हजार रुपये की जुर्माना राशि को माफ करने से मना कर दिया। तिवारी को अपना असली पिता बताने वाले रोहित शेखर की याचिका पर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने कांग्रेस नेता पर यह जुर्माना लगाया था। साथ ही रोहित का असली पिता कौन, इस बात को तय करने के लिए तिवारी को डीएनए जांच कराने के लिए भी कहा था। इस आदेश को तिवारी ने डिवीजन बेंच के समक्ष चुनौती दी। लेकिन उसने भी एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखा।
इसके बाद कांग्रेस नेता ने डीएनए जांच और जुर्माना अदा करने के आदेश को रद करने के लिए न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन और न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ के समक्ष समीक्षा याचिका दायर की। जिसे न्यायमूर्ति सेन की अगुवाई वाली पीठ ने शुक्रवार को खारिज कर दिया। अदालत के इस आदेश के बाद तिवारी को जुर्माना अदा ही करना होगा।
इस बीच रोहित शेखर ने हाईकोर्ट के एकल पीठ के समक्ष एक और अर्जी दाखिल की है। जिसमें उसने अदालत से अपने पूर्व के आदेश में संशोधन करने का आग्रह किया है। रोहित शेखर के अनुसार, अदालत ने हैदराबाद के जिस सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मालिक्युलर बॉयोलॉजी से तिवारी को डीएनए जांच कराने के लिए कहा है। दरअसल वह संस्थान अब इस तरह की जांच नहीं करता है। अपनी अर्जी में रोहित शेखर ने कहा है कि डीएनए जांच अब हैदराबाद के ही फिंगरप्रिंटिंग एंड डायगनॉस्टिक केंद्र में किया जाता है। इसलिए अदालत अपने पूर्व के आदेश में डीएनए जांच करने वाले केंद्र के बारे में संशोधन कर ले।

नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को यह कहते हुए 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले मामले में स्वान टेलीकाम के प्रवर्तक शाहिद उस्मान बलवा एवं पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा के निजी सचिव रहे आर के चंदोलिया की जमानत माग खारिज कर दी कि वे प्रभावशाली लोग हैं और जाच को प्रभावित कर सकते है।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओ पी सैनी ने कहा, 'इस मामले से जुड़े तथ्यों और परिस्थितियों-आरोपियों के मनमाने कृत्य, राजकोष को हुई हानि की मात्रा, खास तरीके से काउंटरों की व्यवस्था करने में आर के चंदोलिया की भूमिका तथा बलवा की जो कंपनी प्रारंभ में अपात्र थी उसे दस्तावेजों के हेरफेर के माध्यम से पात्र दिखाया गया, इन सब पर विचार करते हुए मैं इन्हें जमानत देने के पक्ष में नहीं हूं।'
दोनों आरोपियों को राहत नहीं देने में न्यायाधीश ने जाच के प्रारंभिक चरण तथा मामले से जुड़े अन्य तथ्यों और परिस्थतियों को भी ध्यान में रखा। इन दोनो को 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में गिरफ्तार किया गया है।
सीबीआई न्यायाधीश ने कहा, 'एडीएजी ग्रूप ऑफ कंपनीज के मैसर्स रिलायंस टेलीकॉम को पहले ही कुछ मंडलों के लिए लाइसेंस दिया गया था और ऐसे में उसकी सहायक कंपनी स्वान टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड लाइसेस के लिए पात्र नहीं थी।'

कोच्चि। विवादों में चल रहे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब आयकर विभाग ने दावा किया है कि उनके भाई और दोनों दामाद के पास काला धन है। इस बारे में विभाग के पास पुख्ता सबूत हैं।
आयकर विभाग के महानिदेशक (जांच) ईटी लुकोज के अनुसार, न्यायमूर्ति बालाकृष्णन के रिश्तेदारों से पूछताछ हुई है। इस मामले की जांच पिछले पांच वर्ष से चल रही है। अगले महीने तक जांच पूरी जाएगी। वह कोच्चि में पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। काला धन मामले में पूर्व मुख्य न्यायाधीश की संलिप्तता के बारे में जब पूछा गया तो लुकोज का कहना था कि इस बारे में वह कुछ नहीं सकते। लेकिन उन्होंने साफ कहा कि न्यायमूर्ति बालाकृष्णन के दोनों दामादों पीवी श्रीनिजन और बेनी सहित उनके भाई केजी भास्करन के पास काला धन मौजूद है। लुकोज के अनुसार, जांच में हमने पाया है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश के रिश्तेदारों के पास काला धन है। आयकर विभाग के महानिदेशक के मुताबिक, यह पता लगाया जा रहा है कि न्यायमूर्ति बालाकृष्णन के रिश्तेदारों ने कहां से यह काला धन हासिल किया है। बकौल लुकोज, पूर्व मुख्य न्यायाधीश के रिश्तेदारों से कई दौर में पूछताछ हुई है। आगे भी उनसे पूछताछ की जा सकती है। काला धन का स्रोत जानने के लिए उनसे पूछताछ जरूरी है।
आयकर के शीर्ष जांच अधिकारी से जब यह पूछा गया कि क्या इस मामले में न्यायमूर्ति बालाकृष्णन से भी पूछताछ हो सकती है तो उनका कहना था कि वह अभी कुछ नहीं कह सकते हैं। लुकोज ने यह नहीं बताया कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश के रिश्तेदारों के पास कितना काला धन है। उन्होंने कहा कि बस कुछ दिन इंतजार करिए, सब पता चल जाएगा। लुकोज के अनुसार, इस जांच के बारे में केंद्र सरकार ने आयकर विभाग से अभी तक कोई जानकारी नहीं मांगी है। उन्होंने बताया कि जब पूर्व मुख्य न्यायाधीश के भाई और दामादों के पास काला धन होने की शिकायत हमें मिली तो हमने शुरुआती जांच में आरोपों को सही पाया। जब यह मामला सार्वजनिक हो गया तो केरल हाईकोर्ट में सरकारी वकील भास्करन ने इस्तीफा दे दिया

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