Saturday, April 9, 2011

लोकपाल का इतिहास,42 सालों से लोकपाल विधेयक कानून का रूप नहीं ले पाया।

लोकपाल का इतिहास: स्कैंडीनेवियाई देशों में स्थापित किए गए ओम्बुड्समैन की तर्ज पर भारतीय लोकपाल की परिकल्पना की गई। स्वीडन में ओम्बुड्समैन की स्थापना 1809 में ही की जा चुकी थी। इसके तुरंत बाद कई देशों में अधिकारी वर्ग के रवैये से लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए इस तरह की संस्था का सूत्रपात किया गया। 'ओम्बुड्समैन' एक स्वीडिश शब्द है जिसका मतलब 'विधायिका द्वारा नियुक्त एक ऐसा अधिकारी जो प्रशासकीय और न्यायिक प्रक्रियाओं से संबंधित शिकायतों का निपटारा करे।'
जरूरत: 60 के दशक की शुरुआत में देश के प्रशासनिक ढांचे में जड़ जमाते भ्रष्टाचार से यहां पर स्कैंडीनेवियाई देशों के जैसे ओम्बुड्समैन की जरूरत महसूस की गई। मोरारजी देसाई की अध्यक्षता में पांच जनवरी 1966 को प्रशासकीय सुधार आयोग का गठन किया गया। इस आयोग ने अपनी सिफारिशों में एक द्वि-स्तरीय प्रणाली के गठन की वकालत की। इस द्वि-स्तरीय प्रणाली के तहत केंद्र में एक लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्तों की स्थापना पर जोर दिया गया था। सरकार ने पहला लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक 1968 में पेश किया।
विधेयक नहीं बन सका कानून: सरकारें आती गईं और जाती गईं, लेकिन भ्रष्टाचार से लड़ने की दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी के चलते पिछले 42 सालों से लोकपाल विधेयक कानून का रूप नहीं ले पाया।
पहली बार पेश: 1968 में पहली बार इस विधेयक को चौथी लोकसभा में पेश किया गया। इस सदन से यह विधेयक 1969 में पारित भी हो गया लेकिन राज्यसभा में अटका रहा। इसी बीच लोकसभा के भंग हो जाने के चलते यह विधेयक पहली बार में ही समाप्त हो गया। इस विधेयक को एक बार नए सिरे से 1971, 1977, 1985, 1989, 1996, 1998, 2001, 2005 और हाल ही में 2008 में संसद में पेश किया गया, लेकिन हर बार इसे किसी न किसी वजह के चलते फंसना पड़ा। हर बार पेश करने के बाद इस विधेयक में सुधार के लिए या तो किसी संयुक्त संसदीय समिति या गृह मंत्रालय की विभागीय स्थायी समिति के पास भेजा गया। और जब तक इस विधेयक पर सरकार कोई अंतिम निर्णय ले पाती सदन ही भंग हो गया।
हालिया परिणति: प्रधानमंत्री, मंत्री और सांसदों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों पर कार्रवाई की ताकत देने वाला लोकपाल विधेयक कई बार सरकार द्वारा सदन में पेश किया गया। लेकिन हर बार विधेयक के औंधे मुंह गिरने की वजह दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के अलावा हमारे राजनेताओं के मंसूबों की भी पोल खोलती है।
गुजराल सरकार: संक्षिप्त समय वाली इंद्रकुमार गुजराल की सरकार ने भी इस विधेयक को पेश करने का साहस दिखाया। 1996 में पेश किया गया यह विधेयक पांचवीं बार गिरा
वाजपेयी सरकार: अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 1998 में और 2001 में इसे पारित कराने का असफल प्रयास किया
मनमोहन सरकार: सितंबर 2004 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भरोसा दिलाया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार इस विधेयक को अमल में लाने के लिए समय नष्ट न करते हुए शीघ्र लाएगी। यह बात और है कि बहुदलीय सरकार की व्यवस्था में पारदर्शिता से परहेज के दबाव ने अभी तक इस विधेयक का मार्ग प्रशस्त नहीं किया है।

19 comments:

  1. lokpal bil ko paas nhin hone dene me hee desh ke bhrastachriyon ka labh hain isliye desh ko n jane kitna intjaar krna hoga .

    jay hind

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  2. Lokpal Bill ko paas nahi karna, Anna ko Annsann par nahi baithne dena is baat ko darsata hai ki Desh me ek baar phir loktantra par Hamla Kiya Gaya Hai. Present Government ne Lpktantra Par Hamla Karke Apne Ahankar Ko Darsa Rahi Hai.

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  3. jan lokpal bill ke anne se hamare desh ki unnati sunischit hein. kyonki jo dhan bhrastachariyo ke dwara gaban kiya jata hei us dhan se bharat ki garibi , berojgari ki smashya ka hal mil sakta hein,

    bhart mata ki jai
    jai hind

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  4. raj neta v jo sarkari adhikari iske virodh main unse kahunga ke bharsta char ko chode aur jan lok pal ka sath de

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  5. MERE DESH K BHAIYO AAB TO JAGO
    ITNI DER TAAK SOYE RAHOGE TO HAMARA DESH KHATAM HO JAYEGA..
    BHRASTA CHAR HATAO OR MAA K BACHAO.......
    JAI HIND.........

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  6. Kya koi samajhdaar mujhe ye kah sakta hain ki main kassam kha kar kahta hun ki main bhrashtaachar nahi badhaunga, main train me bina ghoos diye sleeper main nai chadhunga, main police wale ko 100-50 rs dekar bina license k nai ghumunga, its you only jo bhrashtachaar badha rahe ho ?

    Kya lokpaal khud currupt na ho iski gaurantee hain?

    lokpaal k dayre main to sarkaari sansthan hi aaenge na to gair sarkaari sansthano k liye kya socha hain??

    lokpaal k aane se 60-65% curruption khatm hoga baki 35% bhi tumhe lootne ke liye kafi hain.

    we always seek to find wrong in others and i bet none of you will try to answer my question because its not the time to take SOU MOTU actions its time to think and then act any ways guys "I DO SUPPORT ANNA HAZARE AND I AM WORKING FOR IN MY OWN WAYS, ITS CHEAT TO SHOW ONLY ONE FACE TO PEOPLE lets try to educate people first""

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  7. लोकपाल का महत्व इसके लागु होने के बाद आपको पता चलेगा क्योंकि केंद्र सरकार इसे लागु नहीं करने के लिए कटिबद्ध है क्योंकि इससे जो भ्रस्ताचार से पैसा लगातार ६४ साल से आ रहा है वह बंद हो जायेगा, क्योंकि सूचना के अधिकार को अन्ना ने ही लागु कराया था जिससे सरकारी अमलो की फट गई है ....... विनु तिवारी बेमेतरा छ.ग.

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  8. लोकपाल बिल के लागू होने के बाद ही इसकी गुणवत्ता का मूल्यांकन किया जा सकेगा.लेकिन कहीं यह सूचना के अधिकार कानून के तरह दुरूपयोग का माध्यम न बन जाये इस बात कि भी निगरानी कि जरूरत है.

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  9. lokpal bill ko pas karna bahut hi jaruri hai sarkar janta ko gumrah kar rahi hai aur usko janta ke aandolan ka koi fark nahi pad raha hai.

    sarkar ko jukhna padega warna hatna padega.

    jai hind,jai bharat;

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  11. लोकपाल का महत्व इसके लागु होने के बाद आपको पता चलेगा क्योंकि केंद्र सरकार इसे लागु नहीं करने के लिए कटिबद्ध है क्योंकि सूचना के अधिकार को अन्ना ने ही लागु कराया था जिससे सरकारी अमलो की फट गई है ..

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  12. sarkar janta se banti hai or janta ne abhi tak ye nhi chaha ki desh se bhrastchar ka khatma ho wo to sukr karo uss anna ka jo apni jaan ki tanik bhi parwah nhi karte hue desh k bhrastchar k liye lad raha hai
    MERA SABHI BHARTIYO SE NAMR ANURODH HAI KI HUM SUB MILKAR ANNA KA SUPPORT KARE JISSE HUM APNE DESH KO BACHA SAKTE HAI
    JAI HIND JAI BHARAT

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  13. KISI BHI SUDHAR KE LIYE SBSE PAHLE KHUD KO SUDHRNA PDEGA,
    AAJ APNA KAM KRANE KE LIYE HUM KHUD RISWAT DETE H HUM SUB KHUD BHRAST H ISLIYE PAHLE KHUD KO BADLNE KI AAWASYKTA H

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  14. agr des me corruption nhe hoto to kb ke mnjure mel jate es ko pr jha sora system he corruption me lepth vho bhut muskel hota h ass krna pr jiske pass aatm vesva hota h vo kuch bhe kr skta h ye sayd en corrupted netao ko pta nhe tha ye hmare india ko demk ke trh kha rhe h jago india jago khe der na ho jaye agr ye neta itne corrupted nhe hote to swis bank ka sara psa india me hota or aaj india ak viksit des ke gente m aata berojgare free desh hota mujhe vesva h bhagan pher es desh ko uthane ke liye kese ann ko rup leke is jha pe aayega thanks ann

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  15. lokpal aam janta k liye ek achi khabar hai

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  16. I have studied both version of lokpal bill (govt.&jan) I found govt. lokpal bill is not only very weak , corruption protection bill as well. It reflects govt. abominable mentality moreover steps against anna’s movement further festers. Now we should awake ,we want janlokpal bil get passed or go away from seat. I m sure the govt.who wil pass this bil wil be the hero of our country……..
    Anna Team – The real son of this country…..
    Jai hind- jai Bharat

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  17. ab kug karne ke bare ha, wake up all indian youth ple

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  18. netav ke man me chah nahi hai is liye lokpal nahi ban raha hai or jaha chah hoti hai vhi rah hoti hai udahran ke liye aap sarkar ko hi lelijiye ichha hi nahi hai nahi to itna inttjar nahi karna padta

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