रांची झारखंड की सबसे बड़ी कांची नहर छह वर्षो से सूखी पड़ी है। नहर को जलापूर्ति करने वाले आराडीह -चुरगी वीयर की मरम्मत का काम रुका होने से 40 हजार एकड़ क्षेत्र में सिंचाई नहीं हो पा रही है। कांची नहर से रांची जिले के तमाड़, सोनाहातू, खूंटी के अड़की और सरायकेला-खरसावां जिले के ईचागढ़ क्षेत्र में सिंचाई होती थी। वीयर टूटने व किसानों के हाहाकर के बाद भी सरकार का ध्यान नहीं गया। 2009 में विधायक गोपाल कृष्ण पातर ने राष्ट्रपति शासन के दौरान राजभवन तक मार्च किया था। तत्कालीन राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी के आदेश पर वीयर मरम्मत का काम रांची की एक कंपनी को दिया गया, काम इतना घटिया था कि बनते ही यह टूट गया। इस मामले में कई अफसर निलंबित हुए। कंपनी काली सूची में डाल दी गई। इसके बाद दो बार टेंडर हुआ लेकिन महज आठ करोड़ के इस काम के लिए सरकार को ढूंढे संवेदक नहीं मिल रहे। एक बार टेंडर हुआ तो किसी ने क्वालीफाई नहीं किया। दुबारा टेंडर होने पर दो संवदेक सामने आए, जिसमें एक ने क्वालीफाई किया लेकिन उसको शीट पाइलिंग का अनुभव नहीं था। इस प्रकार वह भी अयोग्य करार दे दिया गया। कुल मिलाकर साल भर से काम रुका हुआ है। गोपाल कृष्ण पातर आज राज्य मंत्रिमंडल में मंत्री हैं। इस नहर के बो में बात करने पर उनका कहना है कि जल संसाधन विभाग को बार-बार नॉक कर रहे हैं, जल्द ही नए सिरे से काम शुरू होने की उम्मीद है।
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