दिल्ली उच्च न्यायालय ने वर्ष 2008 की योजना के तहत प्रतीक्षा सूची में रखे गए 172 लोगों के फ्लैटों का आवंटन रद करने से रोकने वाली याचिका को मंजूर कर लिया। इस मामले में न्यायालय ने डीडीए को नोटिस जारी कर 19 अप्रैल तक जवाब मांगा है।
जस्टिस एस मुरलीधर ने याचिकाकर्ता छवि अग्रवाल और उपेन बत्रा की संयुक्त याचिका पर सुनवाई करते हुए डीडीए से कहा कि वह फ्लैटों को तब तक आरक्षित रखे जब तक याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं हो जाती। याचिकाकर्ता के वकील आरके सैनी ने दलील दी कि वर्ष 2008 की डीडीए हाउसिंग योजना में आवेदन करने वाले उनके मुवक्किल का नाम प्रतीक्षा सूची में आया था। इस आशय की सूचना डीडीए ने उन्हें देते हुए बताया था कि उनके समेत 172 फ्लैट आवंटित किए जाएंगे। लेकिन कई महीने तक फ्लैट आवंटित नहीं किए गए तो उन्हें अगस्त 2010 में सूचना के अधिकार के तहत आवेदन करना पड़ा। इसके बाद पता चला कि प्रतीक्षा सूची में आए लोगों का प्रस्तावित आवंटन रद कर दिया गया है।
जस्टिस एस मुरलीधर ने याचिकाकर्ता छवि अग्रवाल और उपेन बत्रा की संयुक्त याचिका पर सुनवाई करते हुए डीडीए से कहा कि वह फ्लैटों को तब तक आरक्षित रखे जब तक याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं हो जाती। याचिकाकर्ता के वकील आरके सैनी ने दलील दी कि वर्ष 2008 की डीडीए हाउसिंग योजना में आवेदन करने वाले उनके मुवक्किल का नाम प्रतीक्षा सूची में आया था। इस आशय की सूचना डीडीए ने उन्हें देते हुए बताया था कि उनके समेत 172 फ्लैट आवंटित किए जाएंगे। लेकिन कई महीने तक फ्लैट आवंटित नहीं किए गए तो उन्हें अगस्त 2010 में सूचना के अधिकार के तहत आवेदन करना पड़ा। इसके बाद पता चला कि प्रतीक्षा सूची में आए लोगों का प्रस्तावित आवंटन रद कर दिया गया है।
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