, नई दिल्ली भारत की 72 फीसदी आबादी आज भी गांवों में बसती है, मगर यहां की सरकार लक्जरी फाइव स्टार होटलों से चलती है। विभिन्न मंत्रालयों के 13 प्रभाग और विभाग दिल्ली के दो महंगे होटलों, होटल सम्राट और होटल जनपथ में किराए के दफ्तरों में चल रहे हैं। हर महीने जनता की गाढ़ी कमाई के करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये इन दफ्तरों के किराए पर खर्च हो जाते हैं। सूचना के अधिकार के इस्तेमाल से सरकार के फालतू खर्च की यह तस्वीर सामने आई है। सरकारी दफ्तरों में काम कर रहे बाबुओं का तर्क है कि दिल्ली में जगह की कमी के कारण होटल किराए पर लेने पड़े। चाणक्यपुरी स्थित होटल सम्राट में ग्रामीण विकास मंत्रालय का प्रभाग 21 जनवरी 2010 से है। होटल के 1800 वर्ग फीट के रूम नंबर 561 में यह दफ्तर है। इसका किराया सात लाख 74 हजार रुपये प्रति महीना है। जबकि मंत्रालय का मुख्य दफ्तर कृषि भवन में है। मंत्री और सचिव कृषि भवन में बैठते हैं। इसी तरह पंचायती राज्य मंत्रालय ने भी अगस्त 2006 से होटल सम्राट की छठीं मंजिल पर साढ़े पांच हजार वर्ग फीट की जगह किराए पर ले रखी है। 195 रुपये प्रति वर्ग फुट के हिसाब से यह जगह दो साल के लिए ली गई थी। 2008 के बाद इसे आगे बढ़ा दिया गया और अब इस जगह का किराया बढ़कर 210 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गया है। 2006 से अब तक मंत्रालय करीब सवा छह करोड़ रुपये यहां का किराया दे चुका है। दिल्ली के एक सामाजिक कार्यकर्ता जे.एस. वालिया ने आरटीआइ के तहत यह जानकारी हासिल की है। वालिया ने बताया, एक दिन मैं सम्राट होटल गया, तो होटल के बाहर खड़ी लाल बत्तियों की कई सरकारी गाडि़यों को देखकर दंग रह गया। मैंने इसके बारे में जानने की कोशिश की तो आधी-अधूरी जानकारी दी गई। अब आरटीआइ से मिली जानकारी चौंकाने वाली है। क्या ऐसे दफ्तर फाइव स्टार होटलों में खोलना जरूरी हैं। जबकि दिल्ली में कई किफायती जगह भी उपलब्ध हैं।
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